नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने डीडीए को गाजीपुर में खुले नाले में गिरकर मां और बच्चे की मौत मामले में उनके परिजनों को 20 लाख रुपए मुआवजा देने का निर्देश दिया है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया.
सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस मामले में ट्रायल कोर्ट में दाखिल करने के लिए ड्राफ्ट चार्जशीट तैयार कर लिया गया है. जैसे ही इसे दाखिल करने की अनुमति मिल जाएगी इसे दाखिल कर दिया जाएगा. दिल्ली पुलिस ने बताया कि डीडीए के ठेकेदार ने नाले को खुला छोड़ दिया था, जिसकी वजह से ये घटना घटी. इससे पहले हाईकोर्ट ने 22 अगस्त को सुनवाई के दौरान डीडीए को फटकार लगाते हुए कहा था कि आपके अधिकारी ठेकेदारों द्वारा किए गए कामों का निरीक्षण नहीं करते हैं.
डीडीए के अधिकारी निर्माण स्थल पर गए बिना ही कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी करते हैं. ठेकेदार ने नाला खुला छोड़ दिया. आपके स्टाफ उसकी मानिटरिंग तक नहीं करते हैं. वहीं, हाईकोर्ट ने नाले की तस्वीर देखने के बाद कहा था कि यह बहुत परेशान करने वाली तस्वीरें है. चिकनगुनिया, डेंगू जैसे बीमारियां भी शहर में हैं. तब दिल्ली नगर निगम को फटकार लगाते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि ऐसा लगता है आपके अधिकारी काम करने को गुनाह मानते हैं. हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि खुले नाले के आसपास तुरंत बैरिकेडिंग की जाए और वहां पर पड़े मलबे को भी हटाया जाए.
याचिका झुन्नु लाल श्रीवास्तव ने दायर की है. याचिका में मांग की गई है कि इस मामले में दिल्ली पुलिस को एफआईआर दर्ज कर महिला और उसके बच्चे की मौत की जांच शुरू करने का दिशा-निर्देश जारी किया जाए. याचिका में कहा गया है कि इस घटना की जिम्मेदारी तय की जाए. अभी तक दिल्ली पुलिस और डीडीए ने किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की है. याचिका में नाले का निर्माण करनेवाले ठेकेदार पर कार्रवाई की मांग की गई है. साथ ही दिल्ली में नालों के निर्माण की विस्तृत आडिट करायी जाए, ताकि ऐसी घटना भविष्य में दोबारा नहीं हो.
बता दें कि गाजियाबाद के खोड़ा कालोनी में रहनेवाली 22 वर्षीय महिला तनुजा और उसका तीन साल का बेटा 31 जुलाई को गाजीपुर से गुजर रहे थे. काफी बारिश की वजह से गाजीपुर नाले से पानी ओवरफ्लो हो रहा था. महिला अपने बच्चे के साथ नाले में गिर पड़ी और दोनों की मौत हो गई.
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