जयपुर. करीब दो साल पहले हुई शादी को विच्छेद करवाने के लिए कनाडा में रह रहे पति-पत्नी ने पारस्परिक सहमति के आधार पर अपने-अपने पावर ऑफ अटॉर्नी धारकों के जरिए फैमिली कोर्ट, सांगानेर से तलाक ले लिया. कोर्ट ने दोनों के पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत विवाह विच्छेद के लिए दायर प्रार्थना पत्रों को मंजूर कर 6 फरवरी, 2022 को हुए विवाह को विच्छेद करते हुए कहा कि वे अब पति-पत्नी नहीं हैं.
फैमिली कोर्ट की पीठासीन अधिकारी ने अपने फैसले में कहा कि दोनों ही 7 फरवरी, 2022 से एक-दूसरे से अलग रह रहे हैं और उनके बीच वापस दांपत्य अधिकारों की पुनर्स्थापना किया जाना संभव नहीं है. वहीं दोनों का एक-साथ जीवन यापन किया जाना भी संभव नहीं है. ऐसे में दोनों पक्षकारों के बीच विवाह विच्छेद की डिक्री देना न्यायोचित होगा. मामले में पक्षकारों के अधिवक्ता दीपक चौहान ने बताया कि प्रार्थीगण की शादी 6 फरवरी, 2022 को श्रीगंगानगर में हुई थी, लेकिन उन्होंने आपसी मतभेद के चलते शादी के अगले दिन यानि 7 फरवरी, 2022 से अलग रहने का फैसला लिया.
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वहीं बाद में उन्होंने पारस्परिक सहमति से एक-दूसरे से तलाक लेने का फैसला लिया. कनाडा निवासी पति ने अपने भाई को पावर ऑफ अटॉर्नी बनाकर और पत्नी ने खुद ही फैमिली कोर्ट, सांगानेर में पारस्पारिक सहमति से तलाक लेने की अर्जी दायर की थी. इसमें कहा कि वे एक साल से एक दूसरे से अलग रह रहे हैं और आगे उनका एक साथ रहना संभव नहीं है. उनके कोई संतान नहीं हुई है और एक साथ रहने की समझाइश भी सफल नहीं रही है.
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इसलिए उनकी तलाक की अर्जी मंजूर कर पारस्परिक सहमति के आधार पर तलाक की डिक्री पारित की जाए. सुनवाई के दौरान पत्नी की ओर से भी अपने रिश्तेदार की पावर ऑफ अटॉर्नी पेश की थी. गौरतलब है कि पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए तलाक लेने से संबंध में पूर्व में अदालत ने प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया था. वहीं बाद में हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को निरस्त कर तलाक की अर्जी का निस्तारण करने को कहा था.