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तिरुमला मंदिर में बिना टाइम स्लॉट टोकन कर सकेंगे दर्शन, भीड़ मैनेज करने के लिए नई व्यवस्था - TIRUPATI TEMPLE

तिरुमला स्थित भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में स्लाट बुक कराने के झंझट को समाप्त करने पर विचार किया जा रहा है.

Tirupati temple
तिरुमाला मंदिर. (File Photo) (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 22, 2025, 12:33 PM IST

Updated : Jan 22, 2025, 12:39 PM IST

तिरुमला: आंध्र प्रदेश के तिरुमला स्थित भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में बुधवार 8 जनवरी की रात भगदड़ मचने से छह श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी. हादसे में कई अन्य घायल हो गए थे. यह भगदड़ उस समय मची, जब वैकुंठ द्वार दर्शनम के लिए सैकड़ों लोग स्लाट बुक करने की कोशिश कर रहे थे. देश भर से सैकड़ों श्रद्धालु 10 जनवरी से शुरू होने वाले 10 दिवसीय वैकुंठ द्वार दर्शनम के लिए यहां आए थे.

टीटीडी के अधिकारी ने की बैठकः टीटीडी के अधिकारी हर दिन बिना टोकन के भक्तों के लिए सीधे दर्शन की अनुमति देने पर चर्चा कर रहे हैं. मंगलवार को तिरुपति में टीटीडी प्रशासनिक भवन में एक बैठक आयोजित की गई, जहां मामले की समीक्षा की गई. सीएम चंद्रबाबू नायडू द्वारा हाल ही में तिरुपति भगदड़ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए टोकन-मुक्त प्रणाली पर फिर से विचार करने के सुझाव के बाद आया है. सीएम ने भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा उपायों में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया.

22 जनवरी को बिना टोकन के दर्शनः टीटीडी ने निर्णय लिया है कि बुधवार 22 जनवरी को आंध्र प्रदेश के तिरुमला श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में भक्तों को टाइम स्लॉट टोकन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. वो कतार में लगकर सीधे प्रवेश कर दर्शन कर सकेंगे. इस महीने की 19 तारीख को वैकुंठद्वार में प्रतिबंधित दर्शन अवधि के समापन के बाद तीर्थयात्रियों की भीड़ को मैनेज करने के लिए यह अस्थायी उपाय लागू किया गया है. तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने घोषणा की है कि 23 जनवरी की सुबह से पूरे दिन दर्शन के लिए टोकन जारी करना फिर से शुरू हो जाएगा.

तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर के बारे में जानेंः श्री वेंकटेश्वर स्वामी वारी मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के तिरुपति के पहाड़ी शहर तिरुमला में हिंदू मंदिर है. यह मंदिर भगवान विष्णु के एक रूप वेंकटेश्वर को समर्पित है. जिनके बारे में माना जाता है कि वे कलियुग की परेशानियों से मानव जाति को बचाने के लिए यहां प्रकट हुए थे. इसलिए इस स्थान को कलियुग वैकुंठ भी कहा जाता है. इस मंदिर को तिरुमला मंदिर, तिरुपति मंदिर, तिरुपति बालाजी मंदिर जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है. यह मंदिर तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) निकाय द्वारा चलाया जाता है.

इसे भी पढ़ेंः तिरुपति के विष्णु निवासम में टोकन वितरण के दौरान मची भगदड़, 6 श्रद्धालुओं की मौत

इसे भी पढ़ेंः तिरुपति भगदड़ के बाद CM चंद्रबाबू ने की कार्रवाई, करीबी सहित तीन अधिकारियों पर गिरी गाज

तिरुमला: आंध्र प्रदेश के तिरुमला स्थित भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में बुधवार 8 जनवरी की रात भगदड़ मचने से छह श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी. हादसे में कई अन्य घायल हो गए थे. यह भगदड़ उस समय मची, जब वैकुंठ द्वार दर्शनम के लिए सैकड़ों लोग स्लाट बुक करने की कोशिश कर रहे थे. देश भर से सैकड़ों श्रद्धालु 10 जनवरी से शुरू होने वाले 10 दिवसीय वैकुंठ द्वार दर्शनम के लिए यहां आए थे.

टीटीडी के अधिकारी ने की बैठकः टीटीडी के अधिकारी हर दिन बिना टोकन के भक्तों के लिए सीधे दर्शन की अनुमति देने पर चर्चा कर रहे हैं. मंगलवार को तिरुपति में टीटीडी प्रशासनिक भवन में एक बैठक आयोजित की गई, जहां मामले की समीक्षा की गई. सीएम चंद्रबाबू नायडू द्वारा हाल ही में तिरुपति भगदड़ जैसी घटनाओं को रोकने के लिए टोकन-मुक्त प्रणाली पर फिर से विचार करने के सुझाव के बाद आया है. सीएम ने भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा उपायों में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया.

22 जनवरी को बिना टोकन के दर्शनः टीटीडी ने निर्णय लिया है कि बुधवार 22 जनवरी को आंध्र प्रदेश के तिरुमला श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में भक्तों को टाइम स्लॉट टोकन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. वो कतार में लगकर सीधे प्रवेश कर दर्शन कर सकेंगे. इस महीने की 19 तारीख को वैकुंठद्वार में प्रतिबंधित दर्शन अवधि के समापन के बाद तीर्थयात्रियों की भीड़ को मैनेज करने के लिए यह अस्थायी उपाय लागू किया गया है. तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) ने घोषणा की है कि 23 जनवरी की सुबह से पूरे दिन दर्शन के लिए टोकन जारी करना फिर से शुरू हो जाएगा.

तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर के बारे में जानेंः श्री वेंकटेश्वर स्वामी वारी मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के तिरुपति के पहाड़ी शहर तिरुमला में हिंदू मंदिर है. यह मंदिर भगवान विष्णु के एक रूप वेंकटेश्वर को समर्पित है. जिनके बारे में माना जाता है कि वे कलियुग की परेशानियों से मानव जाति को बचाने के लिए यहां प्रकट हुए थे. इसलिए इस स्थान को कलियुग वैकुंठ भी कहा जाता है. इस मंदिर को तिरुमला मंदिर, तिरुपति मंदिर, तिरुपति बालाजी मंदिर जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है. यह मंदिर तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) निकाय द्वारा चलाया जाता है.

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Last Updated : Jan 22, 2025, 12:39 PM IST
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