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तीन हजार रुपए में बनाते थे फर्जी जातिप्रमाण पत्र, द‍िल्‍ली में पकड़ा गया गैंग, तहसीलदार समेत 4 अरेस्ट - Fake Caste Certificates Racket

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jun 14, 2024, 2:01 PM IST

Fake Caste Certificates Racket: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. इसके साथ ही 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया है इनके पास से सैकड़ों फर्जी प्रमाण पत्र भी बरामद हुए हैं.

फर्जी SC/ST सर्ट‍िफ‍िकेट बनाने वाले रैकेट का भंडाफोड़
फर्जी SC/ST सर्ट‍िफ‍िकेट बनाने वाले रैकेट का भंडाफोड़ (SOURCE: ETV BHARAT)

नई द‍िल्‍ली: द‍िल्‍ली पुल‍िस की सेंट्रल रेंज की क्राइम ब्रांच टीम ने फर्जी तरीके से SC/ST और OBC सर्टिफिकेट फर्जी तरीके से बनाने वाले रैकेट का पर्दाफाश किया है. ये रैकेट फर्जी तरीके से जात‍ि प्रमाण पत्र बनाया करता था. इस मामले में टीम ने दिल्ली कैंट के राजस्‍व व‍िभाग के एक एग्‍जीक्‍यूट‍िव मजिस्ट्रेट (तहसीलदार) समेत चार लोगों की गिरफ्तार क‍िया है. यह रैकेट गैर-आरक्षित (NON RESERVED CATEGORY) श्रेणियों के आवेदकों को फर्जी तरीके से सर्ट‍िफ‍िकेट बनाने से लेकर उनको जारी करने तक का संगठ‍ित गोरखधंधा चला रहा था.

3000 से 3500 रुपये में बनाते थे फर्जी जाति प्रमाण पत्र

क्राइम ब्रांच की शुरुआती जांच के दौरान ऐसे सैकड़ों से ज्‍यादा अवैध प्रमाणपत्र बरामद किए गए हैं. ओबीसी सर्ट‍िफ‍िकेट जारी करने के लिए आवेदक से 3,000 से 3,500 रुपये तक वसूलते थे.

पुलिस ऐसे पहुंची आरोपियों तक (मार्च 2024 में शुरू हुआ ऑपरेशन)

डीसीपी क्राइम-II राकेश पावर‍िया ने बताया क‍ि गैर-योग्य उम्मीदवारों को अवैध रूप से जाति प्रमाण पत्र जारी करने वाले एक रैकेट/गिरोह के बारे में अपराध की सूचना सेंट्रल रेंज के इंस्पेक्टर सुनील कालखंडे को मिली. इस जानकारी को वेर‍िफाई और प्रमाणित करने के लिए 13 मार्च 2024 को इंस्पेक्‍टर सुनील कुमार कालखंडे ने एक फर्जी आवेदक को, जो सामान्य श्रेणी का है, ओबीसी सर्ट‍िफ‍िकेट बनवाने के ल‍िए एक संदिग्ध व्यक्ति के पास भेजा. उसको द‍िल्‍ली सरकार के राजस्व विभाग की ओर से ओबीसी प्रमाणपत्र जारी किया गया था. इस सर्ट‍िफ‍िकेट के लिए आरोपियों ने उससे 3500 रुपये वसूले थे. इस सर्ट‍िफ‍िकेट को दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग की वेबसाइट पर भी अपलोड किया गया था.

टीम ने 20 मार्च 2024 को, सामान्य श्रेणी से संबंधित एक और नकली आवेदक को ओबीसी सर्ट‍िफ‍िकेट बनवाने को भेजा. उससे उन्‍होंने 3,000 रुपये लेने के बाद ओबीसी सर्ट‍िफ‍िकेट जारी कर द‍िया. इसको भी दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग की वेबसाइट पर अपलोड कर द‍िया गया. दोनों फर्जी आवेदकों ने कथित व्यक्ति के खाते में ऑनलाइन मोड के जर‍िये पेमेंट की थी, ज‍िसमें खाते की ट्रांजेक्शन डिटेल भी थी. इसको प्राप्‍त कर ल‍िया गया. इन दोनों केस से जुड़े सबूतों, फर्जी आवेदकों और मुखबिर की जानकारी के आधार परइंस्पेक्टर सुनील कालखंडे के नेतृत्‍व में एक टीम बनाई गई.

