बगहा : माघ मौनी अमावस्या पर्व को लेकर त्रिवेणी संगम में स्नान करने के लिए अभी से भक्तों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया है. गंडक नदी में शुक्रवार को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर भक्त जालबोझी करेंगे और फिर विभिन्न शिवालयों में जलाभिषेक करेंगे. इस मौके पर वाल्मीकिनगर में लाखों की संख्या में भक्त पहुंचेंगे लिहाजा प्रशासन ने तैयारियां पूरी कर ली है. भक्त यहां गंडक नदी के त्रिवेणी संगम पर आस्था की डुबकी लगाएंगे.
कई भक्त करते हैं गौ दान : बता दें कि बिहार, यूपी और नेपाल के विभिन्न इलाकों से श्रद्धालु ट्रैक्टर, बैलगाड़ी और बस से यहां पहुंच रहे हैं. परंपरा के मुताबिक स्नान करने के बाद कई भक्त यहां गौ दान करते हैं और मौन रहकर इस पूजा की सफलता की कामना करते हैं. इस दौरान वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के घने जंगल के बीच अवस्थित कौलेश्वर और जयशंकर शिव मंदिर में भक्त पूजा अर्चना करने के साथ जलाभिषेक भी करते हैं.
एसएसबी ने बढ़ा दी चौकसी : प्रत्येक वर्ष भारत और नेपाल के मध्य से होकर गुजरने वाली गंडक नदी के दोनों छोरों पर भक्तों का भारी जमावड़ा लगता है और लाखों लोग यहां स्नान दान करते हैं. इस मेला के मद्देनजर इंडो नेपाल सीमा पर स्थित एसएसबी 21 वीं बटालियन द्वारा चौकसी तेज कर दी गई है. साथ हीं भारत से नेपाल और नेपाल से भारत आने जाने वाले सभी भक्तों के सामानों की जांच की जा रही है.
"हमलोग 70 से 80 भक्त एक साथ बेतिया के योगापट्टी से वाल्मीकीनगर स्थित गंडक नदी के त्रिवेणी संगम पर स्नान करने जा रहे हैं. वहां स्नान दान करने के उपरांत नदी से जलबोझी कर अरेराज स्थित शंकर भगवान के मंदिर में जलाभिषेक करेंगे." - शैलेंद्र यादव , भक्त
यहां है देश का दूसरा त्रिवेणी संगम : गंडक नदी में सोनभद्र, ताम्रभद्र और नारायणी का पवित्र मिलन होता है. लिहाजा इसे प्रयागराज के बाद देश का दूसरा त्रिवेणी संगम होने का गौरव प्राप्त है. भक्त नंदकिशोर तिवारी ने बताया कि माघ मास में जब भगवान सूर्य गोचर करते हुए चंद्रमा के साथ मकर राशि पर आसीन होते हैं तो उस काल को मौनी अमावस्या कहा जाता है.
"इस दिन पवित्र नदी के स्नान करने के बाद तिल, चावल, गोदान और रूपया दान करने की परम्परा है. साथ हीं भगवान विष्णु और शिव की पूजा करने का विधान होता है. इस पर्व में मौन धारण कर मुनियों के समान आचरण करते हुए स्नान दान किया जाता है." - नंदकिशोर तिवारी, भक्त
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