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Delhi: पत्नी के लिंग परीक्षण की मांग करने वाली पति की याचिका खारिज - DELHI HC REFUSES HUSBAND PLEA

दिल्ली हाईकोर्ट ने पति की याचिका पर विचार करने से किया इनकार. पति ने की थी पत्नी के लिंग परीक्षण की मांग.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 23, 2024, 6:10 PM IST

नई दिल्ली: हाल में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले में पति की याचिका को नामंजूर कर दिया, जिसमें उसने अपनी अलग रह रही पत्नी की मेडिकल जांच कराने की मांग की थी. याचिकाकर्ता का आरोप था कि उसकी पत्नी ट्रांसजेंडर है और विवाह के समय यह तथ्य उसके द्वारा छिपाया गया था.

इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संजीव नरूला के समक्ष हुई, जिन्होंने स्पष्ट किया कि यह मामला “पूरी तरह से वैवाहिक विवाद” है और पति को कानून के तहत उचित उपायों की तलाश करने का सुझाव दिया. न्यायालय ने कहा, “यह वैवाहिक विवाद है. संबंधित न्यायालय से अनुरोध करें. किसी निजी व्यक्ति के खिलाफ कोई रिट नहीं हो सकती.”

याचिकाकर्ता के वकील ने इस निर्णय के खिलाफ अपील करने की बातें की हैं और कहा है कि वे अपने लिए उपलब्ध कानूनी उपायों का उपयोग करेंगे. याचिका में याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसे उसकी पत्नी द्वारा धोखे में रखा गया, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसके विवाह के अधिकार का उल्लंघन करता है.

यह भी पढ़ें- Delhi: वकीलों के साथ मारपीट के विरोध में साकेत कोर्ट में आज हड़ताल, जानें पूरा मामला

याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि पत्नी ने याचिकाकर्ता के खिलाफ भरण-पोषण, घरेलू हिंसा और दहेज के मामले दर्ज किए हैं, जो याचिकाकर्ता के अनुसार विचारणीय नहीं हैं. उनका कहना है कि चूंकि उनकी पत्नी ट्रांसजेंडर है, इसलिए उसे महिला के रूप में नहीं देखा जा सकता.

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि उसका “जीवन इस गलत बयानी से बुरी तरह प्रभावित और कलंकित हो गया है और उसे बहुत मानसिक आघात पहुंचा है.” यह मामला न केवल वैवाहिक समस्याओं को दर्शाता है, बल्कि सामाजिक पहचान, लिंग और कानूनी अधिकारों से संबंधित जटिलता को भी उजागर करता है.

यह भी पढ़ें- Delhi: पटाखों पर बैन रहेगा जारी, हाईकोर्ट ने पटाखों की बिक्री की अनुमति देने से किया इनकार

नई दिल्ली: हाल में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले में पति की याचिका को नामंजूर कर दिया, जिसमें उसने अपनी अलग रह रही पत्नी की मेडिकल जांच कराने की मांग की थी. याचिकाकर्ता का आरोप था कि उसकी पत्नी ट्रांसजेंडर है और विवाह के समय यह तथ्य उसके द्वारा छिपाया गया था.

इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संजीव नरूला के समक्ष हुई, जिन्होंने स्पष्ट किया कि यह मामला “पूरी तरह से वैवाहिक विवाद” है और पति को कानून के तहत उचित उपायों की तलाश करने का सुझाव दिया. न्यायालय ने कहा, “यह वैवाहिक विवाद है. संबंधित न्यायालय से अनुरोध करें. किसी निजी व्यक्ति के खिलाफ कोई रिट नहीं हो सकती.”

याचिकाकर्ता के वकील ने इस निर्णय के खिलाफ अपील करने की बातें की हैं और कहा है कि वे अपने लिए उपलब्ध कानूनी उपायों का उपयोग करेंगे. याचिका में याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसे उसकी पत्नी द्वारा धोखे में रखा गया, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत उसके विवाह के अधिकार का उल्लंघन करता है.

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याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि पत्नी ने याचिकाकर्ता के खिलाफ भरण-पोषण, घरेलू हिंसा और दहेज के मामले दर्ज किए हैं, जो याचिकाकर्ता के अनुसार विचारणीय नहीं हैं. उनका कहना है कि चूंकि उनकी पत्नी ट्रांसजेंडर है, इसलिए उसे महिला के रूप में नहीं देखा जा सकता.

याचिकाकर्ता ने कोर्ट में कहा कि उसका “जीवन इस गलत बयानी से बुरी तरह प्रभावित और कलंकित हो गया है और उसे बहुत मानसिक आघात पहुंचा है.” यह मामला न केवल वैवाहिक समस्याओं को दर्शाता है, बल्कि सामाजिक पहचान, लिंग और कानूनी अधिकारों से संबंधित जटिलता को भी उजागर करता है.

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