इंस्पेक्टर सुनील कालखंडे के नेतृत्‍व में एक टीम बनाई गई. इसमें एसआई संजय राणा, एसआई सुभाष चंद, एसआई बीरपाल, हेड कांस्‍टेबल जय सिंह, हेड कांस्‍टेबल समंदर, हेड कांस्‍टेबल प्रवीण, हेड कांस्‍टेबल रौशन, हेड कांस्‍टेबल विजय सिंह और मह‍िला कांस्‍टेबल शबाना को शामिल क‍िया गया. दिल्ली सरकार से अवैध रूप से जाति प्रमाण पत्र प्रदान करने के रैकेट का संचालन करने के पीछे रहने वाले शख्‍स को पकड़ने के लिए एक ऑपरेशन चलाया गया.

9 मई 2024 को संगम विहार में जाल बिछाया
क्राइम ब्रांच की टीम ने 9 मई 2024 को संगम विहार इलाके में जाल बिछाया और इस ग‍िरोह में शाम‍िल एक 30 वर्षीय संगम विहार निवासी सौरभ गुप्ता को पकड़ लिया. उसके मोबाइल फोन डेटा की जांच करने पर फर्जी आवेदकों और उसके बीच हुई चैट का पता चला. इसके अलावा उसके मोबाइल फोन डेटा में कई दस्तावेजों के स्नैपशॉट और पीडीएफ फाइलें भी मिलीं. वह उक्त दस्तावेजों के बारे में कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं दे सका.

ऐसे हुई मामले में पहली गिरफ्तारी

पुल‍िस टीम ने उससे लगातार पूछताछ की तो वह टूट गया और स्वीकार किया कि उसने कार्यकारी मजिस्ट्रेट कार्यालय, राजस्व विभाग (दिल्ली कैंट) से नकली आवेदकों को ओबीसी प्रमाणपत्र जारी किए थे. इसके बाद क्राइम ब्रांच थाने में 10 मई 2024 को आईपीसी की अलग-अलग धाराओं 420/468/120बी के तहत मामला दर्ज किया गया और आगे की जांच की गई. इस मामले में आरोपी सौरभ गुप्ता को गिरफ्तार कर ल‍िया गया.

14 मई 2024 को हुई दूसरी गिरफ्तारी
आगे की जांच के दौरान सह आरोपी चेतन यादव, जो कॉन्‍ट्रेक्‍टर के जर‍िए दिल्ली कैंट के तहसीलदार के कार्यालय में कार्यरत था को 14 मई को ग‍िरफ्तार क‍िया गया.

तीसरी और चौथी गिरफ्तारी

वहीं ड्राइवर वारिस अली को 22 मई को तो नर‍िंदर पाल स‍िंह (एग्‍जीक्‍यूट‍िव मज‍िस्‍ट्रेट) तहसीलदार को 27 मई को अरेस्‍ट क‍िया गया.

ऐसे होता था फर्जी सर्टिफिकेट का सौदा

पूछताछ के दौरान आरोपी सौरभ गुप्ता ने खुलासा किया कि जनवरी, 2024 के महीने में वह एक ठेकेदार के जर‍िए चेतन यादव नामक व्यक्ति के संपर्क में आया, जो पहले तहसीलदार, दिल्ली कैंट के कार्यालय में दिल्ली सरकार के हेल्पलाइन नंबर 1076 सर्व‍िस प्रोवाइडर के तौर पर काम करता था और वारिस अली के माध्यम से जो नरेंद्र पाल सिंह (कार्यकारी मजिस्ट्रेट), तहसील अधिकारी, दिल्ली कैंट का ड्राइवर था.

