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दिल्ली नर्सेज फेडरेशन 27 फरवरी को करेंगे सचिवालय का घेराव, स्थाई करने की मांग

Delhi Nurses Federation surround Secretariat: दिल्ली सरकार के अस्पताल में नर्सों को स्थाई न करने और नर्सों की आउटसोर्सिंग करने के विरोध में दिल्ली नर्सेज फेडरेशन 27 फरवरी को सचिवालय का घेराव करेगा. इस बात की जानकारी फेडरेशन के महासचिव ने दी.

Delhi Nurses Federation
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 25, 2024, 11:07 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के अस्पतालों में करीब तीन हजार नर्स पिछले 10-15 सालों से अनुबंध पर काम कर रही हैं. ये खुद को स्थाई करने की लंबे समय से मांग कर रहे हैं. इसके लिए कई बार धरना प्रदर्शन, सचिवालय घेराव और विधानसभा घेराव किया जा चुका है. लेकिन दिल्ली सरकार ने कई बार वादा कर के भी उनको स्थाई नहीं किया. दिल्ली नर्सेज फेडरेशन के महासचिव लीलाधर रामचंदानी ने बताया कि फेडरेशन एक बार फिर अस्थाई नर्सो को स्थाई करने संबंधी मांगों को लेकर लांमबंद हैं.

उन्होंने कहा कि 27 फरवरी को दिल्ली नर्सेज फेडरेशन दिल्ली सचिवालय का घेराव करेगा. पिछले 10 साल में दिल्ली में इंदिरा गांधी अस्पताल, बुराड़ी अस्पताल, राजीव गांधी सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल नए बनकर तैयार हुए हैं. लेकिन नर्सों के स्थाई पदों पर भर्ती नहीं की गई है और न ही अस्पतालों के अनुपात में नर्सों के नए पद सृजित किए गए हैं. दिल्ली सरकार के अस्पतालों में नर्सों के पुराने कुल स्वीकृत पद आठ हजार हैं. उनमें से तीन हजार पदों पर नर्स अस्थाई रूप से काम कर रही हैं और वो भी 15 साल से. इनको स्थाई करने के बजाय सरकार ने अब आउटसोर्सिंग से नर्स रखना शुरू कर दिया है. ऐसे में सरकार इनके साथ वादाखिलाफी कर रही है. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने 15 फरवरी को हमारी मांगों को पूरा करने की बात कही थी, लेकिन उसे फिर टाल दिया गया है.

उनके अलावा दिल्ली नर्सेज फेडरेशन के अध्यक्ष जितेंद्र कुमार ने बताया कि, आउटसोर्सिंग पर नर्स रखने पर वह पेशेंट की उस तरीके से केयर नहीं करते, जिस तरह से अस्पताल के स्थाई कर्मचारी करते हैं. आउटसोर्सिंग स्टाफ के मन में यह बात रहती है कि जब तक यहां कांट्रैक्ट है, तब तक ही यहां काम करना है. हम कांट्रैक्ट पर हैं तो हमारी इतनी जिम्मेदारी नहीं है. ऐसे में मरीजों की देखभाल प्रभावित होती है. इसलिए सरकार देश की राजधानी में मरीजों की अच्छी देखभाल के लिए पुरानी नर्सों को स्थाई करे. साथ ही आठ हजार पुराने पदों के अलावा पांच से छह हजार नए पद भी सृजित किए जाएं, तब ही केजरीवाल सरकार दिल्ली के स्वास्थ्य मॉडल का को लेकर बात करे.

यह भी पढ़ें-दिल्ली एम्स की एक और बड़ी उपलब्धि, हिप और नी रिप्लेसमेंट के बाद अब कोहनी भी हो सकेगी रिप्लेस

जीबी पंत अस्पताल में कार्यरत अस्थाई नर्सिंगकर्मी दिनेश ने बताया कि दिल्ली में पिछले 10 सालों में दो तीन नए अस्पतालों के अलावा कई अस्पतालों में बेड और विभागों की संख्या भी बढ़ी है. इसी के अनुसार नर्सेज की भी जरूरत अस्पतालों में बढ़ी है, लेकिन जैसे तैसे काम चलाया जा रहा है. कई अस्पतालों में जीबी पंत, लोकनायक और अन्य अस्पतालों से नर्सों को डायवर्ट करके दूसरे अस्पतालों में लगाया गया है, जिससे उन अस्पतालों में भी पेशेंट केयर प्रभावित हो रही है. सरकार को इस तरफ ध्यान देना होगा.

