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छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद गेंद सिंह के वंशजों की क्या है सरकार से डिमांड

शहीद गेंद सिंह के वंशजों ने जनजातीय गौरव दिवस पर सरकार से मदद की मांग की है.

Janjatiya Gaurav Divas 2024
छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद गेंद सिंह (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 2 hours ago

रायपुर: छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद गेंद सिंह के वंशज आज आर्थिक मदद की सरकार से गुहार लगा रहे हैं. खेती किसानी से परिवार चला रहे गेंद के वंशजों की मांग है कि उनके परिवार की आर्थिक मदद की जाए. परिवार को पेंशन दिया जाए. जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में आए परिवार के लोगों ने कहा कि खेती बाड़ी के लिए पर्याप्त जमीन नहीं है. किसी तरह से परिवार का गुजारा चल रहा है. शहीद गेंद सिंह के वंशज नीरशंकी ने कहा कि सरकार उनके परिवार की मदद के लिए आगे आए. गेंद सिंह के वंशज नीरशंकी टूटी फूटी हिंदी बोल पाते हैं. नीरशंकी ने अपनी बात अपने सहयोगी कृष्ण पाल राणा के जरिए कही. सहयोगी राणा ने बताया कि नीरशंकी का परिवार परलकोट में रहता है. परिवार की आर्थिक स्थिति दयनीय है. सरकार से इनको मदद की दरकार है.

शहीद गेंद सिंह के परिवार ने मांगी मदद: जनजातीय गौरव दिवस के आयोजन में शहीद गेंद सिंह के परिवार को भी आमंत्रित किया गया. गेंद सिंह के परिवार की ओर से नीरशंकी परलकोट से जनजातीय गौरव दिवस के आयोजन में शामिल होने पहुंचे थे. अपने सहयोगी के माध्यम से नीरशंकी ने कहा कि सरकार उनके परिवार को पेंशन दे तो उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो. परिवार के पास इतनी जमीन नहीं है कि खेती बाड़ी से उनका परिवार चल पाए.

छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद गेंद सिंह के वंशज (ETV Bharat)

''राज्य अलंकार में गेंद सिंह के नाम पर पुरस्कार दिया जाए'': गेंद सिंह के वंशजों ने गेंद सिंह के नाम से छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण सम्मान दिए जाने की भी मांग की. नीरशंकी के साथ आए सहयोगी कृष्ण पाल राणा ने बताया कि परिवार का गुजारा किसी तरह से चल पा रहा है. गेंद सिंह के वंशज कांकेर, जगदलपुर और दूसरे जिलों में रहते हैं. परिवार को उम्मीद है कि सरकार इनकी आर्थिक मदद करेगी.

छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद हैं गेंद सिंह: इतिहास के मुताबिक बस्तर रियासत के अंतर्गत आने वाले परलकोट जमींदारी के जमींदार गेंद सिंह ने मराठों और ब्रिटिश अधिकारियों के शोषण के खिलाफ भुजरिया अबूझमाड़िया आदिवासियों को लेकर बस्तर की स्वतंत्रता का शंखनाद 1824 से1825 के बीच में किया था. इतिहास के मुताबिक यह क्रांति नए करों के विरोध को लेकर गेंद सिंह ने किया था. अंग्रेजों के शोषण के खिलाफ और उनकी नीतियों के खिलाफ आदिवासी समाज की ओर से ये पहली क्रांति छत्तीसगढ़ में थी. क्रांतिकारी अपने संदेश को पहुंचाने के लिए खास पेड़ की टहनियों का इस्तेमाल किया करते थे.

शहीद गेंद सिंह को दी गई थी फांसी: अंग्रेजी सेना की सहायता से 12 जनवरी, 1825 को गेंद सिंह और उसके साथियों को गिरफ्तार किया गया. इतिहास के मुताबिक पकड़े गए क्रांतिकारियों के साथ अंग्रेजों ने दमनकारी नीति अपनाई. माना जाता है 20 जनवरी 1825 को गेंद सिंह को उनके महल के सामने ही फांसी दे दी गई. अंग्रेजों के विरूद्व स्वतंत्रता का शंखनाद करने वाले शहीद गेंद सिंह बस्तर ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के पहले शहीद माने जाते हैं.

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रायपुर: छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद गेंद सिंह के वंशज आज आर्थिक मदद की सरकार से गुहार लगा रहे हैं. खेती किसानी से परिवार चला रहे गेंद के वंशजों की मांग है कि उनके परिवार की आर्थिक मदद की जाए. परिवार को पेंशन दिया जाए. जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में आए परिवार के लोगों ने कहा कि खेती बाड़ी के लिए पर्याप्त जमीन नहीं है. किसी तरह से परिवार का गुजारा चल रहा है. शहीद गेंद सिंह के वंशज नीरशंकी ने कहा कि सरकार उनके परिवार की मदद के लिए आगे आए. गेंद सिंह के वंशज नीरशंकी टूटी फूटी हिंदी बोल पाते हैं. नीरशंकी ने अपनी बात अपने सहयोगी कृष्ण पाल राणा के जरिए कही. सहयोगी राणा ने बताया कि नीरशंकी का परिवार परलकोट में रहता है. परिवार की आर्थिक स्थिति दयनीय है. सरकार से इनको मदद की दरकार है.

शहीद गेंद सिंह के परिवार ने मांगी मदद: जनजातीय गौरव दिवस के आयोजन में शहीद गेंद सिंह के परिवार को भी आमंत्रित किया गया. गेंद सिंह के परिवार की ओर से नीरशंकी परलकोट से जनजातीय गौरव दिवस के आयोजन में शामिल होने पहुंचे थे. अपने सहयोगी के माध्यम से नीरशंकी ने कहा कि सरकार उनके परिवार को पेंशन दे तो उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो. परिवार के पास इतनी जमीन नहीं है कि खेती बाड़ी से उनका परिवार चल पाए.

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शहीद गेंद सिंह को दी गई थी फांसी: अंग्रेजी सेना की सहायता से 12 जनवरी, 1825 को गेंद सिंह और उसके साथियों को गिरफ्तार किया गया. इतिहास के मुताबिक पकड़े गए क्रांतिकारियों के साथ अंग्रेजों ने दमनकारी नीति अपनाई. माना जाता है 20 जनवरी 1825 को गेंद सिंह को उनके महल के सामने ही फांसी दे दी गई. अंग्रेजों के विरूद्व स्वतंत्रता का शंखनाद करने वाले शहीद गेंद सिंह बस्तर ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के पहले शहीद माने जाते हैं.

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