मोटा पैसा कमाने के लालच में शुरू किया गोरखधंधा

इन सभी ने राजस्व विभाग से विभिन्न प्रकार के जारी होने वाले सर्ट‍िफ‍िकेट की एवज में मोटा पैसा कमाने की योजना बनाई. वह राजस्व विभाग, सरकार की वेबसाइट पर उम्मीदवार की ओर से प्रमाण पत्र जारी करने के लिए आवेदन करता था. इसके बाद दिल्ली के अपने फर्जी दस्तावेज जैसे निवासी प्रमाण, रिश्तेदार के परिवार के किसी अन्य सदस्य का जाति प्रमाण पत्र और पहचान दस्तावेज अपलोड कर देता था. इसके बाद वह आवेदक और आवेदन संख्या आदि की ड‍िटेल को चेतन यादव को साझा करता था और ऐसे केस के बदले उसको रकम ट्रांसफर करता था.

वेबसाइट पर भी अपलोड होते थे फर्जी सर्टिफिकेट
आरोपी चेतन यादव कार्यकारी मजिस्ट्रेट नरिंदर पाल सिंह के सिविलियन ड्राइवर वारिस अली को आवेदक और आवेदन संख्या की ड‍िटेल को आगे भेजकर उसके साथ साझा करता था. वह अपना ह‍िस्‍सा काटकर पैसा भी ट्रांसफर कर देता था. इसके बाद, आरोपी वारिस अली कार्यकारी मजिस्ट्रेट के डीएस (डिजिटल हस्ताक्षर) का इस्‍तेमाल करके केस को एप्रूव कर देता था और कार्यकारी मजिस्ट्रेट (तहसीलदार) को रकम का भुगतान करने के बाद वेबसाइट पर सर्ट‍िफ‍िकेट अपलोड कर देता था.

10वीं पास है आरोपी सौरभ गुप्ता
आरोपी सौरभ गुप्ता संगम विहार का रहने वाला है. उसने 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की है. वह पहले सब्जी बेचने का काम करता था. शादीशुदा है और उसके दो बच्चे हैं. इसके अलावा दूसरा आरोपी चेतन यादव है जो पर‍िवार के साथ बागडौला, दिल्ली में रहता है. वह एक आउटसोर्स कर्मचारी है और दिल्ली कैंट कार्यालय में दिल्ली सरकार की हेल्प लाइन नंबर 1076 पर ड्यूटी करता है.

ग‍िरफ्तार तीसरा आरोपी वारिस अली मंडोली एक्सटेंशन का रहने वाला है. वह यूपी के म‍िर्जापुर यूपी का रहने वाला है. 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली आ गया. साल 2017 से मार्च 2023 की अवधि के दौरान, उसने सीपीडब्ल्यूडी कार्यालय में कॉन्‍ट्रेक्‍टर के जर‍िए आर.के. पुरम में डाटा एंट्री ऑपरेटर के रूप में काम किया. बाद में वह दिल्ली कैंट के तहसीलदार नरेन्द्र पाल सिंह के संपर्क में आया जिसने उसे प्राइवेट ड्राइवर के तौर पर अपने साथ जोड़ लिया था.

चौथा आरोपी नरेंद्र पाल सिंह को 1991 में सीजी केस के रूप में एलडीसी के रूप में नियुक्त किया गया था. मार्च, 2023 में, वह प्रमोट होकर तहसीलदार/कार्यकारी मजिस्ट्रेट, दिल्ली कैंट, राजस्व विभाग, द‍िल्‍ली सरकार के रूप में तैनात किया गया.

क्राइम ब्रांच की टीम ने आरोपी वारिस अली के पास से एक लैपटॉप व मोबाइल फोन बरामद क‍िया है. आरोपी सौरभ गुप्ता के पास से 5 हार्ड ड्राइव डिस्क (एचडीडी) और 2 स्लाइड स्टेट ड्राइव (एसएसडी), पंपलेट और मोबाइल फोन बरामद क‍िए हैं. 2 हार्ड ड्राइव डिस्क (एचडीडी) और 2 स्लाइड स्टेट ड्राइव (एसएसडी), 1 डीएस (डिजिटल सिग्नेचर) और तहसील कार्यालय दिल्ली कैंट की ओर से अवैध रूप से जारी किए गए सैकड़ों से अधिक जाति प्रमाण पत्र बरामद क‍िए हैं. इसके अलावा तहसीलदार नरिंदर पाल सिंह का मोबाइल फोन भी बरामद क‍िया गया है. इस अवधि के दौरान जारी किए गए 111 जाति प्रमाणपत्रों की प्रामाणिकता को सत्यापित करने के लिए आगे की जांच जारी है.

