पटना: राजधानी पटना के कदमकुआं में रहनेवाली 78 वर्षीय रिटायर्ड प्रोफेसर ज्योति वर्मा के शांत और नियमित जीवन में अचानक एक रहस्यमय मोड़ आया. पहले कॉल कर ED और CBI की धमकी दी गयी. फिर दरवाजे पर दस्तक हुई और सामने खड़ा था एक ऐसा शख्स जिसने खुद को जांच एजेंसी का आदमी बताया. उसके हाथ में एफआईआर की कॉपी थी और जुबान पर कानून की पेचीदगियां. इस तरह साइबर अपराधियों की जाल में फंसकर महिला प्रोफेसर अपनी जमा-पूंजी गंवा बैठीं.
क्या है मामलाः पटना विश्वविद्यालय की 78 वर्षीय रिटायर्ड प्रोफेसर ज्योति वर्मा को साइबर अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट कर 3.07 करोड़ रुपए की ठगी कर ली. कदम कुआं के रोड नंबर पांच में अकेले रहने वाली प्रोफेसर ज्योति वर्मा के घर पर निगरानी के लिए साइबर अपराधियों ने एक व्यक्ति की भी तैनाती कर रखी थी, जो फोन पर मिल रहे निर्देशों के अनुसार महिला प्रोफेसर से काम करवाते रहा. साइबर अपराधियों ने महिला प्रोफेसर से फिक्सड डिपोजिट को तोड़कर पैसे अपने खाते में डलवा लिए.
कैसे की ठगीः ज्योति वर्मा को 5 नवंबर को दोपहर में अनजान नंबर से कॉल आया. कॉलर ने कहा कि आपने क्रेडिट कार्ड से 1.15 लाख खर्च किया. आप पर मामला दर्ज किया गया है. यह कहने पर कि उन्होंने कोई क्रेडिट कार्ड अप्लाई नहीं किया है, तो फोन करने वाले शख्स ने दूसरे शख्स को लाइन पर लिया. उसने बताया कि हैदराबाद के बैंक में आपका अकाउंट है जो नरेश गोयल से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा हुआ है, इसलिए आप सस्पेक्ट हैं.
परिवार के जान पर खतरा का डरः ज्योति वर्मा ने बताया कि जिस शख्स से उसकी बात कराई गई थी, वह खुद को नरेश गोयल फ्रॉड ग्रुप की जांच करने वाला सीबीआई अधिकारी शिवा सुब्रमनी बताया. उसने कहा कि केस के बारे में किसी को नहीं बताना, नहीं तो पूरे परिवार की जान को खतरा हो सकता है. उसने कहा कि आपके खाते की जांच की जाएगी और सारा पैसा सुप्रीम कोर्ट भेजना होगा, जिसकी निगरानी आरबीआई करेगी कि यह ब्लैक मनी है या नहीं.
सुप्रीम कोर्ट करेगा नुकसान का भरपायीः ज्योति वर्मा ने बताया कि उस शख्स ने एक व्यक्ति को उसके घर पर भेजा. साथ ही सुप्रीम कोर्ट और आरबीआई का नोटिस भी भिजवाया, जिसमें थाने के नाम पर अरेस्ट वारंट भी आया. इसके बाद उन्हें डरा धमका कर चेक से पैसा आरटीजीएस के जरिए विभिन्न बैंक अकाउंट में भिजवाया गया. बाद में उधर से कहा गया कि आपका पैसा ब्लैक मनी नहीं है, इसलिए आपको एनओसी मिलेगी. इसके लिए भी अपराधियों ने 7.50 लाख रुपए लिए. साइबर अपराधियों ने कहा कि सब कुछ सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हो रहा है, आपको एफडी तोड़ने से हुए नुकसान की भरपाई भी सुप्रीम कोर्ट करेगी.
"महिला के साथ लगभग 3 करोड़ की ठगी की गई है. कई राज्यों में पैसे मंगवा गए हैं. कंस्ट्रक्शन कंपनी के नाम पर करंट अकाउंट में भी पैसे मंगवा गए हैं. महिला को ब्लैक मनी के नाम पर धमकाया गया था. पुलिस मामले की जांच में जुटी है."- राघवेंद्र मनीष त्रिपाठी, साइबर थाना प्रभारी
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