बेगूसराय: बिहार के बेगूसराय में सेशन जज एडीजे फाइव अरुण कुमार ने आठ महीना से बिना सबूत के जेल में बंद एक आरोपी के मामले में दरोगा को फटकार लगायी. उसे चेतावनी दी गयी कि दुबारा ऐसी गलती नहीं होनी चाहिए. साथ ही कोर्ट ने दारोगा को नसीहत दी कि अगर किसी अभियुक्त को गलत तरीके से फंसाया तो आपके खिलाफ मुकदमा हो जायेगा. आपको जेल हो सकती है. अनुसंधानकर्ता ने अपनी गलती मान ली, जिसके बाद कोर्ट ने उसे माफ कर दिया.
क्या है मामलाः दरअसल चोरी के एम मामले में दारोगा ने मौखिक साक्ष्य के आधार पर चार्जशीट फाइल कर दी थी. एडीजे फाइव की अदालत में आरोपी की नियमित जमानत पर सुनवाई की जा रही थी. न्यायालय ने पाया कि केस डायरी में आरोपी के खिलाफ कोई भी साक्षय मौजूद नहीं है. इसके बाद कोर्ट ने कांड के अनुसंधानकर्ता को बुलाया. दारोगा ने बताया कि मौखिक साक्ष्य के आधार पर चार्जशीट दाखिल की थी. अभियुक्त के पास से कोई सामान बरामद नहीं हुआ था. जिसके बाद कोर्ट ने अनुसंघानकर्ता को डांट फटकार लगाई और अभियुक्त को जमानत दे दी.
किस मामले में जेल में था बंदः जेल में बंद आरोपी के वकील योगेंद्र सहनी ने बताया कि चोरी का मामला है. 20 अक्टूबर 2023 की रात करीब 12 बजे भगवानपुर थाना क्षेत्र में एक घर में चोरी हुई थी. सूचिका ने दो भर सोने की सिकड़ी, नथ, टिका आदि की चोरी होने की शिकायत दर्ज करायी थी. इस मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज करते हुए अनुसंधान शुरू किया. राजीव सहनी नामक युवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
मूक बधिर है आरोपीः गिरफ्तारी के बाद पूरे मामले का अनुसंधान किया गया. जिसमें आज तक आरोपी के खिलाफ कोई भी साक्ष्य प्रमाणित नहीं हो पाया. आरोपी और उसकी पत्नी मूक बधिर है. अधिवक्ता ने बताया कि राजीव सहनी के माता-पिता नहीं हैं. उसके दो बच्चे हैं. राजीव के जेल जाने के बाद घर की आर्थिक स्थिति खराब हो गयी थी. बच्चों के खाने पर भी लाले पड़ रहे थे. आरोपित राजीव सहनी 8 महीना से जेल में बंद था.
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