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आसान भाषा में समझें कैसे होता है साइबर क्राइम और डिजिटल अरेस्ट, कैसे आप ठगी से बच सकते हैं

लोग आजकल साइबर अपराधियों के चंगुल में फंस रहे हैं. ऐसे में हम आपको कुछ घटनाओं का जिक्र करते हुए बताते हैं कैसे बचें.

प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो (Getty Image)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 22, 2024, 9:45 PM IST

पटना : '14 सितंबर को पूर्व विधायक के बेटे डिजिटल अरेस्ट हुए, 29 अक्टूबर को आईआईटी पटना का छात्र, 18 नवंबर को रिटायर्ड महिला प्रोफेसर तो 21 नवंबर को दरभंगा के व्यवसायी', ये तो मजह 4 आंकड़े हम आपके सामने रखे हैं. ऐसे न जाने बिहार में कितने लोग हैं जो आजकल साइबर अपराधियों के चंगुल में फंस रहे हैं.

साइबर ठगी के 300 से अधिक मामले : साइबर अपराध का लेखा जोखा रखने वाली संस्था नेशनल क्राईम रिर्पोटिंग पोर्टल के अनुसार हाल के दिनों में बिहार में साइबर ठगी से जुड़े करीब 300 मामले सामने आए हैं. जिसमें 10 करोड़ रुपए तक की ठगी कर ली गई है. वहीं आर्थिक अपराध इकाई के अनुसार समय पर सूचना मिलने पर करीब 1.5 करोड रुपए की राशि को होल्ड कराया गया है.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

कैसे बढ़े बिहार में साइबर अपराध के मामले : NCRP पर बिहार राज्य से संबंधित साइबर ठगी (ऑनलाईन वित्तीय धोखाधड़ी) के वर्ष 2022 में 10240 शिकायतें दर्ज किये गये, जबकि वर्ष 2023 में शिकायतों का आंकड़ा 42033 पर पहुंच गया. वहीं वर्ष 2024 में साइबर ठगी के अक्टूबर माह के अंत तक कुल 61725 शिकायतें दर्ज की गई हैं.

इस साल अबतक 674 करोड़ की राशि : NCRP पर अब तक (माह अक्टूबर 2024 के अंत तक) प्रतिवेदित शिकायतों में करीब 674 करोड़ की राशि की ठगी प्रतिवेदित हुई है. जिसके विरूद्ध करीब 94.5 करोड़ की राशि को बचाया (होल्ड) कराया गया है.

लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर रहे साइबर अपराधी : आंकड़ों से साफ है कि बिहार में साइबर अपराध के मामले काफी बढ़े हैं. साइबर ठग अब लोगों को डिजिटल अरेस्ट करने लगे हैं. खुद को वीडियो कॉल करके बड़ा अधिकारी बता रहे हैं और लोगों को करोड़ों का चूना लगा रहे हैं. बीते 2 महीने में ही दर्जन भर से अधिक डिजिटल अरेस्ट के मामले सामने आ चुके हैं.

प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो (Getty Image)

आम से लेकर खास तक हर कोई बन रहा निशाना : इसमें हैरानी की बात है कि जांच एजेंसी भी अभी तक कोई खास उपलब्धि इन मामलों में हासिल नहीं कर पाई है. ऐसे में साइबर अपराधियों के मनोबल भी बढ़े हुए हैं. साइबर अपराधियों का मनोबल इस कदर बढ़ा हुआ है कि आम लोग तो छोड़िए, बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों को भी अपना शिकार बनाने लगे हैं.

क्या है डिजिटल अरेस्ट ? : अब सवाल उठता है कि आखिर ये डिजिटल अरेस्ट है क्या? साइबर एक्सपर्ट अंकुर कुमार बताते हैं कि डिजिटल अरेस्ट में व्यक्ति के पास अननोन नंबर से वीडियो कॉल के जरिए संपर्क किया जाता है. इसमें सामने बैठा व्यक्ति पुलिस की वर्दी में रहता है अथवा किसी बड़े पदाधिकारी की पोशाक में रहता है. जहां से वीडियो कॉल में दिखता है कि कॉल किसी सरकारी दफ्तर से है.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

