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12 घंटे की छापेमारी में तिवारी हाते से खाली हाथ लौटी ED की टीम, सपा ने कहा-राजनीतिक द्वेष में हुई कार्रवाई

गोरखपुर के धर्मशाला बाजार स्थित पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी (ED raids house of former minister) के घर से ईडी की टीम को खाली हाथ लौटना पड़ा. कार्रवाई सुबह करीब पांच बजे से चल रही थी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 23, 2024, 12:29 PM IST

Updated : Feb 23, 2024, 10:32 PM IST

12 घंटे की छापेमारी में तिवारी हाते से खाली हाथ लौटी ED की टीम.

गोरखपुर : प्रदेश सरकार में पांच बार कैबिनेट मंत्री और पूर्वांचल के बाहुबली नेता रहे हरिशंकर तिवारी के आवास पर शुक्रवार सुबह से छापेमारी करने वाली ED की टीम 12 घंटे बाद देर शाम खाली हाथ लौट गई. ईडी की छापेमारी के बाद हरिशंकर तिवारी और उनके दोनों पुत्रों के समर्थकों की भारी भीड़ हाते पर जमा हो गई और अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी करती देखी गई. इस बीच समाजवादी पार्टी ने भी अपने नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी के पास भेजकर राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन भेजा. इसके माध्यम से इस कार्रवाई को राजनीतिक द्वेष किया जाना बताया और इसकी जांच करने की मांग की गई.

ईडी की टीम के लौट जाने के बाद हरिशंकर तिवारी के बड़े पुत्र पूर्व सांसद कुशल तिवारी ने मीडिया के सामने कहा कि निश्चित रूप से लोकसभा चुनाव को देखते हुए राजनीतिक द्वेष में यह कार्रवाई की गई है. जिस मामले में छापेमारी की गई है वह मामला कोर्ट के अंदर विचाराधीन है. जो निर्णय आएगा उसे स्वीकार किया जाएगा, लेकिन इस छापेमारी के पीछे राजनीति के सिवा और कुछ नहीं है. वहीं समाजवादी पार्टी से गोरखपुर लोकसभा की प्रत्याशी फिल्म अभिनेत्री काजल निषाद ने कहा कि समाजवादी पार्टी डरने वाली नहीं है. बीजेपी अपने कितने भी तोते दौड़ना क्यों ना शुरू कर दे. कहा कि ब्राह्मण समाज के पर पहले से बीजेपी की सरकार कई तरह से अत्याचार कर रही है और अब पूर्वांचल के इस नामी परिवार को राजनीतिक द्वेष में प्रताड़ित करने का कार्य कर रही है. जिसे न तो सपा बर्दाश्त करेगी और न ही ब्राह्मण समाज.

यह है पूरा मामला

यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वर्गीय हरिशंकर तिवारी के घर शुक्रवार की सुबह से ईडी की छापेमारी हुई. सुबह छह बजे से यह कार्रवाई शाम 6बजे तक चली. इस कार्रवाई में केंद्रीय सुरक्षा बल ने पंडित हरिशंकर तिवारी का हाते को घेर लिया था. गेट के अंदर फोर्स तैनात थी. इस कार्रवाई के पीछे गंगोत्री इंटर प्राइजेज, जो हरिशंकर तिवारी के बेटों की निर्माण से जुड़ी संस्था है, उसमें भ्रष्टाचार का मामला पाया गया था. यह करीब तीन साल पहले उजागर हुआ था, जिसमें सात सौ पचास करोड़ का बैंक से लोन और देनदारी को लेकर मामला ED के पास दर्ज हुआ था. इस मामले में 17 नवंबर 2023 को तिवारी के पुत्र और पूर्व बसपा विधायक रहे विनय शंकर तिवारी के यहां ED की छपेमारी हुई थी और 73 करोड़ की सम्पत्ति जब्त हुई थी. हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी संत कबीर नगर से सांसद रहे हैं. तिवारी का हाता छावनी में तब्दील हो चुका था.

