जयपुर: प्रतापनगर थाना पुलिस ने बीते दिनों दो ई-मित्र पर छापेमारी कर 6 राज्यों की 16 विश्वविद्यालयों की संदिग्ध डिग्रियां और अन्य दस्तावेज जब्त किए थे. अब इस मामले की जांच में जुटी एसआईटी की पड़ताल में कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. एसआईटी की जांच में खुलासा हुआ है कि दो साल में सैकड़ों डिग्रियां फर्जी तरीके से बांटी गई. जो युवा कॉलेज गए ही नहीं, उन्हें डिग्रियां दी गई हैं. बीते दो साल में इस खेल में करोड़ों रुपए बटोरे गए हैं. फिलहाल, पुलिस इस पूरे मामले की तह तक जाने में जुटी है. हालांकि जांच पूरी होने पर ही फर्जी डिग्रियों के स्पष्ट आंकड़े सामने आ पाएंगे.
इस पूरे मामले को लेकर डीसीपी (पूर्व) तेजस्विनी गौतम का कहना है कि जिन विश्वविद्यालयों के संदिग्ध दस्तावेज और डिग्रियां मिली हैं. उनसे रिकॉर्ड मांगा गया है. फिलहाल, आधा-अधूरा रिकॉर्ड ही मिल पाया है. पूरा रिकॉर्ड मिलने पर ही ठीक तरह से जांच हो पाएगी. फिलहाल, अलग-अलग राज्यों में हमारी टीमें जाकर रिकॉर्ड जुटाने में लगी हुई हैं. पूरा रिकॉर्ड सामने आने के बाद ही स्पष्ट खुलासा होगा.
50 हजार से 2.50 लाख में बेची डिग्री: एसआईटी की जांच में खुलासा हुआ है कि सैकड़ों युवाओं को दो साल में बिना कॉलेज गए ही डिग्रियां जारी की गई हैं. एक डिग्री के बदले 50 हजार रुपए से लेकर 2.50 लाख रुपए तक वसूले गए हैं. पुलिस ने ई-मित्र पर मिले पेन ड्राइव को खंगाला, तो उसमें कई चौंकाने वाले राज सामने आए. जिन युवाओं को डिग्रियां दी गई. पेन ड्राइव में उनका रिकॉर्ड मिला है.
छह राज्यों में फैला है नेटवर्क: पुलिस ने प्रतापनगर थाना इलाके में दो ई-मित्र पर छापा मारकर 17 अक्टूबर को विकास मिश्रा, सत्यनारायण शर्मा और विकास अग्रवाल को गिरफ्तार किया था. इन्हें 7 दिन की रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई और उसके बाद जेल भेज दिया गया. दोनों ई-मित्र पर पुलिस को राजस्थान, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के 16 विश्वविद्यालयों को 1300 से ज्यादा संदिग्ध डिग्रियां, माइग्रेशन प्रमाण पत्र व अन्य संदिग्ध दस्तावेज मिले थे. अब इन विश्वविद्यालयों का रिकॉर्ड लेकर डिग्रियों का विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड से मिलान करवाया जा रहा है.
निजी विश्वविद्यालयों की मिलीभगत का शक इस पूरे खेल में पुलिस को निजी विश्वविद्यालयों की मिलीभगत का भी संदेह है. पुलिस पहले राजस्थान की निजी विश्वविद्यालयों में जांच करने पहुंची तो भीतर दाखिल नहीं होने दिया गया. इसके बाद पुलिस ने कोर्ट से सर्च वारंट जारी करवाया और विश्वविद्यालयों का रिकॉर्ड खंगाला. अब निजी विश्वविद्यालयों के रिकॉर्ड से संदिग्ध डिग्रियों का मिलान किया जा रहा है. अब तक सैकड़ों फर्जी डिग्रीयां बांटने की जानकारियां सामने आई है.