गैरसैंण: उत्तराखंड में मूल निवास 1950, मजबूत भू कानून और स्थायी राजधानी गैरसैंण बनाने की मांग लगातार चली आ रही है. इसी कड़ी में मूल निवास-भू कानून समन्वय संघर्ष समिति ने गैरसैंण के रामलीला मैदान में एक दिवसीय उपवास किया. साथ ही स्थायी राजधानी गैरसैंण बनाने, मूल निवास और भू कानून लागू करने की मांग उठाई. समिति ने मांगें पूरी न होने पर बड़ा आंदोलन शुरू करने की चेतावनी भी दी.
पहाड़ के अस्तित्व को बचाने के लिए एकजुट होने की जरुरत: मूल निवास-भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के केंद्रीय संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि विधानसभा सत्र में सरकार को मूल निवास 1950, स्थायी राजधानी गैरसैंण और मजबूत भू कानून का प्रस्ताव पारित करना चाहिए. पहाड़ी राज्य की अस्मिता को बचाने के लिए इन सभी मुद्दों पर सरकार को प्रमुखता से कार्रवाई करनी चाहिए. मोहित डिमरी ने कहा कि उनका जीवन पहाड़ के लिए समर्पित है. वो इन तमाम मुद्दों को लेकर अंतिम सांस तक लड़ते रहेंगे. पहाड़ के अस्तित्व को बचाने के लिए सभी लोगों को एकजुट करने का अभियान जारी रहेगा.
आज रामलीला परिसर गैरसैंण में स्थाई राजधानी गैरसैंण, मूल निवास 1950, सशक्त भू कानून को लेकर एक दिवसीय उपवास किया जा रहा है ।
— मूल निवास-भू कानून समन्वय संघर्ष समिति, उत्तराखंड (@ukmoolniwas) August 20, 2024
समिति संयोजक मोहित डिमरी, नारायण सिंह बिष्ट जी, आन्दोलनकारी हरेंद्र सिंह कंडारी जी, जसवंत सिंह बिष्ट जी आदि सम्माननीय जन उपवास स्थल पर बैठे हैं । pic.twitter.com/N3xyg9GKXY
गैरसैंण के नाम पर बंद हो सैर सपाटा: वहीं, राज्य आंदोलनकारी संगठन के अध्यक्ष हरेंद्र सिंह कंडारी और स्थायी राजधानी गैरसैंण संयुक्त संघर्ष समिति के अध्यक्ष नारायण सिंह बिष्ट ने कहा कि अब आर-पार की लड़ाई लड़ने का समय आ गया है. तभी सरकार की नींद टूटेगी. गैरसैंण के नाम पर यहां पर सैर-सपाटा बंद हो जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सभी लोग दलगत राजनीति छोड़कर एकजुट हों और अपने अधिकारों के लिए लड़ें.
पहाड़ी राज्य में खतरे में पहाड़ियों का वजूद: संघर्ष समिति के गैरसैंण संयोजक जसवंत सिंह बिष्ट और युवा नेता मोहन भंडारी ने कहा कि आज पहाड़ियों का वजूद पहाड़ी राज्य में खतरे में है. पहाड़ बचाने के लिए राजधानी पहाड़ी में बननी जरूरी है. बाहर के लोग जमीन न खरीद पाए, इसके लिए कड़े कानून बनने चाहिए. मूल निवास 1950 का अधिकार देकर यहां के लोगों को नौकरियों में पहला अधिकार मिलना जरूरी है. इन मांगों को पूरा नहीं किया गया तो यहां पर उत्तराखंड राज्य आंदोलन से भी बड़ा आंदोलन शुरू होगा.
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