दमोह। जैसा कि पहले से तय माना जा रहा था, ठीक उसी के अनुसार दमोह लोकसभा क्षेत्र के परिणाम सामने आए हैं. पहले दिन से ही भाजपा यह मानकर चल रही थी कि करीब 3 लाख मतों से भाजपा प्रत्याशी राहुल लोधी चुनाव जीतेंगे, लेकिन इन कयासों को भी पीछे करते हुए राहुल लोधी ने चार लाख से अधिक मतों का आंकड़ा पार कर लिया. पूरे परिणाम के दौरान सबसे खास बात यह रही की 2 लाख मतों की लीड होने तक अधिकांश कांग्रेसी मैदान छोड़कर अपने-अपने घरों को चले गए. तो वहीं भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता मशीनों के सामने अंतिम समय तक डटा रहा.
दमोह में फिर भजपा का कब्जा
पिछले 35 साल से भाजपा का दमोह संसदीय सीट पर लगातार कब्जा बना हुआ है. इस बार फिर यहां से कमल खिल गया है. वैसे भी दमोह लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली आठ विधानसभाओं में से सात पर भाजपा का कब्जा है. एकमात्र छतरपुर जिले की बड़ा मलहरा सीट ही कांग्रेस के पास है. शेष सभी सीटें भाजपा के पास हैं. ऐसे में भाजपा का जीतना कोई हैरानी या अचरज की बात नहीं है. यह माना जा रहा था कि यदि राहुल सिंह चुनाव हारते हैं तो यह उनकी राजनीतिक जमीन का आखिरी चुनाव होगा. क्योंकि 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में जनता ने राहुल लोधी को बुरी तरह से झटका दिया था. राहुल लोधी मात्र एक राउंड ही चुनाव में बढ़त बना पाए थे बाकी सभी राउंड में वह बुरे तरीके से हरे थे. जिससे यह माना जा रहा था कि राहुल अब राजनीतिक गलियारों में हाशिए पर चले गए हैं.
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10 सालों में भाजपा के नेतृत्व में हुए काम
परिणाम सामने आने के बाद राहुल लोधी बोले कि ''भाजपा के देव तुल्य कार्यकर्ताओं, पोलिंग के कार्यकर्ताओं और नरेंद्र मोदी के 10 वर्ष के कार्यकाल की जनकल्याणकारी योजनाओं को लेकर हम जनता के बीच निकले. जनता ने गंभीरता से समझा. उन्होंने इस बात को माना कि इन 10 वर्षों में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में काम हुआ है. सबकी मेहनत और सबके प्रयास भारतीय जनता पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं ने पूरी कर्मठता से काम किया और उनकी चुनावी रणनीति के कारण दमोह संसदीय सीट से ऐतिहासिक जीत मिली है.'' एनडीए के नतीजों पर राहुल ने कहा कि कोई विपरीत परिस्थिति देखने को नहीं मिल रही है, देश में एनडीए की सरकार बनेगी.