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फावड़ा लेकर तालाब में उतरे कलेक्टर, ये देख सभी अधिकारी भी सफाई में जुटे - DAMOH COLLECTOR CLEAN FUTERA POND

दमोह के फुटेरा तालाब में जिला कलेक्टर फावड़ा लेकर उतरे और तालाब की सफाई करने करने लगे. जिसके बाद अन्य अधिकारी भी उनके साथ तालाब की सफाई में जुट गए. कलेक्टर सुधीर कुमार ने बताया कि प्राचीन जल स्रोत धरोहर हैं, आने वालों दिनों में जल संकट से बचने के लिए इन जल स्रोतों का संरक्षण जरूरी है.

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 9, 2024, 9:26 PM IST

District Collector came down to clean the pond with a shovel
फावड़ा लेकर तालाब साफ करने उतरे जिला कलेक्टर (ETV Bharat)

दमोह। नगर का सबसे बड़ा और प्राचीन फुटेरा तालाब समय के साथ अपना महत्व खोता जा रहा है. लोगों को जलस्रोतों और जल का महत्व समझाने के लिए सरकार कई तरह के कार्यक्रम करती रहती है, लेकिन लोग उसका महत्व नहीं समझ पाते हैं. जल और जल स्रोतों का महत्व समझाने के लिए दमोह कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर खुद फावड़ा लेकर तालाब की गंदगी साफ करने उतर गए. उनके साथ विभिन्न विभागों के कर्मचारी भी फावड़ा तसला लेकर सफाई करने लगे.

फुटेरा तालाब में सफाई करने पहुंचे जिला कलेक्टर (ETV Bharat)

पुराने जल स्रोतों का संरक्षण जरूरी

सरकार जल गंगा संवर्धन अभियान चला रही है, जिसमें जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया जा रहा है. इस अभियान के तहत रविवार को जिला कलेक्टर रविवार को सुबह फुटेरा तालाब पहुंचे और फावड़ा लेकर तालाब में उतर गए. उनको देखकर अन्य कर्मचारी भी तालाब की सफाई में जुट गए. उन्होंने बताया कि बढ़ते गर्मी को देखकर लगता है कि आने वाले कुछ सालों में भयंकर जल संकट पैदा हो सकती है. इसलिए पुराने जल स्रोतों को संरक्षित कर बहुत जरूरी है, पानी का सदुपयोग ही जल संकट से बचा सकता है.

गंगा संवर्धन अभियान

कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने बताया कि "प्रदेश सरकार द्वारा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जा रहा है. सही मायने में यह अभियान जनता का अभियान है. इसी क्रम में नीतेश प्यासी और चक्रवर्ती के संयोजन में हम सब यहां पर जुटे हैं. मुझे बताया गया है कि चक्रवर्ती की 365 दिन फुटेरा तालाब में काम करते रहते हैं. असली जल योद्धा तो ऐसे ही लोग हैं."

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प्राचीन जल स्रोत हैं पुरातात्विक धरोहर

कलेक्टर ने कहा कि "संत निरंकारी समाज और अन्य कई संगठनों के लोग यहां पर मौजूद हैं, जिन्होंने 7 बजे सुबह से लेकर 9 बजे तक सफाई की. हमारा टारगेट पूर्ण तालाब में सफाई करने का है. 15 जून तक लगातार यह काम होंगे. उसके बाद गंगा दशहरा का आयोजन है. दमोह जिले में जितनी पुरातात्विक सम्पदा है, सही अर्थों में देखा जाए तो मंदिर और स्मारक ही नहीं बल्कि तालाब भी पुरातात्विक धरोहर हैं. इन्हें जनता के संरक्षण में सहेजने का काम हम लोग करेंगे."

दमोह। नगर का सबसे बड़ा और प्राचीन फुटेरा तालाब समय के साथ अपना महत्व खोता जा रहा है. लोगों को जलस्रोतों और जल का महत्व समझाने के लिए सरकार कई तरह के कार्यक्रम करती रहती है, लेकिन लोग उसका महत्व नहीं समझ पाते हैं. जल और जल स्रोतों का महत्व समझाने के लिए दमोह कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर खुद फावड़ा लेकर तालाब की गंदगी साफ करने उतर गए. उनके साथ विभिन्न विभागों के कर्मचारी भी फावड़ा तसला लेकर सफाई करने लगे.

फुटेरा तालाब में सफाई करने पहुंचे जिला कलेक्टर (ETV Bharat)

पुराने जल स्रोतों का संरक्षण जरूरी

सरकार जल गंगा संवर्धन अभियान चला रही है, जिसमें जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया जा रहा है. इस अभियान के तहत रविवार को जिला कलेक्टर रविवार को सुबह फुटेरा तालाब पहुंचे और फावड़ा लेकर तालाब में उतर गए. उनको देखकर अन्य कर्मचारी भी तालाब की सफाई में जुट गए. उन्होंने बताया कि बढ़ते गर्मी को देखकर लगता है कि आने वाले कुछ सालों में भयंकर जल संकट पैदा हो सकती है. इसलिए पुराने जल स्रोतों को संरक्षित कर बहुत जरूरी है, पानी का सदुपयोग ही जल संकट से बचा सकता है.

गंगा संवर्धन अभियान

कलेक्टर सुधीर कुमार कोचर ने बताया कि "प्रदेश सरकार द्वारा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में जल गंगा संवर्धन अभियान चलाया जा रहा है. सही मायने में यह अभियान जनता का अभियान है. इसी क्रम में नीतेश प्यासी और चक्रवर्ती के संयोजन में हम सब यहां पर जुटे हैं. मुझे बताया गया है कि चक्रवर्ती की 365 दिन फुटेरा तालाब में काम करते रहते हैं. असली जल योद्धा तो ऐसे ही लोग हैं."

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प्राचीन जल स्रोत हैं पुरातात्विक धरोहर

कलेक्टर ने कहा कि "संत निरंकारी समाज और अन्य कई संगठनों के लोग यहां पर मौजूद हैं, जिन्होंने 7 बजे सुबह से लेकर 9 बजे तक सफाई की. हमारा टारगेट पूर्ण तालाब में सफाई करने का है. 15 जून तक लगातार यह काम होंगे. उसके बाद गंगा दशहरा का आयोजन है. दमोह जिले में जितनी पुरातात्विक सम्पदा है, सही अर्थों में देखा जाए तो मंदिर और स्मारक ही नहीं बल्कि तालाब भी पुरातात्विक धरोहर हैं. इन्हें जनता के संरक्षण में सहेजने का काम हम लोग करेंगे."

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