दमोह। एक शिक्षक की विदाई पर छात्र-छात्राएं फूट-फूट कर रो पड़े. ऐसी विदाई शायद जिले में दूसरी नहीं होगी. मामला तेंदूखेड़ा ब्लॉक क्षेत्र का है. वैसे तो सरकारी स्कूल के शिक्षक समय पर न आने और पढ़ाई न कराने के लिए बदनाम हैं, लेकिन एक शिक्षक ऐसा भी है कि जिसने अपने कार्यकाल के दौरान पूरी ईमानदारी के साथ न केवल बच्चों को पढ़ाया, बल्कि उन्हें अच्छी संस्कार देने का भी भरसक प्रयास भी किया. जब उस शिक्षक का विदाई समारोह हुआ तो छात्र-छात्राएं फूट-फूट कर रो पड़े और बार-बार यही कहते रहे कि सर आप हमें छोड़कर मत जाओ.
प्राचार्य की इमोशनल विदाई
माहौल कुछ ऐसा हो गया कि शिक्षक के साथी भी भावुक हो गए. मामला तेंदूखेड़ा ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ससनाकला ग्राम के शासकीय एकीकृत हाईस्कूल में प्रभारी प्राचार्य के पद पर पदस्थ रुद्रप्रकाश अवस्थी के सेवानिवृत्ति पर विदाई समारोह का था. अपने प्राचार्य की विदाई के दौरान बच्चों को फफक फफक कर रोता देख अभिभावक और अन्य शिक्षक अपने आंसू नहीं रोक पाए.
डांटने के बजाय बच्चों को गोद में बैठाकर समझाते थे प्राचार्य
दरअसल, प्रभारी प्राचार्य अवस्थी शाला में पदस्थ रहने के दौरान बच्चों को कई बार अनायास पढ़ाने के लिए कक्षाओं में भी पहुंच जाते थे. वह कुछ इस तरह से बच्चों के साथ पेश आते की बच्चे शरारत करना छोड़कर ध्यान से उनकी बात सुनते और उस पर अमल करते. बच्चों को मारना तो दूर की बात है वह कभी डांटते भी नहीं थे. यदि कोई बच्चा ज्यादा शरारती हुआ तो उसे अपने पास बुलाकर गोदी में बिठाकर ऐसे दुलार करते बच्चा शरारत करना भूल जाता. वह अच्छी और बुरी बात का फर्क बताते. यही कारण है कि बच्चे अपने प्राचार्य की विदाई को देखकर अपने आंसू नहीं रोक पाए.
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अपने व्यवहार से चहेते बन गए थे रुद्रप्रकाश अवस्थी
प्रभारी प्राचार्य रहते हुए कई नवाचार भी किए. अपने साथी शिक्षकों को हमेशा यही बात सिखाते थे कि बच्चे कच्ची मिट्टी होते हैं. उन्हें मारपीट कर या डांट कर नहीं समझाया जा सकता है. उनके साथ प्यार से पेश आने पर ही वह बातों को समझ सकते हैं और अच्छी बुरी का फर्क कर पाएंगे. उन्होंने स्कूल में कम संसाधन होने के बावजूद भी बच्चों की पढ़ाई नहीं रुकने दी और लगातार अभिभावकों से मिलते थे. उनके बच्चों के बारे में बात करती थे. इसी कारण वह पूरे गांव में सबके चहेते बन गए. जब विदाई समारोह हुआ तो वातावरण हर्ष के साथ इमोशनली भी हो गया था.