पटना: बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक इन दिनों काफी चर्चा में चल रहे है. वजह है उनके लिए गए फैसले. उनके फैसलों ने शिक्षा विभाग की कार्यशैली को बदल कर रख दिया है. ऐसे में मंगलवार को उनकी चर्चा विधान परिषद में भी हो गई. जहां उनके खिलाफ सीएम नीतीश द्वारा दिए गए बयान के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विधान पार्षद संजय कुमार सिंह ने संकल्प प्रस्ताव लाने की बात कही.
सदन में जमकर हुआ हंगामा: दरअसल, मंगलवार को केके पाठक के नाम पर सदन में जमकर हंगामा हुआ. केके पाठक द्वारा लिए गए फैसलों का विरोध करते हुए एमएलसी संजय कुमार सिंह ने उसे असंवैधानिक करार दिया. सदन की कार्यवाही समाप्ति के बाद संजय कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षा विभाग का अधिकारी मनमानी कर रहे है.
"केके पाठक अपनी मनमानी कर रहे हैं. इस बात की पुष्टि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज सदन में खुद कर दी. मुख्यमंत्री ने केके पाठक को निर्देशित किया था कि स्कूल 10 बजे से 4 बजे तक ही चलेंगे. लेकिन सीएम के कहने के बाद भी विद्यालय सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक चल रहे हैं." - संजय कुमार सिंह, एमएलसी
कई असवैधानिक दिशा निर्देश दिए गए: उन्होंने कहा कि शिक्षकों की पात्रता क्या होगी और विश्वविद्यालय किस नियम से चलेंगे यह सब यूजीसी तय करता है. इसके बावजूद तमाम नियमों को तक पर रखते हुए केके पाठक ने विश्वविद्यालय के संचालन में भी कई असवैधानिक दिशा निर्देश दिए हैं. विश्वविद्यालय के शिक्षकों को प्रतिदिन 5 घंटे कक्ष लेने का नियम है. नियम है सप्ताह में एसोसिएट प्रोफेसर को 16 घंटा और प्रोफेसर को 14 घंटा पढ़ना होता है. लेकिन केके पाठक ने इसे नहीं माना.
यह मौलिक अधिकारों पर हमला: संजय कुमार सिंह ने कहा कि राज भवन के अधिकार क्षेत्र में केके पाठक ने जो हस्तक्षेप किया था उस पत्र को भी सदन के पटल पर रखा गया है. इसके अलावा कोई शिक्षक संघ नहीं बना सकते अथवा उसे जुड़ नहीं सकते. यह सीधे-सीधे व्यक्ति के मौलिक अधिकारों पर हमला है. उन्होंने कहा कि सरकार संवैधानिक नियमों से चलती है और सरकार के अधिकारी ना मुख्यमंत्री की सुन रहे हैं ना मंत्री की. वे सिर्फ अपनी मनमानी कर रहे हैं.
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