यह भी पढ़ें-दिल्ली एम्स से पढ़ाई करने पर भी नौकरी न मिलने पर छात्रों ने खटखटाया दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा, यहां फंसा है पेंच

नई दिल्ली: दिल्ली के अस्पतालों में करीब तीन हजार नर्स पिछले 10-15 सालों से अनुबंध पर काम कर रही हैं. ये खुद को स्थाई करने की लंबे समय से मांग कर रहे हैं. इसके लिए कई बार धरना प्रदर्शन, सचिवालय घेराव और विधानसभा घेराव किया जा चुका है. लेकिन दिल्ली सरकार ने कई बार वादा कर के भी उनको स्थाई नहीं किया. दिल्ली नर्सेज फेडरेशन के महासचिव लीलाधर रामचंदानी ने बताया कि फेडरेशन एक बार फिर अस्थाई नर्सो को स्थाई करने संबंधी मांगों को लेकर लांमबंद हैं.

उन्होंने कहा कि 27 फरवरी को दिल्ली नर्सेज फेडरेशन दिल्ली सचिवालय का घेराव करेगा. पिछले 10 साल में दिल्ली में इंदिरा गांधी अस्पताल, बुराड़ी अस्पताल, राजीव गांधी सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल नए बनकर तैयार हुए हैं. लेकिन नर्सों के स्थाई पदों पर भर्ती नहीं की गई है और न ही अस्पतालों के अनुपात में नर्सों के नए पद सृजित किए गए हैं. दिल्ली सरकार के अस्पतालों में नर्सों के पुराने कुल स्वीकृत पद आठ हजार हैं. उनमें से तीन हजार पदों पर नर्स अस्थाई रूप से काम कर रही हैं और वो भी 15 साल से. इनको स्थाई करने के बजाय सरकार ने अब आउटसोर्सिंग से नर्स रखना शुरू कर दिया है. ऐसे में सरकार इनके साथ वादाखिलाफी कर रही है. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने 15 फरवरी को हमारी मांगों को पूरा करने की बात कही थी, लेकिन उसे फिर टाल दिया गया है.

उनके अलावा दिल्ली नर्सेज फेडरेशन के अध्यक्ष जितेंद्र कुमार ने बताया कि, आउटसोर्सिंग पर नर्स रखने पर वह पेशेंट की उस तरीके से केयर नहीं करते, जिस तरह से अस्पताल के स्थाई कर्मचारी करते हैं. आउटसोर्सिंग स्टाफ के मन में यह बात रहती है कि जब तक यहां कांट्रैक्ट है, तब तक ही यहां काम करना है. हम कांट्रैक्ट पर हैं तो हमारी इतनी जिम्मेदारी नहीं है. ऐसे में मरीजों की देखभाल प्रभावित होती है. इसलिए सरकार देश की राजधानी में मरीजों की अच्छी देखभाल के लिए पुरानी नर्सों को स्थाई करे. साथ ही आठ हजार पुराने पदों के अलावा पांच से छह हजार नए पद भी सृजित किए जाएं, तब ही केजरीवाल सरकार दिल्ली के स्वास्थ्य मॉडल का को लेकर बात करे.

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जीबी पंत अस्पताल में कार्यरत अस्थाई नर्सिंगकर्मी दिनेश ने बताया कि दिल्ली में पिछले 10 सालों में दो तीन नए अस्पतालों के अलावा कई अस्पतालों में बेड और विभागों की संख्या भी बढ़ी है. इसी के अनुसार नर्सेज की भी जरूरत अस्पतालों में बढ़ी है, लेकिन जैसे तैसे काम चलाया जा रहा है. कई अस्पतालों में जीबी पंत, लोकनायक और अन्य अस्पतालों से नर्सों को डायवर्ट करके दूसरे अस्पतालों में लगाया गया है, जिससे उन अस्पतालों में भी पेशेंट केयर प्रभावित हो रही है. सरकार को इस तरफ ध्यान देना होगा.

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