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राजस्थान में श्रमदान से बन रहा भव्य गुरुद्वारा, सैकड़ों किलोमीटर दूर से सेवा के लिए आए हजारों श्रद्धालु

कोटा में बिन श्रमिक केवल श्रमदान से बन रहा गुरुद्वारा. सैकड़ों किलोमीटर दूर से सेवादान के लिए पहुंच रहे लोग.

DARBAR SAHIB CONSTRUCTION
श्रमदान से बन रहा भव्य गुरुद्वारा (ETV BHARAT KOTA)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 3 hours ago

कोटा : बूंदी रोड स्थित आगमगढ़ गुरुद्वारा बड़गांव में नए दरबार साहिब और अन्य निर्माण कार्य जोर-शोर से चल रहे हैं. इस निर्माण की सबसे खास बात यह है कि पूरा काम सेवा संगत के जरिए हो रहा है, जिसमें सिख समाज के साथ ही अन्य धर्मों के लोग भी श्रमदान के लिए पहुंच रहे हैं. वहीं, सेवादान के लिए पहुंचने वालों में बच्चों से लेकर बूढ़े और नौजवान तक शामिल हैं. ये लोग सीमेंट, बजरी, गिट्टी और पानी से लेकर हर काम को पूरी श्रद्धा के साथ कर रहे हैं. इसमें पिलर कंस्ट्रक्शन और उनको भरने से लेकर छत ढलाई तक काम किया जा रहा है. इस काम में खुद की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए हजारों की तादाद में लोग पहुंच रहे हैं. इस दरबार साहिब के निर्माण में मजदूरों का उपयोग नहीं किया जा रहा है, क्योंकि आमजन ही सेवा के जरिए इसके निर्माण कार्य में जुटे हैं.

10 घंटे में ढाल दी 8500 स्क्वायर फीट की छत : गुरुद्वारे के 8500 स्क्वायर फीट एरिया में ग्राउंड फ्लोर की छत ढाली जा चुकी है. खास बात यह है कि इसमें हजारों की संख्या में सेवा देने के लिए संगत जुटी थी. सुबह 8 बजे से काम शुरू हुआ और शाम 6 बजे तक पूरी छत ढाल दी गई यानी इसमें कुल 10 घंटे का वक्त लगा. गुरुद्वारे में निर्माण के लिए केवल तकनीकी जानकारी वाले एक्सपर्ट को ही लगाया गया है. इसके अलावा कारीगरों की एक पूरी टीम पंजाब से आई है, जबकि शेष सभी काम संगत के जरिए ही करवाई जा रही है. यहां पर आने वाली निर्माण सामग्री भी सेवा के जरिए ही लोग पहुंच रहे हैं और स्वप्रेरणा से ही लोग काम के लिए खुद जुट रहे हैं.

श्रमदान से बन रहा भव्य गुरुद्वारा (ETV BHARAT KOTA)

इसे भी पढ़ें - जालोर: भीनमाल के बालसमंद बांध के विकास के लिए ग्रामीणों ने किया श्रमदान

दूसरे राज्यों से भी आ रहे लोग : संत बाबा लक्खा सिंह ने बताया कि गुरुद्वारे में पहले से भी लोग सेवा देने के लिए रोज आते रहे हैं. इसके अलावा निर्माण कार्य जब चल रहा है, तब लोगों की संख्या बढ़ रही है. साथ ही जिस दिन कोई बड़ा स्ट्रक्चर निर्माण का काम होता है तो उस दिन अधिक लोगों से श्रमदान की अपील की जाती है. उसके बाद बड़ी संख्या में लोग सेवा के लिए खुद ही चले आते हैं. ऐसे में मजदूरों की कोई जरूरत नहीं होती है.

कोटा सेंट्रल श्री गुरुसिंह सभा के प्रधान तरुमीत सिंह बेदी ने कहा कि सेवा देने वाले लोग कोटा के ही नहीं, बूंदी, बारां, झालावाड़, भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ सहित अन्य कई जिलो के हैं. यहां तक कि पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा व उत्तर प्रदेश के भी कई लोग यहां आकर सेवा दे रहे हैं. कोटा और आसपास के लोग जो विदेश चले गए हैं, वे भी जब कोटा आ रहे हैं तो गुरुद्वारे में सेवा देने के लिए पहुंच रहे हैं. यहां तक कि यहां गुरुद्वारे में आकर ठहरने वाले लोग भी सेवा दे रहे हैं.

