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देशभर में पहचान बना रही गंगानगरी गाजर, देसी जुगाड़ से होती है गाजर धुलाई, किसानों ने सरकार से मांगी मदद

श्रीगंगानगर के साधुवाली गांव की गाजर की देशभर में डिमांड है. इसकी वजह इसका रंग और मिठास. हालांकि किसानों को इन्हें धोने के लिए देसी जुगाड़ लगाना पड़ता है. उनकी मांग है कि सरकार सहायता करे, तो किसानों के दिन फिर सकते हैं.

demand of carrot cleaning machine
किसानों ने की गाजर मंडी की डिमांड
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 28, 2024, 5:06 PM IST

Updated : Jan 28, 2024, 5:21 PM IST

श्रीगंगानगर में गाजर मंडी और प्रोसेसिंग यूनिट की दरकार

श्रीगंगानगर. जिले के साधुवाली गांव की गाजर अपने रंग और मिठास के कारण देशभर में अलग पहचान बना रही है. इस गांव की पैदा हुई गाजर की देश भर में डिमांड है. इस गांव के किसानों का मुख्य कारोबार गाजर की फसल का है. यहां के किसानों की मांग है कि यदि उन्हें सरकारी स्तर पर सहायता मिले, तो इस कारोबार को और अधिक बढ़ावा मिलेगा.

उपजाऊ मिटटी से मिलती है अच्छी किस्म की गाजर: प्रगतिशील किसान मुकेश गोदारा ने बताया कि गांव साधुवाली के किसानों ने पिछले कुछ सालों से परंपरागत खेती के साथ-साथ गाजर के उत्पादन में दिलचस्पी दिखाई और देखते ही देखते ही सभी किसानों ने गाजर उत्पादन में अपना रुझान दिखाना शुरू किया. इस गांव की मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बेहतर होने के कारण गाजर में अधिक रस होता है और रंग लाल सुर्ख होता है. यही नहीं किसानों ने गाजर धोने के लिए देसी जुगाड़ बना लिए हैं, जिससे कम समय में बड़ी संख्या में गाजर की धुलाई हो जाती है. किसान गंगनहर के किनारे जुगाड़ के माध्यम से गाजर की धुलाई करते हैं.

पढ़ें: मशीन से होती है गाजरों की धुलाई, जुगाड़ तकनीक से बनाई देसी मशीन..दिनभर में धुल जाती है 60-70 क्विंटल गाजर

देश के कई हिस्सों में होती है सप्लाई: साधुवाली गांव में गाजर की मंडी लगाई जाती है और गाजर धुलाई के बाद पैकिंग की जाती है. गाजर के व्यापारी देश के कई हिस्सों से आते हैं और गाजर खरीदते हैं. किसानों की मांग है कि अस्थायी गाजर मंडी की जगह यदि सरकारी स्तर पर सहायता मिले, तो स्थायी गाजर मंडी की स्थापना हो जाए, जिससे यहां के किसानों को और अधिक बढ़ावा मिलेगा.

पढ़ें: श्रीगंगानगर में गाजर मंडी को लेकर किसानों ने निकाला ट्रैक्टर मार्च

किसानों को मिलता है जुगाड़ के लिए अनुदान: सहायक निदेशक उद्यान प्रीती गर्ग का कहना है कि यहां नहर का पानी भरपूर मिलता है. सर्दियों के कारण भूमि में नमी अधिक रहती है और ठंड से गाजर में मिठास व रंग, दोनों अच्छे आते हैं. उनका कहना है कि किसानों को देसी जुगाड़ के लिए विभाग की तरफ से अनुदान दिया जाता है. बकौल प्रीती गर्ग यदि किसानों को सरकारी स्तर पर और सहायता मिले तो गाजर की खेतो को और अधिक बढ़ावा मिल सकता है.