ये भी पढ़ें- कोर्ट के सामने CM केजरीवाल की मांग, मेडिकल जांच के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग से मौजूद रहें पत्नी सुनीता - ARVIND KEJRIWAL

नई द‍िल्‍ली: द‍िल्‍ली पुल‍िस की सेंट्रल रेंज की क्राइम ब्रांच टीम ने फर्जी तरीके से SC/ST और OBC सर्टिफिकेट फर्जी तरीके से बनाने वाले रैकेट का पर्दाफाश किया है. ये रैकेट फर्जी तरीके से जात‍ि प्रमाण पत्र बनाया करता था. इस मामले में टीम ने दिल्ली कैंट के राजस्‍व व‍िभाग के एक एग्‍जीक्‍यूट‍िव मजिस्ट्रेट (तहसीलदार) समेत चार लोगों की गिरफ्तार क‍िया है. यह रैकेट गैर-आरक्षित (NON RESERVED CATEGORY) श्रेणियों के आवेदकों को फर्जी तरीके से सर्ट‍िफ‍िकेट बनाने से लेकर उनको जारी करने तक का संगठ‍ित गोरखधंधा चला रहा था.

3000 से 3500 रुपये में बनाते थे फर्जी जाति प्रमाण पत्र

क्राइम ब्रांच की शुरुआती जांच के दौरान ऐसे सैकड़ों से ज्‍यादा अवैध प्रमाणपत्र बरामद किए गए हैं. ओबीसी सर्ट‍िफ‍िकेट जारी करने के लिए आवेदक से 3,000 से 3,500 रुपये तक वसूलते थे.

पुलिस ऐसे पहुंची आरोपियों तक (मार्च 2024 में शुरू हुआ ऑपरेशन)

डीसीपी क्राइम-II राकेश पावर‍िया ने बताया क‍ि गैर-योग्य उम्मीदवारों को अवैध रूप से जाति प्रमाण पत्र जारी करने वाले एक रैकेट/गिरोह के बारे में अपराध की सूचना सेंट्रल रेंज के इंस्पेक्टर सुनील कालखंडे को मिली. इस जानकारी को वेर‍िफाई और प्रमाणित करने के लिए 13 मार्च 2024 को इंस्पेक्‍टर सुनील कुमार कालखंडे ने एक फर्जी आवेदक को, जो सामान्य श्रेणी का है, ओबीसी सर्ट‍िफ‍िकेट बनवाने के ल‍िए एक संदिग्ध व्यक्ति के पास भेजा. उसको द‍िल्‍ली सरकार के राजस्व विभाग की ओर से ओबीसी प्रमाणपत्र जारी किया गया था. इस सर्ट‍िफ‍िकेट के लिए आरोपियों ने उससे 3500 रुपये वसूले थे. इस सर्ट‍िफ‍िकेट को दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग की वेबसाइट पर भी अपलोड किया गया था.

टीम ने 20 मार्च 2024 को, सामान्य श्रेणी से संबंधित एक और नकली आवेदक को ओबीसी सर्ट‍िफ‍िकेट बनवाने को भेजा. उससे उन्‍होंने 3,000 रुपये लेने के बाद ओबीसी सर्ट‍िफ‍िकेट जारी कर द‍िया. इसको भी दिल्ली सरकार के राजस्व विभाग की वेबसाइट पर अपलोड कर द‍िया गया. दोनों फर्जी आवेदकों ने कथित व्यक्ति के खाते में ऑनलाइन मोड के जर‍िये पेमेंट की थी, ज‍िसमें खाते की ट्रांजेक्शन डिटेल भी थी. इसको प्राप्‍त कर ल‍िया गया. इन दोनों केस से जुड़े सबूतों, फर्जी आवेदकों और मुखबिर की जानकारी के आधार परइंस्पेक्टर सुनील कालखंडे के नेतृत्‍व में एक टीम बनाई गई.