DARBAR SAHIB CONSTRUCTION
बिन मजदूर ही खड़ा होगा चार मंजिला गुरुद्वारा (ETV BHARAT KOTA)

2 साल तक चलेगी सेवा संगत : तरुमीत सिंह बेदी ने बताया कि पहले दरबार साहिब का भवन 30 गुना 30 फीट का था. गुरुद्वारा का परिसर बड़ा होने से श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ गई है. ऐसे में संगत भी लगातार बढ़ रही है, जिसके चलते दरबार साहिब का विस्तार किया जाना तय किया था. पुराने दरबार साहिब की बिल्डिंग को कार सेवा के जरिए ही धराशाई किया गया है. इसके अलावा अब 92 गुना 92 फीट का दरबार साहिब निर्माण किया जा रहा है. यह बिल्डिंग भी ग्राउंड प्लस फोर फ्लोर यानी करीब 90 फीट ऊंची होगी. इसके लिए पूरी तरह से कार सेवा के जरिए ही निर्माण हो रहा है. इसके गुंबद पर सोने का शिखर चढ़ाया जाएगा. यह निर्माण करीब दो महीने पहले शुरू हुआ है. इसमें भी डेढ़ साल से ज्यादा समय लगेगा.

इसे भी पढ़ें - चित्तौड़ दुर्ग की विरासत को सहेज रही युवा पीढ़ी, स्वच्छ रखने के लिए चला रहे अभियान

श्रमदान से होगा गुरुद्वारे का निर्माण : निर्माण के लिए पुराने भवन को धराशाई करने के बाद नए निर्माण के लिए बेस तैयार करने को 11 फीट गहरे गड्ढे की खुदाई की गई. यहां से मिट्टी निकलना और उसके बाद पिलर को खड़ा करने के लिए कंक्रीट भरने और फिर दोबारा मिट्टी को भरने के अलावा पिलरों को खड़ा कर छत ढालने का काम सेवा संगत के जरिए पूरा हुआ. वहीं, समाज ने तय किया है कि सेवा के जरिए ही इसका काम पूरा किया जाएगा.

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सेवादान में बच्चों से लेकर बूढ़े तक शामिल (ETV BHARAT KOTA)

दूसरी तरफ छोटे बच्चे भी इस समय काम में जुटे हुए हैं. इनमें कोई पानी पिला रहा है तो कोई चाय पिला रहा है. इसके अलावा सेवा संगत में अलग-अलग समय में अलग-अलग व्यक्ति पहुंच रहे हैं. करीब ढाई से तीन हजार लोग छत ढालने की सेवा के लिए पहुंचे थे. इन सबके लिए लंगर और अन्य खाने पीने की व्यवस्थाएं भी की गई, जिनका वितरण बच्चों और महिलाओं द्वारा किया गया. यहां तक कि लोगों के बर्तन मांजने से लेकर हर तरह की सेवा में महिलाएं जुटी रहती हैं. जिस व्यक्ति को जो काम उपयुक्त लग रहा है, वो उसी में जुटा है. कई महिलाएं अपने सिर पर बजरी, सीमेंट और गिट्टी की तगारी उठाकर ले जाते नजर आई. साथ ही कपड़े खराब होने की चिंता भी यहां किसी को नहीं है.

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श्रमदान के लिए सैकड़ों किलोमीटर दूर से आ रहे लोग (ETV BHARAT KOTA)

श्रमदान के लिए सपरिवार पहुच रहे लोग : कमलजीत कौर ने बताया कि उन्हें जब भी समय मिलता है, वो सेवा के लिए पहुंच जाती हैं. खैर, अब उनका ये रूटीन बन गया है. वो रोज यहां आती है. सेवा करने पहुंचे कुलविंदर सिंह ने कहा कि वो अपनी पत्नी के साथ कोटा में ही रहते हैं, जबकि बच्चे कनाडा में रहते हैं. ऐसे में सुबह ही वो दोनों पति-पत्नी घर के काम से निपट कर यहां चले जाते हैं और शाम तक सेवा कार्य में लगे रहते हैं. बूंदी के हिंडोली स्थित चेता गांव से करीब 50 किलोमीटर दूर कोटा में सेवा देने पहुंचे हिम्मत सिंह ने कहा कि वो पूरे परिवार के साथ यहां आए हैं और श्रमदान में जुटे हैं.

