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दो दिन तक घर पर रखनी पड़ती है डेड बॉडी, कमर तक भरे नाले से शव ले जाने मजबूर लोग - Damoh Shocking Funeral

प्रदेश में हो रही झमाझम बारिश के चलते दमोह के ग्राम पंचायत मगरोन में हालात बद से बदतर हो गए हैं. यहां नाला उफान पर आने से श्मशान घाट जाने की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है, जिस वजह से शव यात्रा को श्मशान घाट तक ले जाने में लोग जान जोखिम में डालने मजबूर हैं. कई बार तो दो दिनों तक शव घर पर रखना पड़ता है.

DAMOH LAST RITES AT RISK OF LIFE
कमर तक भरे नाले से शव यात्रा निकालने को मजबूर ग्रामीण (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 6, 2024, 10:32 AM IST

Updated : Aug 6, 2024, 11:10 AM IST

दमोह: बारिश के कारण दमोह में भी हालात बिगड़े हुए हैं. इस बीच मरने वाले लोगों को मौत के बाद भी सुकून नसीब नहीं हो रहा है. मगरौन ग्राम पंचायत के गांव हरदुआ में कमर तक भरे पानी के बीच से निकाल कर लोगों को अंतिम संस्कार के लिए ले जाना पड़ रहा है.

बारिश के चलते उफान पर चल रहा नाला (ETV Bharat)

एक दो दिन घर पर रखने पड़ते हैं शव

दमोह के मगरोन ग्राम पंचायत में बारिश के कारण हर तरफ पानी भर गया है. यहां लोगों को तीन फीट पानी से निकल कर अंतिम संस्कार के लिए शव को ले जाना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि कई बार तो हालात ऐसे हो जाते हैं, कि शव को एक-दो दिन तक घर में रखना पड़ता है और जब पानी कम होता है, तब जाकर अंतिम संस्कार किया जाता है. समस्या इतनी बड़ी है कि नाला पार करने के डर से लोग कई बार अंतिम यात्रा में भी एकत्रित नहीं होते हैं.

शव पूरी रात घर पर रखना पड़ा

गांव हरदुआ में रविवार को एक व्यक्ति की मौत हो गई, लेकिन दिन भर पानी बरसता रहा और श्मशान घाट जाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी. इसलिए सारी रात शव को घर पर ही रखना पड़ा. जब सोमवार को कुछ देर के लिए मौसम खुला और नाला का पानी कम हुआ, तो गांव के लोग व परिजन शव को अंतिम संस्कार के लिए ले गए.

शव यात्रा में नहीं आते लोग

एक मृतक के बेटे बलराम ने बताया कि "हम गांव बस्ती से करीब 2 किलोमीटर दूर रहते हैं और इतनी ही दूर यहां का श्मशान घाट है, लेकिन रास्ते में एक नाला पड़ता है, जो बारिश के समय लबालब भरा रहता है. यदि किसी की मृत्यु हो जाए तो उसका अंतिम संस्कार करना कठिन होता है. चार लोग भी कंधा देने के लिए मिल जाए तो बड़े नसीब की बात है." बलवान बताते हैं कि कई बार जब लगातार बारिश होती है. तो शव का उसी दिन संस्कार नहीं हो पता है और एक या दो दिन तक के लिए उसे रोकना भी पड़ता है. हमारी प्रशासन से मांग है कि श्मशान घाट तक जाने के लिए रोड व पुलिया की व्यवस्था की जाए.

यहां पढ़ें...

मुरैना नगर निगम की सड़कें ऊबड़-खाबड़, कीचड़ से शव यात्रा ले जाने को मजबूर रहवासी

मरने के बाद भी इज्जत नसीब नहीं होने दे रहा प्रशासन, अंतिम संस्कार में बारिश, फिर ऐसे जलाई चिता

श्मशान घाट के हालात भी बदतर

बता दें कि श्मशान घाट पर भी टीनशेड की व्यवस्था ठीक-ठाक नहीं है. जिससे शव का अंतिम संस्कार करने में परेशानी होती है. इस मामले में जनपद पंचायत बटियागढ़ के सीईओ अश्विनी कुमार सिंह ने कहा, '' मैंने हाल ही में यहां चार्ज लिया है इसलिए अभी पूरे क्षेत्र की जानकारी नहीं है. यदि पंचायत ने प्रस्ताव बनाकर भेजा होगा, तो निश्चित रूप से नाले पर रपटा या पुलिया बनाकर वहां का आवागमन सुगम किया जाएगा. यदि प्रस्ताव नहीं भेजा है और इस तरह का हाल है, तो पंचायत से प्रस्ताव मांगवाएंगे.''

