बगहाः बिहार के बगहा में आए दिन तेंदुआ, मगरमच्छ, सांप, भालू आदि जानवर जंगल से रिहायशी इलाकों में पहुंचते रहते हैं. एक बार फिर एक विशालकाय मगरमच्छ घर के आंगन से रेस्क्यू किया. विशालकाय मगरमच्छ आंगन में आराम फरमा रहा था. सुबह-सुबह देखते ही गांव में हड़कंप मच गया. लोगों ने तत्काल इसकी सूचना वन विभाग को दी. इसके बाद वनकर्मियों की टीम ने करीब 10 फीट लंबे भारी भरकम मगरमच्छ का रेस्क्यू किया.
गांव में अफरातफरीः इंडो नेपाल सीमा पर अवस्थित वाल्मिकीनगर के बिसाहा गांव में उस समय अफरातफरी मच गई. एक विशालकाय मगरमच्छ सुरेश यादव के घर के आंगन में घुस आया था. ऐसा लग रहा था कि शिकार की तलाश में निकला मगरमच्छ घर में पहुंच गया. रविवार की सुबह उठते ही जैसे लोगों की नजर मगरमच्छ पर पड़ी उनकी चीखें निकल गई. परिजन घर छोड़कर बाहर भाग खड़े हुए.
रेस्क्यू टीम के पसीने छूटेः लोगों की शोरगुल सुनकर ग्रामीण जमा हो गए. वन विभाग को सूचना दी गयी. मौके पर पहुंचे वनकर्मियों को 10 फीट लंबे विशाल मगरमच्छ का रेस्क्यू करने में घंटों काफी जद्दोजहद करना पड़ा. रेस्क्यू में तकरीबन 7 से 8 वनकर्मियों को मशक्कत करना पड़ा. इस दौरान मगरमच्छ को काबू में करने के लिए रेस्क्यू टीम के पसीने छूट गए. टीम में मुद्रिका यादव, शंकर प्रसाद, सुनील कुमार और मुकेश कुमार इत्यादि शामिल थे.
बाढ़ के कारण आ रहे मगरमच्छः दरअसल, पिछले दिनों गंडक नदी में आई बाढ़ के बाद नदी के रास्ते गांवों में कई मगरमच्छ पहुंच गए हैं. ग्रामीणों के पशुओं खासकर मेमनों और मुर्गियों को अपना निवाला बना रहे हैं. वाल्मिकीनगर के अलावा पिपरासी, रामपुर, नरवल बोरवल और पिपरा व गोईती, मंगलपुर औसानी समेत गंडक नदी के आसपास बसे कई गांवों के तालाब और नहरों में मगरमच्छों ने डेरा जमा रखा है. जिससे हमेशा जान माल के नुकसान का खतरा बना हुआ है.
टीम लगातार कर रही मॉनिटरिंगः वन विभाग, WWF और WTI की टीम सूचना मिलने पर लगातार इन जगहों की मॉनिटरिंग कर रही है. WTI के डॉ सुब्रत बहेरा और मुकुल कुमार ग्रामीण इलाकों में लोगों के बीच जन जागरूकता अभियान चलाकर मगरमच्छ से बचने और उसे नहीं छेड़ने की अपील कर रहें हैं. मगरमच्छ अब तक कई गावों में किसानों और युवक-युवतियों पर जानलेवा हमला कर चुका है. लिहाजा इनके हमले में जख्मी या मृत लोगों के परिजन वन विभाग और सरकार से मुआवजे की आस लगाए बैठे हैं.
"मगरमच्छों से बचने का सबसे बड़ा उपाय यह है कि घर के आसपास जलजमाव न होने दें. घरों के नजदीक मीट या मछली खाकर उसका कांटा या हड्डी नहीं फेंके. मगरमच्छ गंदे और साफ दोनों पानी में अपना अधिवास बना लेता है. अमूमन भोजन की तलाश में रिहायशी इलाकों तक पहुंच जाते हैं. इनके सूंघने की शक्ति काफी तीव्र होती है. नतीजतन ये लोगों के घरों के नजदीक डेरा बना लेते हैं." -सुब्रत बहेरा, वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया
चंबल नदी मगरमच्छ की संख्या में बढ़ोतरीः बता दें कि भले ही चंबल नदी को मगरमच्छ और घड़ियालों का होम टाऊन माना जाता है. लेकिन हाल के एक दशक में गंडक नदी का अधिवास भी मगरमच्छ और घड़ियालों को खूब रास आ रहा है. वजह है कि चंबल नदी के बाद भारत में गंडक दूसरी ऐसी नदी है जहां इनकी उपस्थिति सबसे ज्यादा है. इनकी संख्या में लगातार रिकॉर्ड बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है.
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