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नाबालिग ने चचेरे भाई पर लगाया था रेप का आरोप, DNA रिपोर्ट ने जीजा को दिलाई 20 साल की सजा - Rape accused sentenced

Brother In Law Sentenced In Rape Case विशेष न्यायाधीश पॉक्सो कोर्ट ने नाबालिग साली से दुष्कर्म करने पर जीजा को बीस साल की सजा सुनाई है. जबकि नाबालिग ने पूर्व में अपने चचेरे भाई पर रेप का आरोप लगाया था, जिसके बाद चचेरे भाई ने खुदकुशी कर ली थी. वहीं मृतक किशोर के पिता ने प्रार्थना पत्र देकर दोबारा जांच की मांग की. जिसके बाद इस मामले की कलई खुली.

Haldwani Court
हल्द्वानी कोर्ट (फोटो- ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 13, 2024, 8:47 PM IST

हल्द्वानी: विशेष न्यायाधीश पॉक्सो नंदन सिंह की कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी जीजा को 20 साल की सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने दोषी पर बीस हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है.जीजा के अपनी नाबालिग साली से अवैध संबंध थे. संबंध से पैदा बच्ची को नाली में फेंक कर पीड़िता ने अपने चचेरे भाई को फंसा दिया था. जिसके कुछ दिनों तक नाबालिग चचेरा भाई बाल सुधार गृह में था, जहां से छुटने के बाद अवसाद में चचेरे भाई ने जान दे दी थी. चार साल बाद फैसला आया तो जीजा ही पीड़िता की बच्ची का जैविक पिता पाया गया.

नाबालिग ने चचेरे भाई पर लगाया था आरोप: शासकीय अधिवक्ता नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि मामला नैनीताल के क्षेत्र मल्लीताल का है. जहां 6 फरवरी 2020 को नाली में नवजात बच्ची मिली थी. उसे पहले बीडी पांडे और फिर डॉ.सुशीला तिवारी अस्पताल में में भर्ती कराया गया, जहां नवजात की जान बच गई. पूरे मामले में पुलिस ने नवजात के फेंक जाने का मामला दर्ज कर जांच पड़ताल की. बच्ची को जन्म देने वाली 15 साल की किशोरी की हालत बिगड़ी तो उसे हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती कराया गया. पुलिस के जांच पड़ताल में पता चला की सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती किशोरी ने नवजात को जन्म दिया है. इस दौरान किशोरी ने कबूल किया कि नाली में फेंकी बच्ची उसी की है.

रिपोर्ट में जीजा निकला नवजात का पिता: पुलिस के जांच पड़ताल में किशोरी ने मजिस्ट्रेट के सामने कहा कि बच्ची का पिता उसका 17 वर्षीय चचेरा भाई है.पूरे मामले में पुलिस ने किशोर के खिलाफ मल्लीताल थाने में केस दर्ज किया. पुलिस ने किशोर को हिरासत में लेते हुए बाल सुधार गृह भेजा. इस दौरान किशोर बाल सुधार गिरा से छूटकर आया तो 17 अप्रैल को उसने आत्महत्या कर ली. मृत्यु से पहले किशोर और नवजात बच्ची के रक्त का नमूना लेकर भेज दिया गया था. 8वें माह में रिपोर्ट आई तो किशोर बच्ची का जैविक पिता नहीं पाया गया. जिसके बाद किशोर के पिता ने अधिकारियों को प्रार्थना पत्र देकर दोबारा जांच की मांग की. साथ ही बताया कि पीड़िता के घर उसके जीजा का आना-जाना था.

किशोरी ने जीजा से संबंध को स्वीकारा: जिसके बाद जीजा का रक्त भी एफएसएल भेजा गया. एफएसएल रिपोर्ट में स्पष्ट हो गया कि जीजा ही बच्ची का जैविक पिता है.जिसके बाद किशोरी ने भी माना कि उसके अपने सगे जीजा के साथ अवैध संबंध थे. पूरे मामले में अधिवक्ता नवीन चंद्र जोशी ने 10 गवाह पेश किए, जहां कोर्ट ने फोरेंसिक रिपोर्ट और गवाह के आधार पर आरोपी जीजा को दोषी पाते हुए 20 साल कठोर कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने दोषी पर अर्थदंड भी लगाया है.

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हल्द्वानी: विशेष न्यायाधीश पॉक्सो नंदन सिंह की कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी जीजा को 20 साल की सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने दोषी पर बीस हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है.जीजा के अपनी नाबालिग साली से अवैध संबंध थे. संबंध से पैदा बच्ची को नाली में फेंक कर पीड़िता ने अपने चचेरे भाई को फंसा दिया था. जिसके कुछ दिनों तक नाबालिग चचेरा भाई बाल सुधार गृह में था, जहां से छुटने के बाद अवसाद में चचेरे भाई ने जान दे दी थी. चार साल बाद फैसला आया तो जीजा ही पीड़िता की बच्ची का जैविक पिता पाया गया.

नाबालिग ने चचेरे भाई पर लगाया था आरोप: शासकीय अधिवक्ता नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि मामला नैनीताल के क्षेत्र मल्लीताल का है. जहां 6 फरवरी 2020 को नाली में नवजात बच्ची मिली थी. उसे पहले बीडी पांडे और फिर डॉ.सुशीला तिवारी अस्पताल में में भर्ती कराया गया, जहां नवजात की जान बच गई. पूरे मामले में पुलिस ने नवजात के फेंक जाने का मामला दर्ज कर जांच पड़ताल की. बच्ची को जन्म देने वाली 15 साल की किशोरी की हालत बिगड़ी तो उसे हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती कराया गया. पुलिस के जांच पड़ताल में पता चला की सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती किशोरी ने नवजात को जन्म दिया है. इस दौरान किशोरी ने कबूल किया कि नाली में फेंकी बच्ची उसी की है.

रिपोर्ट में जीजा निकला नवजात का पिता: पुलिस के जांच पड़ताल में किशोरी ने मजिस्ट्रेट के सामने कहा कि बच्ची का पिता उसका 17 वर्षीय चचेरा भाई है.पूरे मामले में पुलिस ने किशोर के खिलाफ मल्लीताल थाने में केस दर्ज किया. पुलिस ने किशोर को हिरासत में लेते हुए बाल सुधार गृह भेजा. इस दौरान किशोर बाल सुधार गिरा से छूटकर आया तो 17 अप्रैल को उसने आत्महत्या कर ली. मृत्यु से पहले किशोर और नवजात बच्ची के रक्त का नमूना लेकर भेज दिया गया था. 8वें माह में रिपोर्ट आई तो किशोर बच्ची का जैविक पिता नहीं पाया गया. जिसके बाद किशोर के पिता ने अधिकारियों को प्रार्थना पत्र देकर दोबारा जांच की मांग की. साथ ही बताया कि पीड़िता के घर उसके जीजा का आना-जाना था.

किशोरी ने जीजा से संबंध को स्वीकारा: जिसके बाद जीजा का रक्त भी एफएसएल भेजा गया. एफएसएल रिपोर्ट में स्पष्ट हो गया कि जीजा ही बच्ची का जैविक पिता है.जिसके बाद किशोरी ने भी माना कि उसके अपने सगे जीजा के साथ अवैध संबंध थे. पूरे मामले में अधिवक्ता नवीन चंद्र जोशी ने 10 गवाह पेश किए, जहां कोर्ट ने फोरेंसिक रिपोर्ट और गवाह के आधार पर आरोपी जीजा को दोषी पाते हुए 20 साल कठोर कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही कोर्ट ने दोषी पर अर्थदंड भी लगाया है.

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