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Delhi Triple Murder Case की खुली गुत्थी, जानें मनोचिकित्सक ने क्या कहा ? - DELHI TRIPLE MURDER CASE

-दिल्ली में ट्रिपल मर्डर केस का खुलासा. -बेटा ने बताया क्यों की मां-बाप और बहन की हत्या - मर्डर केस मनोचिकित्सक की प्रतिक्रिया

डॉ एके विश्वकर्मा मनोचिकित्सक की प्रतिक्रिया
डॉ एके विश्वकर्मा मनोचिकित्सक की प्रतिक्रिया (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 5, 2024, 5:20 PM IST

नई दिल्लीः बुधवार सवेरे दिल्ली के नेब सराय के एक ही परिवार की तीन लोगों की चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई थी. फिलहाल ट्रिपल मर्डर केस का खुलासा होने के बाद लोग हैरान हैं. लोगों के लिए यकीन करना मुश्किल हो रहा है कि एक बेटा कैसे अपने मां-बाप और बहन का कातिल हो सकता है. हालांकि सच्चाई यही है. फिलहाल युवक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.

मनोचिकित्सक डॉ एके विश्वकर्मा बताते हैं कि युवक पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से पहले यह समझना बेहद जरूरी है कि युवक का बैकग्राउंड किस तरह का रहा है. उसकी शैक्षिक योग्यता क्या है? और कैसा फ्रेंड सर्कल है. युवक किसी प्रकार के नशे का सेवन तो नहीं करता था. इन तमाम पहलुओं पर जानकारी मिलने के बाद ही युवक की मानसिक स्थिति पर कुछ कमेंट करना ठीक होगा.

डॉ एके विश्वकर्मा मनोचिकित्सक की प्रतिक्रिया (ETV Bharat)

अचानक कोई मानसिक स्थिति नहीं होती डेवलप: डॉ एके विश्वकर्मा बताते हैं कि सामान्य तौर पर बात करें तो मां-बाप द्वारा एक दो बार डांटने पर कोई भी युवक इतना बड़ा कदम नहीं उठा सकता है. अचानक से कोई भी युवक इस तरह की मानसिक स्थिति में नहीं पहुंच सकता है. संभावना है कि बचपन से ही उसे कुछ ऐसा माहौल मिला जिसने उसे बेहद नकारात्मक मानसिकता से ग्रसित कर दिया. अचानक से किसी की मानसिकता में इतना बड़ा परिवर्तन नहीं आ सकता. धीरे-धीरे युवक की मानसिकता में परिवर्तन हुआ होगा.

मां-बाप को बच्चों के फ्रेंड सर्कल का जानना बेहद जरूरी: डॉ विश्वकर्मा बताते हैं कि मौजूदा दौर में हालत बहुत बदल चुके हैं. मां-बाप को अपने बच्चों के साथ अधिक समय बिताना चाहिए और उन्हें समझना चाहिए. बच्चों से बातचीत कर समझना चाहिए कि आखिर बच्चा क्या करना चाहता है. किस क्षेत्र में उसकी रुचि है. बच्चों के फ्रेंड सर्कल के बारे में मां-बाप को जानकारी होना भी बेहद जरूरी है. बच्चों की डिजिटल लाइफ से लेकर सोशल लाइफ तक मां-बाप को सुपरविजन रखना चाहिए. समय-समय पर स्कूल से भी अपने बच्चों का फीडबैक लेते रहना चाहिए.

किसी भी प्रकार के विचार डेवलज होने में काफी समय लगता: कोई भी बच्चा अचानक से एंटी फैमिली थॉट डेवलप नहीं करता है. इन सब चीजों में काफी समय लगता है. बच्चों के जीवन में कई ऐसे एपिसोड हुए होते हैं जो कि उसके विचार को बदल देते हैं. हालांकि अगर शुरूआत से ही बच्चे को अच्छी परवरिश दी जाए तो बच्चा सकारात्मक मानसिकता के साथ युवा अवस्था में प्रवेश करता है. सकारात्मक मानसिकता के साथ हर क्षेत्र में काम करने पर सकारात्मक परिणाम हासिल होते हैं.

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नई दिल्लीः बुधवार सवेरे दिल्ली के नेब सराय के एक ही परिवार की तीन लोगों की चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई थी. फिलहाल ट्रिपल मर्डर केस का खुलासा होने के बाद लोग हैरान हैं. लोगों के लिए यकीन करना मुश्किल हो रहा है कि एक बेटा कैसे अपने मां-बाप और बहन का कातिल हो सकता है. हालांकि सच्चाई यही है. फिलहाल युवक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.

मनोचिकित्सक डॉ एके विश्वकर्मा बताते हैं कि युवक पर किसी भी प्रकार की टिप्पणी करने से पहले यह समझना बेहद जरूरी है कि युवक का बैकग्राउंड किस तरह का रहा है. उसकी शैक्षिक योग्यता क्या है? और कैसा फ्रेंड सर्कल है. युवक किसी प्रकार के नशे का सेवन तो नहीं करता था. इन तमाम पहलुओं पर जानकारी मिलने के बाद ही युवक की मानसिक स्थिति पर कुछ कमेंट करना ठीक होगा.

डॉ एके विश्वकर्मा मनोचिकित्सक की प्रतिक्रिया (ETV Bharat)

अचानक कोई मानसिक स्थिति नहीं होती डेवलप: डॉ एके विश्वकर्मा बताते हैं कि सामान्य तौर पर बात करें तो मां-बाप द्वारा एक दो बार डांटने पर कोई भी युवक इतना बड़ा कदम नहीं उठा सकता है. अचानक से कोई भी युवक इस तरह की मानसिक स्थिति में नहीं पहुंच सकता है. संभावना है कि बचपन से ही उसे कुछ ऐसा माहौल मिला जिसने उसे बेहद नकारात्मक मानसिकता से ग्रसित कर दिया. अचानक से किसी की मानसिकता में इतना बड़ा परिवर्तन नहीं आ सकता. धीरे-धीरे युवक की मानसिकता में परिवर्तन हुआ होगा.

मां-बाप को बच्चों के फ्रेंड सर्कल का जानना बेहद जरूरी: डॉ विश्वकर्मा बताते हैं कि मौजूदा दौर में हालत बहुत बदल चुके हैं. मां-बाप को अपने बच्चों के साथ अधिक समय बिताना चाहिए और उन्हें समझना चाहिए. बच्चों से बातचीत कर समझना चाहिए कि आखिर बच्चा क्या करना चाहता है. किस क्षेत्र में उसकी रुचि है. बच्चों के फ्रेंड सर्कल के बारे में मां-बाप को जानकारी होना भी बेहद जरूरी है. बच्चों की डिजिटल लाइफ से लेकर सोशल लाइफ तक मां-बाप को सुपरविजन रखना चाहिए. समय-समय पर स्कूल से भी अपने बच्चों का फीडबैक लेते रहना चाहिए.

किसी भी प्रकार के विचार डेवलज होने में काफी समय लगता: कोई भी बच्चा अचानक से एंटी फैमिली थॉट डेवलप नहीं करता है. इन सब चीजों में काफी समय लगता है. बच्चों के जीवन में कई ऐसे एपिसोड हुए होते हैं जो कि उसके विचार को बदल देते हैं. हालांकि अगर शुरूआत से ही बच्चे को अच्छी परवरिश दी जाए तो बच्चा सकारात्मक मानसिकता के साथ युवा अवस्था में प्रवेश करता है. सकारात्मक मानसिकता के साथ हर क्षेत्र में काम करने पर सकारात्मक परिणाम हासिल होते हैं.

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