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दिल्ली में पांच हजार शिक्षकों का तबादला, पहली बार शिक्षा निदेशालय ने शिक्षकों की बिना मर्जी के किया ट्रांसफर - Delhi Teachers Transfer

शिक्षा विभाग ने मंगलवार को 10 वर्ष से अधिक समय तक एक ही स्कूल में कार्यरत 5,006 शिक्षकों का तबादला कर दिया है. इस फैसले से शिक्षकों में नाराजगी है. उनका कहना है कि सरकारी स्कूलों में अभी तक शिक्षकों द्वारा दी गई वरीयता के आधार पर ट्रांसफर होते थे पहली बार शिक्षा निदेशालय ने शिक्षकों की बिना मर्जी के ट्रांसफर कर दिए.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 4, 2024, 2:58 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के स्कूलों में इस बार शिक्षा निदेशालय की ओर से एक ही स्कूल में 10 साल से पढ़ा रहे शिक्षकों के तबादले को लेकर निदेशालय और शिक्षा मंत्री आमने-सामने हैं. इस बार शिक्षा निदेशालय ने उन सभी शिक्षकों का तबादला कर दिया है, जो 10 साल से एक ही स्कूल में पढ़ा रहे थे. इस तरह के कुल 5006 शिक्षकों का ट्रांसफर किया गया है. शिक्षकों के तबादला से शिक्षा मंत्री नाराज हैं और उन्होंने शिक्षा निदेशालय और शिक्षा सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. पूछा है कि उनके मना करने के बाद भी इतनी बड़ी संख्या में शिक्षकों का ट्रांसफर क्यों किया गया? उनके आदेश की अवहेलना आखिर क्यों की गई?

दिल्ली के सरकारी स्कूल में ट्रांसफर के नियम: जामा मस्जिद सरकारी विद्यालय के प्रधानाचार्य गयूर अहमद ने बताया, "अभी तक हर साल शिक्षक ट्रांसफर के लिए ऑनलाइन आवेदन करते थे. शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर अध्यापक जिन स्कूलों में पद खाली होते थे उन स्कूलों में अपने विषय के हिसाब से ट्रांसफर के लिए आवेदन करते थे. आवेदन करने के बाद फिर निदेशालय से ट्रांसफर की लिस्ट आती थी और शिक्षकों की ओर से दी गई वरीयता के आधार पर ट्रांसफर होता था. ट्रांसफर के लिए अपनी वरीयता के अधार पर तीन विकल्प दिए जाते थे. उन तीन में से किसी एक स्कूल में उनके द्वारा दिए गए विकल्प के आधार पर ट्रांसफर हो जाता था."

गयूर अहमद ने बताया, "वर्षों से दिल्ली सरकार के स्कूलों में ट्रांसफर का यही नियम चल रहा था. लेकिन इस बार शिक्षा निदेशक का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे अधिकारी आरएन शर्मा ने नया नियम लागू करते हुए 10 साल से एक ही स्कूल में पढ़ा रहे सभी शिक्षकों का ट्रांसफर कर दिया. कुछ स्कूलों में लगातार 10 साल से कार्यरत रहने के कारण यह शिक्षक स्कूल में एक से ज्यादा जिम्मेदारियां निभा रहे थे. उनका ट्रांसफर होने से कई स्कूल ठप होने के कगार पर आ गए हैं. इस वजह से भी निदेशालय के इस निर्णय का विरोध हो रहा है और शिक्षा मंत्री भी इससे नाराज हैं."

यह भी पढ़ें- टीचर्स ट्रांसफर पर बवाल: आतिशी का आरोप-ट्रांसफर रोकने के नाम पर अधिकारी कर रहे वसूली, जांच के दिए आदेश

एक अन्य स्कूल के प्रधानाचार्य ने बताया, "हर साल गर्मी की छुट्टियां शुरू होने पर ट्रांसफर के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू होती थी. स्कूल खुलने से पहले तक ट्रांसफर की लिस्ट आती थी और सभी शिक्षक अपने-अपने ट्रांसफर वाले स्कूल में समय पर जाकर ज्वाइन कर लेते थे ताकि स्कूल खुलने पर सारी चीजें व्यवस्थित हो जाएं. किसी को कोई परेशानी ना हो. लेकिन इस बार 26 जून तक तो ट्रांसफर के लिए आवेदन करने का समय दिया गया था. पहले मई में जिन शिक्षकों ने ट्रांसफर के लिए आवेदन किया था उनमें से अभी तक एक ही स्कूल में 10 साल का समय पूरा करने वाले शिक्षकों के ट्रांसफर की लिस्ट आई है."

