नई दिल्ली: दिल्ली में ई-वेस्ट को ठिकाने लगाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है. दिल्ली सरकार की ओर से नरेला के होलंबी कलां में ई-वेस्ट इको पार्क विकसित किया जा रहा है. ई-वेस्ट पार्क के लिए नोडल एजेंसी डीएसआईआईडीसी है, जो इसका निर्माण अगले 18 माह के भीतर पूरा कराने का काम करेगी. परियोजना को लेकर तैयार की गई डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) को सरकार को सौंपा गया था, जिसको अब स्टीयरिंग कमेटी की मीटिंग में चर्चा के बाद मंजूरी दे दी गई. डीपीआर को मंजूरी मिलने के बाद ई-वेस्ट ईको पार्क के निर्माण करने का रास्ता साफ हो गया है. इस पार्क को करीब 10.5 एकड़ में तैयार किया जाएगा.
दरअसल, दिल्ली के नरेला इलाके में बनाए जाने वाले ई-वेस्ट इको पार्क प्रोजेक्ट को लेकर 29 अक्टूबर 2021 को 11 सदस्यीय स्टीयरिंग कमेटी का गठन किया गया था. संचालन समिति की हाल में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी (इंडस्ट्रीज) मनीष कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में अहम मीटिंग हुई. इसमें पर्यावरण विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी, स्टीरिंग कमेटी के सदस्य, एजेंसीज और कई अलग-अलग विभागों के आला अफसर मौजूद रहे. ई-वेस्ट इको पार्क प्रोजेक्ट के कंसल्टेंट की तरफ से डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) को सौंपा गया, जिसके आधार पर प्रोजेक्ट/असाइनमेंट की मौजूदा स्थिति, परियोजना विवरण के अलावा प्रस्तावित प्रोजेक्ट स्ट्रक्चर और उसका मॉडल पेश किया गया.
समिति ने प्रोजेक्ट साइट से करीब 5-7 किलोमीटर की दूरी पर एक ट्रीटमेंट, स्टोरेज और डिस्पोजल फैसेलिटी (निपटान सुविधा) (TSDF) की मौजूदगी पर भी गौर किया गया. दिल्ली में ई कचरा प्रसंस्करण सुविधा स्थापित करने से शहर के पर्यावरण को साफ बनाने में बड़ी मदद मिल सकेगी. प्रदूषण कम करने में यह प्रोजेक्ट काफी कारगर साबित हो सकेगा. इसके बाद इंटीग्रेटेड ई-अपशिष्ट प्रसंस्करण मॉडल के साथ आगे बढ़ने का निर्णय लिया गया. समिति की ओर से प्रोजेक्ट फ्रेमवर्क को अंतिम रूप दे दिया गया है. इस प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन वर्क का लक्ष्य 18 माह तय किया गया है.
प्रोजेक्ट को स्टेबलाइज करने को सरकार देगी समय: प्रोजेक्ट लैंड को डीडीए मानदंडों के मुताबिक, हर साल 1 रुपये प्रति एकड़ की दर पर लीज पर दिया जाएगा और लीज (पट्टा) प्रीमियम चार्ज से फ्री रहेगा. प्रोजेक्ट को स्टेबलाइज करने का भी समय दिया जाएगा. इसके लिए संचालन के पहले साल में न्यूनतम क्षमता उपयोग 25% और दूसरे साल में 50% और तीसरे वर्ष से यह 100 फीसदी तक पहुंच जाएगा.
सरकार अपने पास रखेगी गोल्डन शेयर: संचालन समिति ने सिफारिश की कि सरकार एक गोल्डन शेयर रखेगी, जो उसे रियायतग्राही बोर्ड में एक गैर-सेवानिवृत्त निदेशक को नोमिनेट करने का अधिकार देगी. इस निदेशक का परियोजना मामलों पर सकारात्मक पक्ष रहेगा. दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने इसके लिए डीएसआईआईडीसी के प्रबंध निदेशक को सुझाव दिया. हालांकि, रियायत समझौते को अंतिम रूप देने के दौरान इस पर निर्णय लिया जा सकता है. संचालन समिति के सदस्यों ने सलाहकार की ओर से इस प्रोजेक्ट को 12 माह के भीतर पूरा करने का सुझाव दिया जिस पर तय हुआ कि इसको सभी मानकों को पूरा करते हुए 18 महीने के अंदर तय समय सीमा में किया जाए.
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देश में निकलने वाले ई-कचरा में दिल्ली का 9.5 फीसदी हिस्सा : दिल्ली में ई-वेस्ट ईको पार्क को विकसित करने का खास मकसद राजधानी से बड़ी मात्रा में हर साल निकलने वाले ई-कचरा का ठोस समाधान और निपटान करना है. ई-कचरा दिल्ली के पर्यावरण को प्रदूषित करने का भी एक बड़ा कारक बना हुआ है. दिल्ली में निकलने वाले ई-वेस्ट की मात्रा देश भर में निकलने वाले ई-कचरे का 9.5 फीसदी हिस्सा होता है. यानी हर साल दिल्ली में करीब 2.3 लाख टन ई-कचरा पैदा होता है.
इन राज्यों में निकलता है सबसे ज्यादा ई वेस्ट: देशभर में सबसे ज्यादा ई वेस्ट उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और वेस्ट बंगाल में निकलता है और दिल्ली इस ई कचरे का पांचवां सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है. साल 2022-23 की रिपोर्ट की माने तो सबसे ज्यादा ई-वेस्ट इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलोजी से 49 फीसदी पैदा होता है. इसके अलावा कंज्यूमर इलेक्ट्रोनिक्स से 14 फीसदी, छोटे-बड़े इक्यूपमेंट से 13 फीसदी, इलेक्ट्रिक एवं इलेक्ट्रोनिक टूल्स से 12 फीसदी, खिलौने, लेजर और स्पोटर्स से 7 फीसदी और इन्स्ट्रूमेंट्स से 3 फीसदी इलेक्ट्रानिक कचरा उत्पादित होता है.
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