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Delhi: गाजीपुर पेपर मार्केट में 100 झुग्गियों पर चला DDA का बुलडोजर, लोगों में नाराजगी - DDA BULLDOZER ACTION IN GHAZIPUR

पूर्वी दिल्ली गाजीपुर पेपर मार्केट के पास अवैध बने लगभग 100 झुग्गियों पर डीडीए का चला बुलडोजर, झुग्गी निवासियों में नाराजगी

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 18, 2024, 1:58 PM IST

नई दिल्ली: पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर पेपर मार्केट में दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी (डीडीए) ने आज 100 से अधिक झुग्गी झोपड़ियों पर बुलडोजर चला दिया. यह कार्रवाई उस वक्त हुई जब वहां के निवासियों ने डीडीए के इस कदम का विरोध किया, लेकिन पुलिस बल की मौजूदगी में डीडीए की टीम ने अपने कार्य को पूरा किया.

गाजीपुर थाने के पास स्थित एक खाली प्लॉट में कई सालों से 100 से अधिक परिवार झुग्गियों में रह रहे थे. ये लोग अक्सर आसपास मजदूरी और भीख मांगकर अपना गुजारा करते थे. डीडीए ने पहले भी इन लोगों को हटने का निर्देश दिया था, लेकिन कई बार समझाने के बावजूद लोग नहीं माने. इस पर डीडीए ने अंतिम निर्णय लेते हुए तीन जेसीबी मशीनों के साथ दिल्ली नगर निगम की टीम को कार्रवाई करने के लिए भेजा.

झुग्गी निवासियों में नाराजगी: झुग्गी निवासियों ने इस कार्रवाई पर गहरी नाराजगी व्यक्त की. उनका कहना है कि डीडीए की टीम ने उन्हें सामान हटाने का भी मौका नहीं दिया और अचानक ही उनके घरों पर बुलडोजर चला दिया, जिससे उनका सामान अस्त-व्यस्त हो गया और कई वस्तुएं बर्बाद हो गईं. निवासी यह भी चर्चा कर रहे हैं कि प्रशासन के इस व्यवहार से वे पूरी तरह से प्रभावित हुए हैं और उनका जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है.

यह भी पढ़ें- नहीं रुकेगा 'बुलडोजर', मंदिर-दरगाह सब होंगे ध्वस्त, सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी- हटना चाहिए सड़कों से अवैध अतिक्रमण

इस कार्रवाई के पीछे डीडीए का तर्क यह है कि यह क्षेत्र अनधिकृत है और इसे अवैध कब्जे से मुक्त कराना आवश्यक है. हालांकि, झुग्गी निवासियों की दिक्कतें और उनकी रोजी-रोटी का संकट इस कार्रवाई के बीच में आ जाता है. स्थानीय जनता का कहना है कि उन्हें स्थानांतरित करने का कोई वैकल्पिक उपाय नहीं दिया गया है, जिससे उनका जीवन यापन करने में और भी कठिनाई होगी.

इस विषय पर स्थानीय राजनीतिक दलों ने भी अपना समर्थन दिखते हुए कहा है कि झुग्गी निवासियों को पुनर्वास का उचित अवसर दिया जाना चाहिए. ये लोग वर्षों से इस क्षेत्र में रह रहे हैं और उन्हें ऐसे बेतरतीब तरीके से हटाना उचित नहीं है. गाजीपुर पेपर मार्केट की इस स्थिति ने दिखाया है कि शहरी विकास और मानवाधिकारों के बीच संतुलन बनाना कितना महत्वपूर्ण है. ऐसी परिस्थितियों में केवल अवैध निर्माण को हटाना ही नहीं, बल्कि लोगों के बेहतर पुनर्वास की व्यवस्था भी आवश्यक है ताकि उन्हें बेहतर जीवन जीने का मौका मिल सके.

यह भी पढ़ें- दिल्ली के रघुबीर नगर में चला MCD का बुलडोजर, रोड से हटाया गया अतिक्रमण

नई दिल्ली: पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर पेपर मार्केट में दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी (डीडीए) ने आज 100 से अधिक झुग्गी झोपड़ियों पर बुलडोजर चला दिया. यह कार्रवाई उस वक्त हुई जब वहां के निवासियों ने डीडीए के इस कदम का विरोध किया, लेकिन पुलिस बल की मौजूदगी में डीडीए की टीम ने अपने कार्य को पूरा किया.

गाजीपुर थाने के पास स्थित एक खाली प्लॉट में कई सालों से 100 से अधिक परिवार झुग्गियों में रह रहे थे. ये लोग अक्सर आसपास मजदूरी और भीख मांगकर अपना गुजारा करते थे. डीडीए ने पहले भी इन लोगों को हटने का निर्देश दिया था, लेकिन कई बार समझाने के बावजूद लोग नहीं माने. इस पर डीडीए ने अंतिम निर्णय लेते हुए तीन जेसीबी मशीनों के साथ दिल्ली नगर निगम की टीम को कार्रवाई करने के लिए भेजा.

झुग्गी निवासियों में नाराजगी: झुग्गी निवासियों ने इस कार्रवाई पर गहरी नाराजगी व्यक्त की. उनका कहना है कि डीडीए की टीम ने उन्हें सामान हटाने का भी मौका नहीं दिया और अचानक ही उनके घरों पर बुलडोजर चला दिया, जिससे उनका सामान अस्त-व्यस्त हो गया और कई वस्तुएं बर्बाद हो गईं. निवासी यह भी चर्चा कर रहे हैं कि प्रशासन के इस व्यवहार से वे पूरी तरह से प्रभावित हुए हैं और उनका जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है.

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इस कार्रवाई के पीछे डीडीए का तर्क यह है कि यह क्षेत्र अनधिकृत है और इसे अवैध कब्जे से मुक्त कराना आवश्यक है. हालांकि, झुग्गी निवासियों की दिक्कतें और उनकी रोजी-रोटी का संकट इस कार्रवाई के बीच में आ जाता है. स्थानीय जनता का कहना है कि उन्हें स्थानांतरित करने का कोई वैकल्पिक उपाय नहीं दिया गया है, जिससे उनका जीवन यापन करने में और भी कठिनाई होगी.

इस विषय पर स्थानीय राजनीतिक दलों ने भी अपना समर्थन दिखते हुए कहा है कि झुग्गी निवासियों को पुनर्वास का उचित अवसर दिया जाना चाहिए. ये लोग वर्षों से इस क्षेत्र में रह रहे हैं और उन्हें ऐसे बेतरतीब तरीके से हटाना उचित नहीं है. गाजीपुर पेपर मार्केट की इस स्थिति ने दिखाया है कि शहरी विकास और मानवाधिकारों के बीच संतुलन बनाना कितना महत्वपूर्ण है. ऐसी परिस्थितियों में केवल अवैध निर्माण को हटाना ही नहीं, बल्कि लोगों के बेहतर पुनर्वास की व्यवस्था भी आवश्यक है ताकि उन्हें बेहतर जीवन जीने का मौका मिल सके.

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