दमोह: बारिश के कारण दमोह में भी हालात बिगड़े हुए हैं. इस बीच मरने वाले लोगों को मौत के बाद भी सुकून नसीब नहीं हो रहा है. मगरौन ग्राम पंचायत के गांव हरदुआ में कमर तक भरे पानी के बीच से निकाल कर लोगों को अंतिम संस्कार के लिए ले जाना पड़ रहा है.

बारिश के चलते उफान पर चल रहा नाला (ETV Bharat)

एक दो दिन घर पर रखने पड़ते हैं शव

दमोह के मगरोन ग्राम पंचायत में बारिश के कारण हर तरफ पानी भर गया है. यहां लोगों को तीन फीट पानी से निकल कर अंतिम संस्कार के लिए शव को ले जाना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि कई बार तो हालात ऐसे हो जाते हैं, कि शव को एक-दो दिन तक घर में रखना पड़ता है और जब पानी कम होता है, तब जाकर अंतिम संस्कार किया जाता है. समस्या इतनी बड़ी है कि नाला पार करने के डर से लोग कई बार अंतिम यात्रा में भी एकत्रित नहीं होते हैं.

शव पूरी रात घर पर रखना पड़ा

गांव हरदुआ में रविवार को एक व्यक्ति की मौत हो गई, लेकिन दिन भर पानी बरसता रहा और श्मशान घाट जाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी. इसलिए सारी रात शव को घर पर ही रखना पड़ा. जब सोमवार को कुछ देर के लिए मौसम खुला और नाला का पानी कम हुआ, तो गांव के लोग व परिजन शव को अंतिम संस्कार के लिए ले गए.

शव यात्रा में नहीं आते लोग

एक मृतक के बेटे बलराम ने बताया कि "हम गांव बस्ती से करीब 2 किलोमीटर दूर रहते हैं और इतनी ही दूर यहां का श्मशान घाट है, लेकिन रास्ते में एक नाला पड़ता है, जो बारिश के समय लबालब भरा रहता है. यदि किसी की मृत्यु हो जाए तो उसका अंतिम संस्कार करना कठिन होता है. चार लोग भी कंधा देने के लिए मिल जाए तो बड़े नसीब की बात है." बलवान बताते हैं कि कई बार जब लगातार बारिश होती है. तो शव का उसी दिन संस्कार नहीं हो पता है और एक या दो दिन तक के लिए उसे रोकना भी पड़ता है. हमारी प्रशासन से मांग है कि श्मशान घाट तक जाने के लिए रोड व पुलिया की व्यवस्था की जाए.

यहां पढ़ें...

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मरने के बाद भी इज्जत नसीब नहीं होने दे रहा प्रशासन, अंतिम संस्कार में बारिश, फिर ऐसे जलाई चिता

श्मशान घाट के हालात भी बदतर

बता दें कि श्मशान घाट पर भी टीनशेड की व्यवस्था ठीक-ठाक नहीं है. जिससे शव का अंतिम संस्कार करने में परेशानी होती है. इस मामले में जनपद पंचायत बटियागढ़ के सीईओ अश्विनी कुमार सिंह ने कहा, '' मैंने हाल ही में यहां चार्ज लिया है इसलिए अभी पूरे क्षेत्र की जानकारी नहीं है. यदि पंचायत ने प्रस्ताव बनाकर भेजा होगा, तो निश्चित रूप से नाले पर रपटा या पुलिया बनाकर वहां का आवागमन सुगम किया जाएगा. यदि प्रस्ताव नहीं भेजा है और इस तरह का हाल है, तो पंचायत से प्रस्ताव मांगवाएंगे.''

Last Updated : Aug 6, 2024, 11:10 AM IST
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