नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने धार्मिक ढांचों का निर्माण कर दिल्ली के वन इलाकों में अतिक्रमण करने पर चिंता जताई है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि दिल्ली में काफी धार्मिक ढांचे हैं, ऐसे में दिल्ली के वन इलाके को धार्मिक ढांचों से मुक्त कराया जाना चाहिए. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि एएसआई की ओर से प्रमाणीकृत ढांचे को ही संरक्षण मिलना चाहिए. किसी दूसरे अनाधिकृत ढांचे की सुरक्षा नहीं मिलनी चाहिए.
दरअसल हाईकोर्ट मेहरौली के प्राचीन आशिक अल्लाह दरगाह की सुरक्षा की मांग पर सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ढांचे के कुछ फोटोग्राफ पर गौर किया और कहा कि इस ढांचे में नए किस्म के टाइल्स लगाए गए हैं, जो दिल्ली में पिछले दस सालों में इस्तेमाल नहीं किए गए हैं.
हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली में सांस लेना मुश्किल है. दिल्ली में पर्याप्त मात्रा में निर्माण हो चुका है, अब आगे निर्माण समस्या बन सकता है. ऐसे में कोर्ट ने कहा कि अगर एएसआई कहता है कि कोई ढांचा संरक्षित है तो कोर्ट उसके संरक्षण का आदेश दे सकता है. अगर ऐसे ही लोग मांग करने लगे तो पूरा वन इलाका ही खत्म हो जाएगा.
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सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि कुछ ढांचे काफी पुराने हैं लेकिन उन्हें कोई प्रमाणपत्र नहीं मिला है. इस बात के पर्याप्त साक्ष्य हैं कि वे ढांचे काफी पुराने हैं. तब कोर्ट ने कहा कि वन क्षेत्र को बचाना काफी जरुरी है. आप ये नहीं समझ रहे हैं कि लोग दिल्ली में वायु प्रदूषण से मर रहे हैं. वन ही लोगों को बचाएगा. यही अंतिम हथियार है जिसके जरिये हम सांस ले सकते हैं. याचिका हिमांशु दामले ने दायर किया था.