पुराने शिक्षकों को रिलीव करना हो रहा मुश्किल: बाकी जिन शिक्षकों ने 26 जून तक आवेदन किया था उनकी अभी ट्रांसफर की लिस्ट आनी बाकी है. लेकिन, पहली लिस्ट में भी जिन शिक्षकों के ट्रांसफर हुए हैं उनमें से बहुत ही कम शिक्षकों ने अभी तक स्कूलों में जाकर ज्वाइन किया है. इस वजह से स्कूलों के प्रधानाचार्य को भी 10 साल पुराने शिक्षकों को रिलीव करना मुश्किल हो रहा है.

यह भी पढ़ें- शिक्षकों के ट्रांसफर पर सरकार-अफसर आमने-सामने, मंत्री ने शिक्षा सचिव और शिक्षा निदेशालय को भेजा नोटिस, पढ़ें

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के स्कूलों में इस बार शिक्षा निदेशालय की ओर से एक ही स्कूल में 10 साल से पढ़ा रहे शिक्षकों के तबादले को लेकर निदेशालय और शिक्षा मंत्री आमने-सामने हैं. इस बार शिक्षा निदेशालय ने उन सभी शिक्षकों का तबादला कर दिया है, जो 10 साल से एक ही स्कूल में पढ़ा रहे थे. इस तरह के कुल 5006 शिक्षकों का ट्रांसफर किया गया है. शिक्षकों के तबादला से शिक्षा मंत्री नाराज हैं और उन्होंने शिक्षा निदेशालय और शिक्षा सचिव को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. पूछा है कि उनके मना करने के बाद भी इतनी बड़ी संख्या में शिक्षकों का ट्रांसफर क्यों किया गया? उनके आदेश की अवहेलना आखिर क्यों की गई?

दिल्ली के सरकारी स्कूल में ट्रांसफर के नियम: जामा मस्जिद सरकारी विद्यालय के प्रधानाचार्य गयूर अहमद ने बताया, "अभी तक हर साल शिक्षक ट्रांसफर के लिए ऑनलाइन आवेदन करते थे. शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर अध्यापक जिन स्कूलों में पद खाली होते थे उन स्कूलों में अपने विषय के हिसाब से ट्रांसफर के लिए आवेदन करते थे. आवेदन करने के बाद फिर निदेशालय से ट्रांसफर की लिस्ट आती थी और शिक्षकों की ओर से दी गई वरीयता के आधार पर ट्रांसफर होता था. ट्रांसफर के लिए अपनी वरीयता के अधार पर तीन विकल्प दिए जाते थे. उन तीन में से किसी एक स्कूल में उनके द्वारा दिए गए विकल्प के आधार पर ट्रांसफर हो जाता था."

गयूर अहमद ने बताया, "वर्षों से दिल्ली सरकार के स्कूलों में ट्रांसफर का यही नियम चल रहा था. लेकिन इस बार शिक्षा निदेशक का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे अधिकारी आरएन शर्मा ने नया नियम लागू करते हुए 10 साल से एक ही स्कूल में पढ़ा रहे सभी शिक्षकों का ट्रांसफर कर दिया. कुछ स्कूलों में लगातार 10 साल से कार्यरत रहने के कारण यह शिक्षक स्कूल में एक से ज्यादा जिम्मेदारियां निभा रहे थे. उनका ट्रांसफर होने से कई स्कूल ठप होने के कगार पर आ गए हैं. इस वजह से भी निदेशालय के इस निर्णय का विरोध हो रहा है और शिक्षा मंत्री भी इससे नाराज हैं."

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एक अन्य स्कूल के प्रधानाचार्य ने बताया, "हर साल गर्मी की छुट्टियां शुरू होने पर ट्रांसफर के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू होती थी. स्कूल खुलने से पहले तक ट्रांसफर की लिस्ट आती थी और सभी शिक्षक अपने-अपने ट्रांसफर वाले स्कूल में समय पर जाकर ज्वाइन कर लेते थे ताकि स्कूल खुलने पर सारी चीजें व्यवस्थित हो जाएं. किसी को कोई परेशानी ना हो. लेकिन इस बार 26 जून तक तो ट्रांसफर के लिए आवेदन करने का समय दिया गया था. पहले मई में जिन शिक्षकों ने ट्रांसफर के लिए आवेदन किया था उनमें से अभी तक एक ही स्कूल में 10 साल का समय पूरा करने वाले शिक्षकों के ट्रांसफर की लिस्ट आई है."

पुराने शिक्षकों को रिलीव करना हो रहा मुश्किल: बाकी जिन शिक्षकों ने 26 जून तक आवेदन किया था उनकी अभी ट्रांसफर की लिस्ट आनी बाकी है. लेकिन, पहली लिस्ट में भी जिन शिक्षकों के ट्रांसफर हुए हैं उनमें से बहुत ही कम शिक्षकों ने अभी तक स्कूलों में जाकर ज्वाइन किया है. इस वजह से स्कूलों के प्रधानाचार्य को भी 10 साल पुराने शिक्षकों को रिलीव करना मुश्किल हो रहा है.

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