इंस्पेक्टर सुनील कालखंडे के नेतृत्‍व में एक टीम बनाई गई. इसमें एसआई संजय राणा, एसआई सुभाष चंद, एसआई बीरपाल, हेड कांस्‍टेबल जय सिंह, हेड कांस्‍टेबल समंदर, हेड कांस्‍टेबल प्रवीण, हेड कांस्‍टेबल रौशन, हेड कांस्‍टेबल विजय सिंह और मह‍िला कांस्‍टेबल शबाना को शामिल क‍िया गया. दिल्ली सरकार से अवैध रूप से जाति प्रमाण पत्र प्रदान करने के रैकेट का संचालन करने के पीछे रहने वाले शख्‍स को पकड़ने के लिए एक ऑपरेशन चलाया गया.

9 मई 2024 को संगम विहार में जाल बिछाया
क्राइम ब्रांच की टीम ने 9 मई 2024 को संगम विहार इलाके में जाल बिछाया और इस ग‍िरोह में शाम‍िल एक 30 वर्षीय संगम विहार निवासी सौरभ गुप्ता को पकड़ लिया. उसके मोबाइल फोन डेटा की जांच करने पर फर्जी आवेदकों और उसके बीच हुई चैट का पता चला. इसके अलावा उसके मोबाइल फोन डेटा में कई दस्तावेजों के स्नैपशॉट और पीडीएफ फाइलें भी मिलीं. वह उक्त दस्तावेजों के बारे में कोई भी संतोषजनक जवाब नहीं दे सका.

ऐसे हुई मामले में पहली गिरफ्तारी

पुल‍िस टीम ने उससे लगातार पूछताछ की तो वह टूट गया और स्वीकार किया कि उसने कार्यकारी मजिस्ट्रेट कार्यालय, राजस्व विभाग (दिल्ली कैंट) से नकली आवेदकों को ओबीसी प्रमाणपत्र जारी किए थे. इसके बाद क्राइम ब्रांच थाने में 10 मई 2024 को आईपीसी की अलग-अलग धाराओं 420/468/120बी के तहत मामला दर्ज किया गया और आगे की जांच की गई. इस मामले में आरोपी सौरभ गुप्ता को गिरफ्तार कर ल‍िया गया.

14 मई 2024 को हुई दूसरी गिरफ्तारी
आगे की जांच के दौरान सह आरोपी चेतन यादव, जो कॉन्‍ट्रेक्‍टर के जर‍िए दिल्ली कैंट के तहसीलदार के कार्यालय में कार्यरत था को 14 मई को ग‍िरफ्तार क‍िया गया.

तीसरी और चौथी गिरफ्तारी

वहीं ड्राइवर वारिस अली को 22 मई को तो नर‍िंदर पाल स‍िंह (एग्‍जीक्‍यूट‍िव मज‍िस्‍ट्रेट) तहसीलदार को 27 मई को अरेस्‍ट क‍िया गया.

ऐसे होता था फर्जी सर्टिफिकेट का सौदा

पूछताछ के दौरान आरोपी सौरभ गुप्ता ने खुलासा किया कि जनवरी, 2024 के महीने में वह एक ठेकेदार के जर‍िए चेतन यादव नामक व्यक्ति के संपर्क में आया, जो पहले तहसीलदार, दिल्ली कैंट के कार्यालय में दिल्ली सरकार के हेल्पलाइन नंबर 1076 सर्व‍िस प्रोवाइडर के तौर पर काम करता था और वारिस अली के माध्यम से जो नरेंद्र पाल सिंह (कार्यकारी मजिस्ट्रेट), तहसील अधिकारी, दिल्ली कैंट का ड्राइवर था.

मोटा पैसा कमाने के लालच में शुरू किया गोरखधंधा

इन सभी ने राजस्व विभाग से विभिन्न प्रकार के जारी होने वाले सर्ट‍िफ‍िकेट की एवज में मोटा पैसा कमाने की योजना बनाई. वह राजस्व विभाग, सरकार की वेबसाइट पर उम्मीदवार की ओर से प्रमाण पत्र जारी करने के लिए आवेदन करता था. इसके बाद दिल्ली के अपने फर्जी दस्तावेज जैसे निवासी प्रमाण, रिश्तेदार के परिवार के किसी अन्य सदस्य का जाति प्रमाण पत्र और पहचान दस्तावेज अपलोड कर देता था. इसके बाद वह आवेदक और आवेदन संख्या आदि की ड‍िटेल को चेतन यादव को साझा करता था और ऐसे केस के बदले उसको रकम ट्रांसफर करता था.