''साइबर ठग की ओर से व्यक्ति को अलग-अलग बातों में डराया और धमकाया जाता है, जिसमें व्यक्ति फंस जाते हैं. इसके बाद व्यक्ति को कई दिनों अथवा कई घंटे तक कैमरे के सामने बैठे रहने को कहा जाता है. इस दौरान साइबर ठग उस व्यक्ति की कई पर्सनल जानकारी हासिल कर लेते हैं और बैंक डिटेल्स निकाल लेते हैं. इसके बाद सभी को मिलाकर बैंक अकाउंट से पैसे उड़ा लेते हैं.''- अंकुर कुमार, साइबर एक्सपर्ट

क्या कहता है EOU ? : आर्थिक अपराध इकाई (EOU) का कहना है कि साइबर अपराधी अब डिजिटल अरेस्ट का तरीका अपना कर लोगों से ठगी कर रहे हैं. इसमें साइबर ठग खुद को पुलिस का बड़ा अधिकारी बताते हैं. लेकिन लोगों को यह जानना जरूरी है कि पुलिस, बैंक अथवा कोई भी जांच एजेंसी आपसे फोन पर भुगतान या बैंक डिटेल्स की जानकारी नहीं मांगती है. इसके अलावा जांच एजेंसियां संचार के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नहीं करते. ना हीं वीडियो कॉल अथवा वॉइस कॉल के आधार पर बयान दर्ज किया जाता है. पुलिस जब किसी को कॉल करती है तो उसे अन्य लोगों से बातचीत करने से रोकती अथवा धमकाती नहीं है.

''अगर किसी को ऐसे फोन कॉल आ रहे हैं तो अपनी कोई भी व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचें. उस कॉल डिटेल और यदि लेनदेन किए हैं तो सभी साक्ष्य को सहेज कर रखें. इसके बाद तुरंत इसकी शिकायत इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर में करें अथवा पुलिस स्टेशन को इसकी जानकारी दें. साइबर अपराध से जुड़े हेल्पलाइन नंबर 1930 पर भी कॉल करके कंप्लेंट दर्ज कर सकते हैं.''- जेएस गंगवार, एडीजी, बिहार पुलिस मुख्यालय

जानकारी ही बचाव है : बिहार पुलिस मुख्यालय के एडीजी जेएस गंगवार बताते हैं कि साइबर अपराध में जानकारी ही बचाव है. काफी पढ़े लिखे लोग भी साइबर अपराध के शिकार हो रहे हैं. इसलिए साइबर अपराध से बचने के लिए जगह-जगह जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. लोगों से आग्रह किया जा रहा है कि किसी को भी अपनी व्यक्तिगत जानकारी नहीं दें.

एडीजी जेएस गंगवार
एडीजी जेएस गंगवार (ETV Bharat)

''सभी जिलों में साइबर थाना पिछले वर्ष ही खुल चुका है, जहां मामले आने पर अनुसंधान हो रहे हैं. समय-समय पर साइबर थाना के इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर को हार्ड ट्रेनिंग भी दी जाती है. साइबर अपराध के मामले सामने आने पर बिहार पुलिस काफी तेजी से रिस्पांस करती है. रिस्पांस के मामले में देश में बिहार पहले अथवा दूसरे स्थान पर रहता है.''- जेएस गंगवार, एडीजी, बिहार पुलिस मुख्यालय

आइये अब आपको डिजिटल अरेस्ट के कुछ मामलों से रू-ब-रू करवाते हैं.

केस 1- पूर्व विधायक के बेटे डिजिटल अरेस्ट : दिनांक 14 सितंबर, मामला सामने आता है कि बेगूसराय में पूर्व विधायक बोगो सिंह के बेटे सुमन सौरभ डिजिटल अरेस्ट हो गए हैं. पुलिस ने सुमन सौरव को सकुशल बरामद किया.

दरअसल 13 सितंबर को सुमन सौरव घर नहीं पहुंचे जिसके बाद परिजन चिंतित हो गए. लोगों को चिंता सताने लगी कि कहीं उनकी किडनैपिंग तो नहीं हो गई. मामला हाई प्रोफाइल होने के कारण पुलिस ने सुमन सौरव का मोबाइल लोकेशन निकाला और फिर उन्हें एक होटल से सकुशल बरामद किया.

इस दौरान पुलिस ने बताया कि साइबर अपराधियों की चंगुल में सुमन लगभग 9 घंटे तक गिरफ्त में रहे. साइबर अपराधियों ने सुमन को वीडियो कॉल किया जिसमें दूसरे तरफ से पुलिस की वर्दी में एक ठग बैठा हुआ था.

