रायपुर: छत्तीसगढ़ कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ राकेश गुप्ता ने एमबीबीएस सीटों पर एडमिशन को लेकर एक पत्र लिखा है. कांग्रेस ने यह पत्र मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और मुख्य सचिव स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अन्य उच्च अधिकारियों को लिखा है. पत्र के जरिए उन्होंने अप्रवासी भारतीय छात्रों के छत्तीसगढ़ मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस और अन्य सभी चिकित्सा व्यवसाय संबंधी प्रवेश में सर्वोच्च न्यायालय SLA (C) 22174 2024 के आदेश का पालन करने के लिए ध्यान आकर्षण की मांग की है. साथ ही प्रवेश के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया तत्काल प्रभाव से रोकने की मांग की है. इसकी जानकारी डॉक्टर राकेश गुप्ता ने रविवार को प्रेसवार्ता के दौरान दी.
सर्वोच्च न्यायालय ने दिए आदेश: प्रेसवार्ता के दौरान डॉ राकेश गुप्ता ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने अप्रवासी भारतीयों के एमबीबीएस में एडमिशन रूल में परिवर्तन करने के आदेश दिए हैं. पंजाब सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें दूर के रिश्तेदारों को अप्रवासी भारतीयों के कोटे के तहत एडमिशन में सहूलियत दी गई थी. इस निर्णय पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दूर के रिश्तेदारों को मेडिकल एडमिशन में कोटा देने से मना कर दिया है.
छत्तीसगढ़ में जो नीट के पास कैंडिडेट मेडिकल के स्नातक में प्रवेश ले रहे हैं, वह साल 2018 के नियम के आधार पर किए जा रहे हैं. जबकि यह निर्णय 24 सितंबर को आ चुका है. 27 सितंबर तक इनके एडमिशन हो रहे थे. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को लागू न करने पर कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ की ओर से एक पत्र मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, मुख्य सचिव सहित स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों को लिखा है, जिससे उन्हें पता चल जाए कि हर हालत में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करना है. -डॉ राकेश गुप्ता प्रदेश अध्यक्ष, चिकित्सा प्रकोष्ठ, कांग्रेस
"छत्तीसगढ़ कांग्रेस करता है विरोध": जिस आधार पर एडमिशन हो रहे हैं, इसमें छत्तीसगढ़ सरकार के स्नातक नियम भी शामिल हैं, इस तरीके को फ्रॉड कहा जाता है. दूर के रिश्तेदारों से मिली भगत करके जो एडमिशन हो रहे हैं, इस पर छत्तीसगढ़ का कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ विरोध दर्ज करता है. साथ ही मांग करता है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार फिर से अप्रवासी भारतीय के कोटे में एडमिशन सुनिश्चित की जाए. जो मेरिट में स्टूडेंट हैं, उनके एडमिशन हो सके और प्रक्रिया पारदर्शी होनी चाहिए. इसके पहले भी अलग-अलग संगठनों की तरफ से इस निर्णय को छत्तीसगढ़ शासन तक पहुंचाया गया है, लेकिन किन्हीं कारणों से यह निर्णय लंबित है. मुझे लगता है कि पारदर्शिता की कमी है. हम मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से आग्रह करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का निर्देश सर्वोपरि है और फिर से इसकी प्रक्रिया की जानी चाहिए.