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दमोह में जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंच रहे बच्चे, सरकार के दावों की खुली पोल - Damoh Govt School Reach No Way - DAMOH GOVT SCHOOL REACH NO WAY

दमोह जिले के पथरिया ब्लॉक के ग्राम सूखा में बने स्कूल में पहुंचने के लिए रास्ता अब तक नहीं बना है. बच्चे बारिश के दिनों में जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंचते हैं. जिम्मेदारों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. इस स्कूल की व्यवस्था मध्य प्रदेश के शैक्षणिक दावों पर सवाल खड़े करती है.

DAMOH GOVT SCHOOL REACH NO WAY
सरकारी स्कूल पहुंचने वाला कच्चा रास्ता कीचड़ में तब्दील (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 1, 2024, 9:54 PM IST

दमोह। नवीन शैक्षणिक सत्र शुरू हो चुका है. पथरिया ब्लॉक के एक स्कूल के बच्चे पगडंडियों से स्कूल जाने को मजहूर हैं. बारिश के दिनों में इन पगडंडियों से आवाजाही करने में बहुत परेशानियों को सामना करना पड़ता है. ऐसे में जब बारिश का दौर शुरू हो गया है, तो पहली ही बारिश में पगडंडियां दलदल में तब्दील हो गई हैं. छात्रों को कीचड़ से गुजर कर स्कूल जाना पड़ रहा है.

जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंच रहे बच्चे (ETV Bharat)

स्कूल पहुंचने के लिए रास्ता ही नहीं

प्रदेश सरकार भले ही शैक्षणिक गुणवत्ता और हर गांव में स्कूल खोलने के लाख दावा करे, लेकिन इन दावों की पोल पथरिया ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम सूखा का शासकीय स्कूल खोल रहा है. शासकीय शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है, लेकिन स्कूल तक पहुंचने के लिए बच्चे दलदल नुमा पगडंडी से स्कूल जाने को मजबूर हैं.

स्कूल में नहीं है बाउंड्रीवॉल (ETV Bharat)

बारिश के दिनों में होती है ज्यादा परेशानी

दरअसल, ग्राम सूखा में स्कूल तो बना दिया गया है, लेकिन बच्चों को वहां तक पहुंचने के लिए कच्चे रास्ते से जाना पड़ता है. स्कूल में करीब 5 गांव के बच्चे आते हैं. बारिश के मौसम में बच्चे जान जोखिम में डालकर पुलिया को पार करते हैं. यहां छात्रों के लिए ना तो पीने के पानी की सुविधा है और ना ही खेल ग्राउंड और बाउंड्रीवॉल है.

खेत में बना दिया हाईस्कूल

बता दें कि यह स्कूल गांव के बाहर करीब 1 किलोमीटर दूर खेत में बना हुआ है. सीमांकन ना होने से बाउंड्रीवॉल और खेल ग्राउंड तक नहीं बन सका है. यहां पहुंचने के लिए कोई रास्ता नहीं है. बच्चे पगडंडियों के रास्ते स्कूल पहुंतचे हैं. बरसात के दिनों में बच्चे कीचड़ में गिरते पड़ते स्कूल पहुंचते हैं. प्रशासन द्वारा पहुंच मार्ग नहीं बनवाया गया है.

छात्र-छात्राएं बोले गिरते पड़ते पहुंचते हैं स्कूल

दसवीं की छात्रा हेमलता कुर्मी ने बताया कि "स्कूल आने-जाने के लिए सड़क नहीं है. खेतों से होकर जाना होता है. बरसात में नाला पार करने में भी परेशानी होती है." छात्र जीवन पटेल ने बताया कि "स्कूल तक पहुंचने में बहुत परेशानी होती है. जरा सी बारिश में नाला भर जाता है. जिस पर पुलिया तो बनी है लेकिन उसके ऊपर पानी आ जाने की वजह से पार करना मुश्किल होता है. अभी पिछले दिन बारिश हुई थी जिससे हम लोग फंस गए थे. गांव वालों ने ट्रैक्टर की मदद से हम लोगों को निकाला था."

यहां पढ़ें...