प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो (Getty Image)

साइबर अपराधियों ने सुमन को कहा कि उनके द्वारा भेजे गए करियर में ड्रग्स और हथियार जैसी गैर कानूनी चीज पाई गई हैं. अपराधियों ने कहा कि वह खुद को किसी कमरे में बंद कर लें और किसी से भी बात ना करें. अगर कहीं बात करते हैं तो ईडी और इनकम टैक्स का छापा किसी भी वक्त पड़ सकता है. हालांकि समय पर पुलिस के पहुंचने के कारण अपराधी कोई आर्थिक गबन नहीं कर पाए. सुमन सौरव अपना निजी विद्यालय संचालन करते हैं.

पूर्व MLA बोगो सिंह के बेटे 'डिजिटल अरेस्ट', 9 घंटे बाद इस हालत मे मिले सुमन सौरभ - DIGITAL ARREST

केस 2- आईआईटी पटना के छात्र से 9 लाख की ठगी : मामला 29 अक्टूबर को संज्ञान में आता है. पता चलता है कि साइबर ठगों ने आईआईटी पटना के एक छात्र को खुद को मुंबई का बड़ा पुलिस अधिकारी बताते हुए कमरे में ही डिजिटल अरेस्ट कर लिया. इसके बाद छात्र से ₹9 लख रुपए की ठगी कर ली.

साइबर थाना में इस संबंध में शिकायत करते हुए पीड़ित छात्र ने बताया कि, पहले फोन 7 अक्टूबर को आया था. कॉल करने वाले ने अपने आप को मुंबई क्राइम ब्रांच का बड़ा अधिकारी बताया. कहा कि आपके नाम से एचडीएफसी बैंक में अवैध लेनदेन किया गया है. इसके बाद पीड़ित के खाते से अपराधियों ने अपने अकाउंट में 8.90 लाख रुपए भिजवा लिए. छात्र को बाद में पता चला कि उसके साथ ठगी हुई है.

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केस 3- रिटायर्ड प्रोफेसर से 3.07 करोड़ की ठगी : यह मामला कदम कुआं थाने में 18 नवंबर को सामने आता है. जहां 78 वर्षीय रिटायर्ड महिला प्रोफेसर को साइबर अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट करके अब तक की सबसे बड़ी ठगी, 3.07 करोड़ रुपए की ठगी कर ली. साइबर अपराधियों ने कई दिनों तक प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट रखा. अपराधियों ने महिला प्रोफेसर को कहा कि आपका हैदराबाद के केनरा बैंक मैं बैंक अकाउंट है जो मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ गया है, इसलिए आप सस्पेक्ट हैं.

प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो (ETV Bharat)

इसके बाद अपराधियों ने खुद को सीबीआई का अधिकारी बताते हुए महिला प्रोफेसर के घर पर एक व्यक्ति के माध्यम से फेक सुप्रीम कोर्ट और आरबीआई का नोटिस भिजवाया. इसके साथ ही थाने के नाम पर अरेस्ट वारंट भी आया. महिला प्रोफेसर डर गईं और अपराधियों ने उन्हें डरा धमकाकर आरटीजीएस के जरिए विभिन्न बैंक अकाउंट में तीन करोड़ रुपए से अधिक की ठगी कर ली. महिला प्रोफेसर के सभी एफडी को अपराधियों ने तुड़वा लिया और कहा कि इससे जो नुकसान होगा उसकी भरपाई सुप्रीम कोर्ट करेगी.

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केस 4- दरभंगा के व्यवसायी डिजिटल अरेस्ट : मामला 21 नवंबर की शाम को सामने आता है. दरभंगा जिले के एक व्यवसायी मनीष कुमार को साइबर ठगों ने आधे घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा और खुद को पुलिस का बड़ा अधिकारी बताते हुए पैसे ठगने की कोशिश की. इस संबंध में व्यवसायी ने दरभंगा के कमतौल थाना में मामला भी दर्ज कराया है.

अपराधियों ने वीडियो कॉल किया और वीडियो कॉल में पुलिस वर्दी में बैठे शख्स ने मनीष के सभी बैंक डिटेल्स मांगे. उसने कहा कि आपने स्टेट बैंक आफ इंडिया की मुंबई शाखा में 4 करोड़ रुपए जमा किए हैं जिस पर कोई टैक्स नहीं दिया है. इस मामले को लेकर तुम्हारी गिरफ्तारी हो सकती है. लेकिन अचानक मनीष को लगा कि उसके साथ साइबर ठगी हो रही है तो उसने फोन कट कर दिया, यह कहते हुए फोन कट किया कि जो करना है कर ले.