भाजपा नेता ने की थी शिकायत

इस मामले के उजागर होने के पीछे चिल्लूपार विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के मौजूदा विधायक राजेश त्रिपाठी की पूर्व में की गई शिकायत को आधार माना जा रहा है. विनय शंकर तिवारी के वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव में नामांकन में दिए हलफनामे को आधार बनाकर मामले की शिकायत ईडी में की थी. जिसमें धोखाधड़ी का मामला उजागर होने के बाद 19- 20 अक्टूबर 2020 को सीबीआई ने पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी और उनकी पत्नी पर 754 करोड़ से ज्यादा के धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था. सीबीआई ने इस मामले में जो तथ्य पेश किया था उसमें कहा था कि बैंक ऑफ़ इंडिया की तरफ से शिकायत दर्ज कराई गई की थी कि गंगोत्री इंटरप्राइजेज लिमिटेड के अधिकारियों ने बैंक को 753 करोड़ का नुकसान पहुंचाया है. इन लोगों ने फर्जी दस्तावेज के सहारे बैंक से लोन लिया और फिर उसे पैसे का इस्तेमाल दूसरी जगह किया. इस मामले में सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा दिल्ली में एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें विनय शंकर तिवारी के अलावा उनकी पत्नी रीता तिवारी और अजीत पांडेय को भी नामजद किया गया था. मामला आर्थिक अपराध का था, इसलिए यह फिर ED की जांच में आ गया. इसके बाद 3 महीने के भीतर छपेमारी की यह दूसरी बड़ी कार्रवाई है.

यूपी सरकार में पांच बार कैबिनेट मंत्री रहे

विनय शंकर तिवारी ने अपने यहां पूर्व में पड़े छापे को लेकर विधायक रहते सदन में भी मामले को उठाया था. उन्होंने अपने खिलाफ हो रही इस कार्रवाई को राजनीतिक द्वेष का परिणाम बताया था. उनके पिता यूपी सरकार में पांच बार कैबिनेट मंत्री रहे. जिनके ऊपर 15 थानों में कुल 31 आपराधिक मामले दर्ज थे, लेकिन किसी में भी उन्हें सजा नहीं हो पाई क्योंकि कोई भी गवाही साबित नहीं हो पाई. गवाह टूट गए. फिलहाल गोरखपुर के कैंट थाना क्षेत्र के धर्मशाला बाजार स्थित उनके आवास पर शुक्रवार सुबह से देर शाम तक छापेमारी चलती रही. उससे विनय शंकर तिवारी के परिवार में हलचल मची रही तो समाजवादी पार्टी जिसके वह राष्ट्रीय सचिव हैं, उस दल में भी खलबली मची रही.

लखनऊ में विनय शंकर तिवारी के ठिकानों पर भी ईडी की छापेमारी : ईडी की टीम ने गोरखपुर स्थित विनय शंकर तिवारी के घर के अलावा लखनऊ के महानगर स्थित गंगोत्री इंटरप्राइजेज के ऑफिस व दिल्ली में भी उनके ठिकानों पर छापेमारी की. इन ठिकानों पर अर्धसैनिक बल के साथ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी कागजात खंगाल रहे हैं. प्रवर्तन निदेशालय पहले भी विनय तिवारी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई कर चुकी है.

यह भी पढ़ें : सरकार किसी की भी हो हरिशंकर बनते थे मंत्री, पहली बार जेल से जीता था चुनाव

यह भी पढ़ें : 754 करोड़ की धोखाधड़ी मामले में बसपा विधायक के खिलाफ केस दर्ज

12 घंटे की छापेमारी में तिवारी हाते से खाली हाथ लौटी ED की टीम.

गोरखपुर : प्रदेश सरकार में पांच बार कैबिनेट मंत्री और पूर्वांचल के बाहुबली नेता रहे हरिशंकर तिवारी के आवास पर शुक्रवार सुबह से छापेमारी करने वाली ED की टीम 12 घंटे बाद देर शाम खाली हाथ लौट गई. ईडी की छापेमारी के बाद हरिशंकर तिवारी और उनके दोनों पुत्रों के समर्थकों की भारी भीड़ हाते पर जमा हो गई और अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी करती देखी गई. इस बीच समाजवादी पार्टी ने भी अपने नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी के पास भेजकर राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन भेजा. इसके माध्यम से इस कार्रवाई को राजनीतिक द्वेष किया जाना बताया और इसकी जांच करने की मांग की गई.

ईडी की टीम के लौट जाने के बाद हरिशंकर तिवारी के बड़े पुत्र पूर्व सांसद कुशल तिवारी ने मीडिया के सामने कहा कि निश्चित रूप से लोकसभा चुनाव को देखते हुए राजनीतिक द्वेष में यह कार्रवाई की गई है. जिस मामले में छापेमारी की गई है वह मामला कोर्ट के अंदर विचाराधीन है. जो निर्णय आएगा उसे स्वीकार किया जाएगा, लेकिन इस छापेमारी के पीछे राजनीति के सिवा और कुछ नहीं है. वहीं समाजवादी पार्टी से गोरखपुर लोकसभा की प्रत्याशी फिल्म अभिनेत्री काजल निषाद ने कहा कि समाजवादी पार्टी डरने वाली नहीं है. बीजेपी अपने कितने भी तोते दौड़ना क्यों ना शुरू कर दे. कहा कि ब्राह्मण समाज के पर पहले से बीजेपी की सरकार कई तरह से अत्याचार कर रही है और अब पूर्वांचल के इस नामी परिवार को राजनीतिक द्वेष में प्रताड़ित करने का कार्य कर रही है. जिसे न तो सपा बर्दाश्त करेगी और न ही ब्राह्मण समाज.