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कम हो रही विद्यार्थियों की संख्या

रास्ता न होने के चलते लगातार विद्यार्थियों की संख्या कम होती जा रही है. स्कूल प्राचार्य दलपत सिंह लोधी ने बताया कि "स्कूल तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं है. ना ही स्कूल परिसर में बाउंड्रीवॉल है, जिससे काफी समस्या होती है. इसी कारण से बच्चों की संख्या भी पिछले चार-पांच वर्षों में लगातार कम हुई है. पहले सैकड़ों की संख्या में बच्चे आते थे. अब 60-65 बच्चे ही दर्ज हैं. इस संबंध में कलेक्टर और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को लिखित में भी अवगत करा दिया है." इस संबंध में शिक्षा विभाग का कहना है कि "पंचायत का मामला है, इसलिए सड़क का निर्माण भी पंचायत ही कर सकती है. रास्ते में निजी भूमि पड़ती है जिसके कारण रास्ता नहीं बन पा रहा है.

दमोह। नवीन शैक्षणिक सत्र शुरू हो चुका है. पथरिया ब्लॉक के एक स्कूल के बच्चे पगडंडियों से स्कूल जाने को मजहूर हैं. बारिश के दिनों में इन पगडंडियों से आवाजाही करने में बहुत परेशानियों को सामना करना पड़ता है. ऐसे में जब बारिश का दौर शुरू हो गया है, तो पहली ही बारिश में पगडंडियां दलदल में तब्दील हो गई हैं. छात्रों को कीचड़ से गुजर कर स्कूल जाना पड़ रहा है.

जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंच रहे बच्चे (ETV Bharat)

स्कूल पहुंचने के लिए रास्ता ही नहीं

प्रदेश सरकार भले ही शैक्षणिक गुणवत्ता और हर गांव में स्कूल खोलने के लाख दावा करे, लेकिन इन दावों की पोल पथरिया ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम सूखा का शासकीय स्कूल खोल रहा है. शासकीय शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है, लेकिन स्कूल तक पहुंचने के लिए बच्चे दलदल नुमा पगडंडी से स्कूल जाने को मजबूर हैं.

स्कूल में नहीं है बाउंड्रीवॉल (ETV Bharat)

बारिश के दिनों में होती है ज्यादा परेशानी

दरअसल, ग्राम सूखा में स्कूल तो बना दिया गया है, लेकिन बच्चों को वहां तक पहुंचने के लिए कच्चे रास्ते से जाना पड़ता है. स्कूल में करीब 5 गांव के बच्चे आते हैं. बारिश के मौसम में बच्चे जान जोखिम में डालकर पुलिया को पार करते हैं. यहां छात्रों के लिए ना तो पीने के पानी की सुविधा है और ना ही खेल ग्राउंड और बाउंड्रीवॉल है.

खेत में बना दिया हाईस्कूल

बता दें कि यह स्कूल गांव के बाहर करीब 1 किलोमीटर दूर खेत में बना हुआ है. सीमांकन ना होने से बाउंड्रीवॉल और खेल ग्राउंड तक नहीं बन सका है. यहां पहुंचने के लिए कोई रास्ता नहीं है. बच्चे पगडंडियों के रास्ते स्कूल पहुंतचे हैं. बरसात के दिनों में बच्चे कीचड़ में गिरते पड़ते स्कूल पहुंचते हैं. प्रशासन द्वारा पहुंच मार्ग नहीं बनवाया गया है.

छात्र-छात्राएं बोले गिरते पड़ते पहुंचते हैं स्कूल

दसवीं की छात्रा हेमलता कुर्मी ने बताया कि "स्कूल आने-जाने के लिए सड़क नहीं है. खेतों से होकर जाना होता है. बरसात में नाला पार करने में भी परेशानी होती है." छात्र जीवन पटेल ने बताया कि "स्कूल तक पहुंचने में बहुत परेशानी होती है. जरा सी बारिश में नाला भर जाता है. जिस पर पुलिया तो बनी है लेकिन उसके ऊपर पानी आ जाने की वजह से पार करना मुश्किल होता है. अभी पिछले दिन बारिश हुई थी जिससे हम लोग फंस गए थे. गांव वालों ने ट्रैक्टर की मदद से हम लोगों को निकाला था."

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कम हो रही विद्यार्थियों की संख्या

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