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पटना : '14 सितंबर को पूर्व विधायक के बेटे डिजिटल अरेस्ट हुए, 29 अक्टूबर को आईआईटी पटना का छात्र, 18 नवंबर को रिटायर्ड महिला प्रोफेसर तो 21 नवंबर को दरभंगा के व्यवसायी', ये तो मजह 4 आंकड़े हम आपके सामने रखे हैं. ऐसे न जाने बिहार में कितने लोग हैं जो आजकल साइबर अपराधियों के चंगुल में फंस रहे हैं.

साइबर ठगी के 300 से अधिक मामले : साइबर अपराध का लेखा जोखा रखने वाली संस्था नेशनल क्राईम रिर्पोटिंग पोर्टल के अनुसार हाल के दिनों में बिहार में साइबर ठगी से जुड़े करीब 300 मामले सामने आए हैं. जिसमें 10 करोड़ रुपए तक की ठगी कर ली गई है. वहीं आर्थिक अपराध इकाई के अनुसार समय पर सूचना मिलने पर करीब 1.5 करोड रुपए की राशि को होल्ड कराया गया है.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

कैसे बढ़े बिहार में साइबर अपराध के मामले : NCRP पर बिहार राज्य से संबंधित साइबर ठगी (ऑनलाईन वित्तीय धोखाधड़ी) के वर्ष 2022 में 10240 शिकायतें दर्ज किये गये, जबकि वर्ष 2023 में शिकायतों का आंकड़ा 42033 पर पहुंच गया. वहीं वर्ष 2024 में साइबर ठगी के अक्टूबर माह के अंत तक कुल 61725 शिकायतें दर्ज की गई हैं.

इस साल अबतक 674 करोड़ की राशि : NCRP पर अब तक (माह अक्टूबर 2024 के अंत तक) प्रतिवेदित शिकायतों में करीब 674 करोड़ की राशि की ठगी प्रतिवेदित हुई है. जिसके विरूद्ध करीब 94.5 करोड़ की राशि को बचाया (होल्ड) कराया गया है.

लोगों को डिजिटल अरेस्ट कर रहे साइबर अपराधी : आंकड़ों से साफ है कि बिहार में साइबर अपराध के मामले काफी बढ़े हैं. साइबर ठग अब लोगों को डिजिटल अरेस्ट करने लगे हैं. खुद को वीडियो कॉल करके बड़ा अधिकारी बता रहे हैं और लोगों को करोड़ों का चूना लगा रहे हैं. बीते 2 महीने में ही दर्जन भर से अधिक डिजिटल अरेस्ट के मामले सामने आ चुके हैं.

प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो (Getty Image)

आम से लेकर खास तक हर कोई बन रहा निशाना : इसमें हैरानी की बात है कि जांच एजेंसी भी अभी तक कोई खास उपलब्धि इन मामलों में हासिल नहीं कर पाई है. ऐसे में साइबर अपराधियों के मनोबल भी बढ़े हुए हैं. साइबर अपराधियों का मनोबल इस कदर बढ़ा हुआ है कि आम लोग तो छोड़िए, बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों को भी अपना शिकार बनाने लगे हैं.

क्या है डिजिटल अरेस्ट ? : अब सवाल उठता है कि आखिर ये डिजिटल अरेस्ट है क्या? साइबर एक्सपर्ट अंकुर कुमार बताते हैं कि डिजिटल अरेस्ट में व्यक्ति के पास अननोन नंबर से वीडियो कॉल के जरिए संपर्क किया जाता है. इसमें सामने बैठा व्यक्ति पुलिस की वर्दी में रहता है अथवा किसी बड़े पदाधिकारी की पोशाक में रहता है. जहां से वीडियो कॉल में दिखता है कि कॉल किसी सरकारी दफ्तर से है.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

''साइबर ठग की ओर से व्यक्ति को अलग-अलग बातों में डराया और धमकाया जाता है, जिसमें व्यक्ति फंस जाते हैं. इसके बाद व्यक्ति को कई दिनों अथवा कई घंटे तक कैमरे के सामने बैठे रहने को कहा जाता है. इस दौरान साइबर ठग उस व्यक्ति की कई पर्सनल जानकारी हासिल कर लेते हैं और बैंक डिटेल्स निकाल लेते हैं. इसके बाद सभी को मिलाकर बैंक अकाउंट से पैसे उड़ा लेते हैं.''- अंकुर कुमार, साइबर एक्सपर्ट

