रांची: पश्चिमी विक्षोभ के कारण झारखंड में मौसम का मिजाज बदल गया है. पिछले तीन दिनों से प्रदेश के विभिन्न जिलों में आसमान बादलों से घिरा हुआ है. राज्यभर में गरज-चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश हुई है. इस बीच बुधवार की देर रात रांची समेत राज्य के कई जिलों में तेज हवा के साथ बारिश और ओलावृष्टि हुई. राजधानी रांची के मांडर, चान्हो, नगड़ी, ओरमांझी, अनगड़ा समेत कई प्रखंडों में तेज हवा के साथ बारिश और ओलावृष्टि से रबी फसलों और खासकर सब्जियों पर बुरा असर पड़ा है.
रांची जिला कृषि पदाधिकारी रामा शंकर सिंह ने ईटीवी भारत को फोन पर बताया कि उन्हें विभिन्न प्रखंडों में ओलावृष्टि की जानकारी मिली है. इसका खेती पर क्या और कितना असर पड़ा है, इसका आकलन किया जा रहा है. इधर, कृषि उपनिदेशक मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा कि राज्य के विभिन्न प्रखंडों से ओलावृष्टि की पूरी रिपोर्ट आने के बाद ही वास्तविक नुकसान का पता चल पाएगा.
रबी फसलों को हो रहा नुकसान
मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा कि असामयिक बारिश और ओलावृष्टि से लगभग सभी रबी फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. इन दिनों खेतों में गेहूं, तिलहन, दालें, आलू, गोभी, मटर, ब्रोकली समेत कई सब्जियां उगाई जाती हैं, उन सभी को नुकसान हो रहा है. इसका आकलन किया जा रहा है. मौसम केंद्र रांची ने आज भी राज्य के पूर्वी और उससे सटे मध्य भाग में गरज के साथ हल्की से मध्यम बारिश की संभावना जताई है. रांची में आज गरज के साथ हल्की बारिश की संभावना है, जबकि आज राजधानी का तापमान 11 डिग्री सेल्सियस से 26 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है. राज्य के उत्तरी और मध्य क्षेत्र के जिलों में कम घनत्व वाला कोहरा छाये रहने की संभावना है. मौसम विज्ञान केंद्र, रांची के अनुसार 16 फरवरी से आसमान साफ और मौसम शुष्क रहने की संभावना है.
लक्ष्य के आधी भूमि पर ही हो सकी है रबी फसल की खेती
पिछले मानसून में कम बारिश और सिंचाई सुविधाओं की अनुपलब्धता के कारण राज्य में रबी फसलों का आच्छादन पहले से ही सामान्य का केवल 50% है. झारखंड में इस साल करीब 11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रबी की खेती का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन 2023 में 150 से ज्यादा ब्लॉकों में सूखे जैसी स्थिति और पानी की कमी के कारण इस साल रबी की खेती लक्षित भूमि के करीब 50 फीसदी भू-भाग में ही किया जा सका है. इस वर्ष राज्य में 01 लाख 38 हजार 119 हेक्टेयर में गेहूं की फसल लगाई जा सकी है. इसी प्रकार 8426 हेक्टेयर में मक्का, 01 लाख 76 हजार 636 हेक्टेयर में चना, 01 लाख 09 हजार 637 हेक्टेयर में मसूर, 03 लाख 07 हजार 372 हेक्टेयर में सरसों तथा गन्ने की फसल लगाई गई है. मात्र 91 हजार 971 हेक्टेयर में ही रोपनी हो सकी है और बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने एक बार फिर किसानों के चेहरे पर चिंता गहरा दी है.
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