नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने जेएनयू को निर्देश दिया है कि वो पूर्ण रुप से दृष्टिबाधित छात्र को मुफ्त में हॉस्टल की सुविधा प्रदान करे. जस्टिस सी हरिशंकर की बेंच ने कहा कि हॉस्टल से निकाला गया ये छात्र जेएनयू के नियमों और कानून के मुताबिक अपनी पढ़ाई पूरी होने तक हॉस्टल में रहने का हकदार है.
कोर्ट ने जेएनयू को निर्देश दिया कि वो याचिकाकर्ता छात्र को एक हफ्ते के अंदर हॉस्टल में रहने की सारी सुविधाएं उपलब्ध कराए. दरअसल 49 वर्षीय संजीव कुमार मिश्रा से जेएनयू प्रशासन ने ये कहकर हॉस्टल खाली कराया था कि वे दूसरा पीजी कोर्स कर रहे हैं और नियमों के मुताबिक अब वे हॉस्टल में रहने के हकदार नहीं हैं. जेएनयू के इस फैसले का संजीव कुमार मिश्रा ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. संजीव कुमार मिश्रा फिलहाल सोशियोलॉजी से एमए कर रहे हैं.
हाईकोर्ट ने कहा कि जेएनयू के हॉस्टल में दृष्टिबाधित छात्र को जो भी सुविधाएं मिलती हैं, वो याचिकाकर्ता को उपलब्ध करायी जाए. हाईकोर्ट ने कहा कि ये काफी दुखद है कि जेएनयू इस मामले में ये दलील दे रहा है कि याचिकाकर्ता ने अपना रिहायशी पता जेएनयू कैंपस से 21 किलोमीटर दूर का दिया हुआ था. हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता भले ही दूसरा पीजी कोर्स कर रहा है लेकिन वो हॉस्टल का उतना ही हकदार है जितना पहला कोर्स कर रहा कोई छात्र.
ये भी पढें : दिल्ली विधानसभा से निलंबित सात बीजेपी विधायकों की याचिका पर फैसला सुरक्षित
सुनवाई के दौरान जेएनयू की ओर से पेश वकील ने कहा था कि दूसरा पीजी कोर्स करनेवाले छात्र को हॉस्टल मुहैया कराने का प्रावधान हीं है. हॉस्टल की सुविधा भी दिल्ली के बाहर के छात्रों को दी जाती है. याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील राहुल बजाज ने कहा कि जेएनयू का नियम लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि याचिकाकर्ता पूर्ण रुप से दृष्टिबाधित छात्र है.
ये भी पढें : कालकाजी मंदिर में प्रशासक की अनुमति के बिना कोई जागरण या धार्मिक आयोजन नहीं होंगे - दिल्ली हाई कोर्ट