क्या कहता है EOU ? : आर्थिक अपराध इकाई (EOU) का कहना है कि साइबर अपराधी अब डिजिटल अरेस्ट का तरीका अपना कर लोगों से ठगी कर रहे हैं. इसमें साइबर ठग खुद को पुलिस का बड़ा अधिकारी बताते हैं. लेकिन लोगों को यह जानना जरूरी है कि पुलिस, बैंक अथवा कोई भी जांच एजेंसी आपसे फोन पर भुगतान या बैंक डिटेल्स की जानकारी नहीं मांगती है. इसके अलावा जांच एजेंसियां संचार के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नहीं करते. ना हीं वीडियो कॉल अथवा वॉइस कॉल के आधार पर बयान दर्ज किया जाता है. पुलिस जब किसी को कॉल करती है तो उसे अन्य लोगों से बातचीत करने से रोकती अथवा धमकाती नहीं है.

''अगर किसी को ऐसे फोन कॉल आ रहे हैं तो अपनी कोई भी व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचें. उस कॉल डिटेल और यदि लेनदेन किए हैं तो सभी साक्ष्य को सहेज कर रखें. इसके बाद तुरंत इसकी शिकायत इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर में करें अथवा पुलिस स्टेशन को इसकी जानकारी दें. साइबर अपराध से जुड़े हेल्पलाइन नंबर 1930 पर भी कॉल करके कंप्लेंट दर्ज कर सकते हैं.''- जेएस गंगवार, एडीजी, बिहार पुलिस मुख्यालय

जानकारी ही बचाव है : बिहार पुलिस मुख्यालय के एडीजी जेएस गंगवार बताते हैं कि साइबर अपराध में जानकारी ही बचाव है. काफी पढ़े लिखे लोग भी साइबर अपराध के शिकार हो रहे हैं. इसलिए साइबर अपराध से बचने के लिए जगह-जगह जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. लोगों से आग्रह किया जा रहा है कि किसी को भी अपनी व्यक्तिगत जानकारी नहीं दें.

एडीजी जेएस गंगवार
एडीजी जेएस गंगवार (ETV Bharat)

''सभी जिलों में साइबर थाना पिछले वर्ष ही खुल चुका है, जहां मामले आने पर अनुसंधान हो रहे हैं. समय-समय पर साइबर थाना के इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर को हार्ड ट्रेनिंग भी दी जाती है. साइबर अपराध के मामले सामने आने पर बिहार पुलिस काफी तेजी से रिस्पांस करती है. रिस्पांस के मामले में देश में बिहार पहले अथवा दूसरे स्थान पर रहता है.''- जेएस गंगवार, एडीजी, बिहार पुलिस मुख्यालय

आइये अब आपको डिजिटल अरेस्ट के कुछ मामलों से रू-ब-रू करवाते हैं.

केस 1- पूर्व विधायक के बेटे डिजिटल अरेस्ट : दिनांक 14 सितंबर, मामला सामने आता है कि बेगूसराय में पूर्व विधायक बोगो सिंह के बेटे सुमन सौरभ डिजिटल अरेस्ट हो गए हैं. पुलिस ने सुमन सौरव को सकुशल बरामद किया.

दरअसल 13 सितंबर को सुमन सौरव घर नहीं पहुंचे जिसके बाद परिजन चिंतित हो गए. लोगों को चिंता सताने लगी कि कहीं उनकी किडनैपिंग तो नहीं हो गई. मामला हाई प्रोफाइल होने के कारण पुलिस ने सुमन सौरव का मोबाइल लोकेशन निकाला और फिर उन्हें एक होटल से सकुशल बरामद किया.

इस दौरान पुलिस ने बताया कि साइबर अपराधियों की चंगुल में सुमन लगभग 9 घंटे तक गिरफ्त में रहे. साइबर अपराधियों ने सुमन को वीडियो कॉल किया जिसमें दूसरे तरफ से पुलिस की वर्दी में एक ठग बैठा हुआ था.

प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो (Getty Image)

साइबर अपराधियों ने सुमन को कहा कि उनके द्वारा भेजे गए करियर में ड्रग्स और हथियार जैसी गैर कानूनी चीज पाई गई हैं. अपराधियों ने कहा कि वह खुद को किसी कमरे में बंद कर लें और किसी से भी बात ना करें. अगर कहीं बात करते हैं तो ईडी और इनकम टैक्स का छापा किसी भी वक्त पड़ सकता है. हालांकि समय पर पुलिस के पहुंचने के कारण अपराधी कोई आर्थिक गबन नहीं कर पाए. सुमन सौरव अपना निजी विद्यालय संचालन करते हैं.

