दतिया : श्री पीतांबरा पीठ के पीठाधीश्वर राष्ट्रगुरु पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज की हस्तलिखित पांडुलिपियों का साहित्य संरक्षित किया जाएगा. केमिकल से संरक्षित होने के बाद इन पांडुलिपियों को डिजिटलाइज्ड किया जाएगा. पूज्यपाद के हस्तलिखित यह लेख करीब 80 से 110 वर्ष तक पुराने हैं. पहले चरण में करीब 6 हजार पेजों का सरंक्षण किया जा रहा है. यह कार्य पुणे की भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट से आई 19 सदस्यीय टीम कर रही है. पहले चरण का यह कार्य 20 दिसंबर तक चलेगा.
पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज के हस्तलिखित 6 हजार पेज
बता दें कि पूज्यपाद श्री स्वामी जी महाराज द्वारा हस्तलिखित 6 हजार पेज उपलब्ध हैं. प्राचीन होने के कारण ये पुस्तकें अत्यंत जीर्ण-शीर्ण हालत में हैं. अधिकांश हिस्सा नष्ट होने के कगार पर है, जिसे केमिकल की मदद से संरक्षित किया जा रहा है. इसकी पहल पीठ से जुड़े हुए पुणे के साधक प्रमोद वर्मा द्वारा की गई. संरक्षित करने के साथ ही इन किताबों को पूरी तरह से डिजिटलाइज्ड किया जा रहा है, ताकि आमजन के लिए भी श्री स्वामी जी महाराज का हस्तलिखित साहित्य उपलब्ध हो सके.
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जापान से आए ओजो पेपर पर तैयार हो रही किताबें
संरक्षण के कार्य से जुड़ीं वर्षा कोठफोड़े बताती हैं "पूज्यपाद की हस्तलिखित लिपियों का संरक्षण का काम लंबी प्रक्रिया से गुजरता है. सबसे पहले संग्रह सूची तैयार की जा रही है. फिर उनकी स्थिति का आकलन किया जाएगा. पेज पर नंबरिंग कर उनका रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है. फोटो के साथ पांडुलिपियों का दस्तावेजीकरण किया जा रहा है. उन्हें ओजो पेपर से लेमीनेशन, कीटों से बचाने के लिए 10 तरह के केमिकल का उपयोग किया जाएगा." बता दें कि डिजिटलाइज्ड होने के बाद ये पांडुलिपियां ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हो सकेंगी.