वेबसाइट पर भी अपलोड होते थे फर्जी सर्टिफिकेट
आरोपी चेतन यादव कार्यकारी मजिस्ट्रेट नरिंदर पाल सिंह के सिविलियन ड्राइवर वारिस अली को आवेदक और आवेदन संख्या की ड‍िटेल को आगे भेजकर उसके साथ साझा करता था. वह अपना ह‍िस्‍सा काटकर पैसा भी ट्रांसफर कर देता था. इसके बाद, आरोपी वारिस अली कार्यकारी मजिस्ट्रेट के डीएस (डिजिटल हस्ताक्षर) का इस्‍तेमाल करके केस को एप्रूव कर देता था और कार्यकारी मजिस्ट्रेट (तहसीलदार) को रकम का भुगतान करने के बाद वेबसाइट पर सर्ट‍िफ‍िकेट अपलोड कर देता था.

10वीं पास है आरोपी सौरभ गुप्ता
आरोपी सौरभ गुप्ता संगम विहार का रहने वाला है. उसने 10वीं कक्षा तक पढ़ाई की है. वह पहले सब्जी बेचने का काम करता था. शादीशुदा है और उसके दो बच्चे हैं. इसके अलावा दूसरा आरोपी चेतन यादव है जो पर‍िवार के साथ बागडौला, दिल्ली में रहता है. वह एक आउटसोर्स कर्मचारी है और दिल्ली कैंट कार्यालय में दिल्ली सरकार की हेल्प लाइन नंबर 1076 पर ड्यूटी करता है.

ग‍िरफ्तार तीसरा आरोपी वारिस अली मंडोली एक्सटेंशन का रहने वाला है. वह यूपी के म‍िर्जापुर यूपी का रहने वाला है. 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली आ गया. साल 2017 से मार्च 2023 की अवधि के दौरान, उसने सीपीडब्ल्यूडी कार्यालय में कॉन्‍ट्रेक्‍टर के जर‍िए आर.के. पुरम में डाटा एंट्री ऑपरेटर के रूप में काम किया. बाद में वह दिल्ली कैंट के तहसीलदार नरेन्द्र पाल सिंह के संपर्क में आया जिसने उसे प्राइवेट ड्राइवर के तौर पर अपने साथ जोड़ लिया था.

चौथा आरोपी नरेंद्र पाल सिंह को 1991 में सीजी केस के रूप में एलडीसी के रूप में नियुक्त किया गया था. मार्च, 2023 में, वह प्रमोट होकर तहसीलदार/कार्यकारी मजिस्ट्रेट, दिल्ली कैंट, राजस्व विभाग, द‍िल्‍ली सरकार के रूप में तैनात किया गया.

क्राइम ब्रांच की टीम ने आरोपी वारिस अली के पास से एक लैपटॉप व मोबाइल फोन बरामद क‍िया है. आरोपी सौरभ गुप्ता के पास से 5 हार्ड ड्राइव डिस्क (एचडीडी) और 2 स्लाइड स्टेट ड्राइव (एसएसडी), पंपलेट और मोबाइल फोन बरामद क‍िए हैं. 2 हार्ड ड्राइव डिस्क (एचडीडी) और 2 स्लाइड स्टेट ड्राइव (एसएसडी), 1 डीएस (डिजिटल सिग्नेचर) और तहसील कार्यालय दिल्ली कैंट की ओर से अवैध रूप से जारी किए गए सैकड़ों से अधिक जाति प्रमाण पत्र बरामद क‍िए हैं. इसके अलावा तहसीलदार नरिंदर पाल सिंह का मोबाइल फोन भी बरामद क‍िया गया है. इस अवधि के दौरान जारी किए गए 111 जाति प्रमाणपत्रों की प्रामाणिकता को सत्यापित करने के लिए आगे की जांच जारी है.

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