पूर्व MLA बोगो सिंह के बेटे 'डिजिटल अरेस्ट', 9 घंटे बाद इस हालत मे मिले सुमन सौरभ - DIGITAL ARREST

केस 2- आईआईटी पटना के छात्र से 9 लाख की ठगी : मामला 29 अक्टूबर को संज्ञान में आता है. पता चलता है कि साइबर ठगों ने आईआईटी पटना के एक छात्र को खुद को मुंबई का बड़ा पुलिस अधिकारी बताते हुए कमरे में ही डिजिटल अरेस्ट कर लिया. इसके बाद छात्र से ₹9 लख रुपए की ठगी कर ली.

साइबर थाना में इस संबंध में शिकायत करते हुए पीड़ित छात्र ने बताया कि, पहले फोन 7 अक्टूबर को आया था. कॉल करने वाले ने अपने आप को मुंबई क्राइम ब्रांच का बड़ा अधिकारी बताया. कहा कि आपके नाम से एचडीएफसी बैंक में अवैध लेनदेन किया गया है. इसके बाद पीड़ित के खाते से अपराधियों ने अपने अकाउंट में 8.90 लाख रुपए भिजवा लिए. छात्र को बाद में पता चला कि उसके साथ ठगी हुई है.

'हेलो! मैं मुंबई से बोल रहा हूं..' बड़ा अधिकारी बताकर IIT छात्र को किया डिजिटल अरेस्ट, उड़ा लिए लाखों

केस 3- रिटायर्ड प्रोफेसर से 3.07 करोड़ की ठगी : यह मामला कदम कुआं थाने में 18 नवंबर को सामने आता है. जहां 78 वर्षीय रिटायर्ड महिला प्रोफेसर को साइबर अपराधियों ने डिजिटल अरेस्ट करके अब तक की सबसे बड़ी ठगी, 3.07 करोड़ रुपए की ठगी कर ली. साइबर अपराधियों ने कई दिनों तक प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट रखा. अपराधियों ने महिला प्रोफेसर को कहा कि आपका हैदराबाद के केनरा बैंक मैं बैंक अकाउंट है जो मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ गया है, इसलिए आप सस्पेक्ट हैं.

प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो (ETV Bharat)

इसके बाद अपराधियों ने खुद को सीबीआई का अधिकारी बताते हुए महिला प्रोफेसर के घर पर एक व्यक्ति के माध्यम से फेक सुप्रीम कोर्ट और आरबीआई का नोटिस भिजवाया. इसके साथ ही थाने के नाम पर अरेस्ट वारंट भी आया. महिला प्रोफेसर डर गईं और अपराधियों ने उन्हें डरा धमकाकर आरटीजीएस के जरिए विभिन्न बैंक अकाउंट में तीन करोड़ रुपए से अधिक की ठगी कर ली. महिला प्रोफेसर के सभी एफडी को अपराधियों ने तुड़वा लिया और कहा कि इससे जो नुकसान होगा उसकी भरपाई सुप्रीम कोर्ट करेगी.

रिटायर्ड महिला प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट कर ठगे 3 करोड़, जालसाजों ने अपने गुर्गे से घर पर भिजवाये FIR की कॉपी

केस 4- दरभंगा के व्यवसायी डिजिटल अरेस्ट : मामला 21 नवंबर की शाम को सामने आता है. दरभंगा जिले के एक व्यवसायी मनीष कुमार को साइबर ठगों ने आधे घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखा और खुद को पुलिस का बड़ा अधिकारी बताते हुए पैसे ठगने की कोशिश की. इस संबंध में व्यवसायी ने दरभंगा के कमतौल थाना में मामला भी दर्ज कराया है.

अपराधियों ने वीडियो कॉल किया और वीडियो कॉल में पुलिस वर्दी में बैठे शख्स ने मनीष के सभी बैंक डिटेल्स मांगे. उसने कहा कि आपने स्टेट बैंक आफ इंडिया की मुंबई शाखा में 4 करोड़ रुपए जमा किए हैं जिस पर कोई टैक्स नहीं दिया है. इस मामले को लेकर तुम्हारी गिरफ्तारी हो सकती है. लेकिन अचानक मनीष को लगा कि उसके साथ साइबर ठगी हो रही है तो उसने फोन कट कर दिया, यह कहते हुए फोन कट किया कि जो करना है कर ले.

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