पढ़ें: Special: श्रीगंगानगर में गाजर मंडी की घोषणा से बदल सकती है किसानों की दशा, बजट 2021 से है उम्मीद

विधायक करेंगे गाजर मंडी के लिए प्रयास: वहीं सादुलशहर विधायक गुरवीर सिंह बराड़ का कहना है कि पिछली भाजपा सरकार ने गाजर मंडी के लिए प्रयास किये थे, लेकिन कांग्रेस सरकार आने के बाद कोई कार्य नहीं हुआ. उनका कहना है कि अब एक बार फिर से भाजपा की सरकार आयी है. ऐसे में गाजर मंडी की स्थापना के साथ-साथ प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना के लिए भी प्रयास किए जाएंगे.

श्रीगंगानगर में गाजर मंडी और प्रोसेसिंग यूनिट की दरकार

श्रीगंगानगर. जिले के साधुवाली गांव की गाजर अपने रंग और मिठास के कारण देशभर में अलग पहचान बना रही है. इस गांव की पैदा हुई गाजर की देश भर में डिमांड है. इस गांव के किसानों का मुख्य कारोबार गाजर की फसल का है. यहां के किसानों की मांग है कि यदि उन्हें सरकारी स्तर पर सहायता मिले, तो इस कारोबार को और अधिक बढ़ावा मिलेगा.

उपजाऊ मिटटी से मिलती है अच्छी किस्म की गाजर: प्रगतिशील किसान मुकेश गोदारा ने बताया कि गांव साधुवाली के किसानों ने पिछले कुछ सालों से परंपरागत खेती के साथ-साथ गाजर के उत्पादन में दिलचस्पी दिखाई और देखते ही देखते ही सभी किसानों ने गाजर उत्पादन में अपना रुझान दिखाना शुरू किया. इस गांव की मिट्टी की उपजाऊ क्षमता बेहतर होने के कारण गाजर में अधिक रस होता है और रंग लाल सुर्ख होता है. यही नहीं किसानों ने गाजर धोने के लिए देसी जुगाड़ बना लिए हैं, जिससे कम समय में बड़ी संख्या में गाजर की धुलाई हो जाती है. किसान गंगनहर के किनारे जुगाड़ के माध्यम से गाजर की धुलाई करते हैं.

पढ़ें: मशीन से होती है गाजरों की धुलाई, जुगाड़ तकनीक से बनाई देसी मशीन..दिनभर में धुल जाती है 60-70 क्विंटल गाजर

देश के कई हिस्सों में होती है सप्लाई: साधुवाली गांव में गाजर की मंडी लगाई जाती है और गाजर धुलाई के बाद पैकिंग की जाती है. गाजर के व्यापारी देश के कई हिस्सों से आते हैं और गाजर खरीदते हैं. किसानों की मांग है कि अस्थायी गाजर मंडी की जगह यदि सरकारी स्तर पर सहायता मिले, तो स्थायी गाजर मंडी की स्थापना हो जाए, जिससे यहां के किसानों को और अधिक बढ़ावा मिलेगा.

पढ़ें: श्रीगंगानगर में गाजर मंडी को लेकर किसानों ने निकाला ट्रैक्टर मार्च

किसानों को मिलता है जुगाड़ के लिए अनुदान: सहायक निदेशक उद्यान प्रीती गर्ग का कहना है कि यहां नहर का पानी भरपूर मिलता है. सर्दियों के कारण भूमि में नमी अधिक रहती है और ठंड से गाजर में मिठास व रंग, दोनों अच्छे आते हैं. उनका कहना है कि किसानों को देसी जुगाड़ के लिए विभाग की तरफ से अनुदान दिया जाता है. बकौल प्रीती गर्ग यदि किसानों को सरकारी स्तर पर और सहायता मिले तो गाजर की खेतो को और अधिक बढ़ावा मिल सकता है.

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विधायक करेंगे गाजर मंडी के लिए प्रयास: वहीं सादुलशहर विधायक गुरवीर सिंह बराड़ का कहना है कि पिछली भाजपा सरकार ने गाजर मंडी के लिए प्रयास किये थे, लेकिन कांग्रेस सरकार आने के बाद कोई कार्य नहीं हुआ. उनका कहना है कि अब एक बार फिर से भाजपा की सरकार आयी है. ऐसे में गाजर मंडी की स्थापना के साथ-साथ प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना के लिए भी प्रयास किए जाएंगे.

Last Updated : Jan 28, 2024, 5:21 PM IST
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