यह है पूरा मामला

यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वर्गीय हरिशंकर तिवारी के घर शुक्रवार की सुबह से ईडी की छापेमारी हुई. सुबह छह बजे से यह कार्रवाई शाम 6बजे तक चली. इस कार्रवाई में केंद्रीय सुरक्षा बल ने पंडित हरिशंकर तिवारी का हाते को घेर लिया था. गेट के अंदर फोर्स तैनात थी. इस कार्रवाई के पीछे गंगोत्री इंटर प्राइजेज, जो हरिशंकर तिवारी के बेटों की निर्माण से जुड़ी संस्था है, उसमें भ्रष्टाचार का मामला पाया गया था. यह करीब तीन साल पहले उजागर हुआ था, जिसमें सात सौ पचास करोड़ का बैंक से लोन और देनदारी को लेकर मामला ED के पास दर्ज हुआ था. इस मामले में 17 नवंबर 2023 को तिवारी के पुत्र और पूर्व बसपा विधायक रहे विनय शंकर तिवारी के यहां ED की छपेमारी हुई थी और 73 करोड़ की सम्पत्ति जब्त हुई थी. हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी संत कबीर नगर से सांसद रहे हैं. तिवारी का हाता छावनी में तब्दील हो चुका था.

भाजपा नेता ने की थी शिकायत

इस मामले के उजागर होने के पीछे चिल्लूपार विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के मौजूदा विधायक राजेश त्रिपाठी की पूर्व में की गई शिकायत को आधार माना जा रहा है. विनय शंकर तिवारी के वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव में नामांकन में दिए हलफनामे को आधार बनाकर मामले की शिकायत ईडी में की थी. जिसमें धोखाधड़ी का मामला उजागर होने के बाद 19- 20 अक्टूबर 2020 को सीबीआई ने पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी और उनकी पत्नी पर 754 करोड़ से ज्यादा के धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था. सीबीआई ने इस मामले में जो तथ्य पेश किया था उसमें कहा था कि बैंक ऑफ़ इंडिया की तरफ से शिकायत दर्ज कराई गई की थी कि गंगोत्री इंटरप्राइजेज लिमिटेड के अधिकारियों ने बैंक को 753 करोड़ का नुकसान पहुंचाया है. इन लोगों ने फर्जी दस्तावेज के सहारे बैंक से लोन लिया और फिर उसे पैसे का इस्तेमाल दूसरी जगह किया. इस मामले में सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा दिल्ली में एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें विनय शंकर तिवारी के अलावा उनकी पत्नी रीता तिवारी और अजीत पांडेय को भी नामजद किया गया था. मामला आर्थिक अपराध का था, इसलिए यह फिर ED की जांच में आ गया. इसके बाद 3 महीने के भीतर छपेमारी की यह दूसरी बड़ी कार्रवाई है.

यूपी सरकार में पांच बार कैबिनेट मंत्री रहे

विनय शंकर तिवारी ने अपने यहां पूर्व में पड़े छापे को लेकर विधायक रहते सदन में भी मामले को उठाया था. उन्होंने अपने खिलाफ हो रही इस कार्रवाई को राजनीतिक द्वेष का परिणाम बताया था. उनके पिता यूपी सरकार में पांच बार कैबिनेट मंत्री रहे. जिनके ऊपर 15 थानों में कुल 31 आपराधिक मामले दर्ज थे, लेकिन किसी में भी उन्हें सजा नहीं हो पाई क्योंकि कोई भी गवाही साबित नहीं हो पाई. गवाह टूट गए. फिलहाल गोरखपुर के कैंट थाना क्षेत्र के धर्मशाला बाजार स्थित उनके आवास पर शुक्रवार सुबह से देर शाम तक छापेमारी चलती रही. उससे विनय शंकर तिवारी के परिवार में हलचल मची रही तो समाजवादी पार्टी जिसके वह राष्ट्रीय सचिव हैं, उस दल में भी खलबली मची रही.

लखनऊ में विनय शंकर तिवारी के ठिकानों पर भी ईडी की छापेमारी : ईडी की टीम ने गोरखपुर स्थित विनय शंकर तिवारी के घर के अलावा लखनऊ के महानगर स्थित गंगोत्री इंटरप्राइजेज के ऑफिस व दिल्ली में भी उनके ठिकानों पर छापेमारी की. इन ठिकानों पर अर्धसैनिक बल के साथ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी कागजात खंगाल रहे हैं. प्रवर्तन निदेशालय पहले भी विनय तिवारी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई कर चुकी है.

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Last Updated : Feb 23, 2024, 10:32 PM IST
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