रामनगर: उत्तराखंड वन विभाग के मुखिया यानी प्रमुख वन संरक्षक धनंजय मोहन पहली बार हॉफ बनने के बाद रामनगर पहुंचे. जहां उन्होंने फॉरेस्ट गेस्ट हाउस में कुमाऊं भर के अधिकारियों के साथ बैठक की. साथ ही वनाग्नि की घटनाओं और उससे निपटने को लेकर विस्तृत चर्चा की. इस दौरान हॉफ धनंजय मोहन ने ईटीवी भारत से भी खास बातचीत की.
प्रमुख वन संरक्षक हॉफ धनंजय मोहन (Chief Conservator of Forest HoFF Dhananjay Mohan) ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि वनाग्नि की घटनाओं से निपटने के लिए पूरी तरह काम किया जा रहा है. जिसे लेकर पूरी वन विभाग की टीम, अधिकारी और कर्मचारी सभी मुस्तैद हैं. उन्होंने बताया कि प्रदेश में अभी तक 425 से ज्यादा लोगों के खिलाफ वनाग्नि की घटनाओं को अंजाम देने के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है.
डिजिटल प्लेटफार्म पर वनाग्नि प्रबंधन मामले में काम: उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि इस साल एक वेब बेस, पोर्टल बेस, ऑनलाइन मैनेजमेंट पोर्टल शुरू कर दिया जाएगा. वनाग्नि रोकने के लिए एक अलग सेल विकसित किया गया है. मानव वन्यजीव संघर्ष पर लगातार नजर रखी जा रही है. इस काम को गति देने के लिए मॉडल अप्रोच के साथ अब काम किया जाएगा. ताकि, वनाग्नि और मानव वन्यजीव संघर्ष की समस्याएं कम से कम सामने आए.
उत्तराखंड में बनाए गए 1400 से ज्यादा क्रू सेंटर: हॉफ धनंजय मोहन ने कहा कि वनाग्नि की घटनाओं को लेकर पूरे उत्तराखंड में वन अधिकारी सजग हैं. पूरे प्रदेश में 1400 से ज्यादा क्रू सेंटर बनाए गए हैं, जिनसे लगातार सूचनाएं ली जा रही है. कहीं भी वनाग्नि की घटनाएं होती हैं तो पूरी टीम मौके पर पहुंचकर उसे बुझाने और फैलने से रोकने में जुट जाती है. उन्होंने कहा कि जहां से भी सूचना आ रही है, वहां आग पर नियंत्रण कर लिया जाता है.
मानवीय कारणों से लगती है ज्यादातर आग: उन्होंने कहा कि जहां कहीं भी आग की बड़ी घटनाएं सामने आई, वहां पर सेना के साथ ही एनडीआरएफ की मदद भी ली गई है. उन्होंने बताया कि आग ज्यादातर मानवी कारणों से ही लगती है, लेकिन कई बार एक्सीडेंटल भी लग जाती है. कई बार शरारती तत्वों की ओर से भी आग लगाई जाती है, जिनके खिलाफ इस बार वन विभाग ने बड़ी संख्या में कार्रवाई की है.
जंगल में आग लगाने के मामले में 70 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज: हॉफ धनंजय मोहन ने कहा कि वनों में आग लगाने के मामले में अभी तक सवा 4 सौ लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई गई है, जिसमें 70 लोगों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज की गई है. इसके लिए एक संदेश भी देने का काम किया जा रहा है कि अगर लोग आग नहीं लगाएंगे तो आग की घटनाएं बहुत कम होगी.
मानव वन्यजीव संघर्ष पर क्या बोले वन मुखिया? वहीं, मानव वन्यजीव संघर्ष को लेकर धनंजय मोहन ने कहा कि यह बहुत ही चिंता का विषय है. प्रदेश के साथ ही देश के अलग-अलग क्षेत्रों में भी यह घटनाएं सामने आ रही है. इसको लेकर वन विभाग की ओर से ग्रामीणों और स्थानीय निवासियों से संपर्क भी किया जा रहा है. उन्हें बताया जा रहा है कि हम सब मिलकर इन सब चीजों का सामना करें.
उन्होंने कहा कि मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए जितनी भी मॉडर्न टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा सकता है, उस पर भी काम किया जा रहा है. उनका प्रयास है कि मानव वन्यजीव की घटनाओं पर अंकुश लगाया जाए और कम से कम ऐसी घटनाएं सामने आए. जो हमारा वन प्रबंधन है, उसको और दुरुस्त करने का प्रयास किया जा रहा है. अब डिजिटल प्लेटफार्म में वनाग्नि प्रबंधन शुरू करने जा रहे हैं.
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