कोटा : बूंदी रोड स्थित आगमगढ़ गुरुद्वारा बड़गांव में नए दरबार साहिब और अन्य निर्माण कार्य जोर-शोर से चल रहे हैं. इस निर्माण की सबसे खास बात यह है कि पूरा काम सेवा संगत के जरिए हो रहा है, जिसमें सिख समाज के साथ ही अन्य धर्मों के लोग भी श्रमदान के लिए पहुंच रहे हैं. वहीं, सेवादान के लिए पहुंचने वालों में बच्चों से लेकर बूढ़े और नौजवान तक शामिल हैं. ये लोग सीमेंट, बजरी, गिट्टी और पानी से लेकर हर काम को पूरी श्रद्धा के साथ कर रहे हैं. इसमें पिलर कंस्ट्रक्शन और उनको भरने से लेकर छत ढलाई तक काम किया जा रहा है. इस काम में खुद की भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिए हजारों की तादाद में लोग पहुंच रहे हैं. इस दरबार साहिब के निर्माण में मजदूरों का उपयोग नहीं किया जा रहा है, क्योंकि आमजन ही सेवा के जरिए इसके निर्माण कार्य में जुटे हैं.

10 घंटे में ढाल दी 8500 स्क्वायर फीट की छत : गुरुद्वारे के 8500 स्क्वायर फीट एरिया में ग्राउंड फ्लोर की छत ढाली जा चुकी है. खास बात यह है कि इसमें हजारों की संख्या में सेवा देने के लिए संगत जुटी थी. सुबह 8 बजे से काम शुरू हुआ और शाम 6 बजे तक पूरी छत ढाल दी गई यानी इसमें कुल 10 घंटे का वक्त लगा. गुरुद्वारे में निर्माण के लिए केवल तकनीकी जानकारी वाले एक्सपर्ट को ही लगाया गया है. इसके अलावा कारीगरों की एक पूरी टीम पंजाब से आई है, जबकि शेष सभी काम संगत के जरिए ही करवाई जा रही है. यहां पर आने वाली निर्माण सामग्री भी सेवा के जरिए ही लोग पहुंच रहे हैं और स्वप्रेरणा से ही लोग काम के लिए खुद जुट रहे हैं.

श्रमदान से बन रहा भव्य गुरुद्वारा (ETV BHARAT KOTA)

इसे भी पढ़ें - जालोर: भीनमाल के बालसमंद बांध के विकास के लिए ग्रामीणों ने किया श्रमदान

दूसरे राज्यों से भी आ रहे लोग : संत बाबा लक्खा सिंह ने बताया कि गुरुद्वारे में पहले से भी लोग सेवा देने के लिए रोज आते रहे हैं. इसके अलावा निर्माण कार्य जब चल रहा है, तब लोगों की संख्या बढ़ रही है. साथ ही जिस दिन कोई बड़ा स्ट्रक्चर निर्माण का काम होता है तो उस दिन अधिक लोगों से श्रमदान की अपील की जाती है. उसके बाद बड़ी संख्या में लोग सेवा के लिए खुद ही चले आते हैं. ऐसे में मजदूरों की कोई जरूरत नहीं होती है.

कोटा सेंट्रल श्री गुरुसिंह सभा के प्रधान तरुमीत सिंह बेदी ने कहा कि सेवा देने वाले लोग कोटा के ही नहीं, बूंदी, बारां, झालावाड़, भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ सहित अन्य कई जिलो के हैं. यहां तक कि पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा व उत्तर प्रदेश के भी कई लोग यहां आकर सेवा दे रहे हैं. कोटा और आसपास के लोग जो विदेश चले गए हैं, वे भी जब कोटा आ रहे हैं तो गुरुद्वारे में सेवा देने के लिए पहुंच रहे हैं. यहां तक कि यहां गुरुद्वारे में आकर ठहरने वाले लोग भी सेवा दे रहे हैं.

DARBAR SAHIB CONSTRUCTION
बिन मजदूर ही खड़ा होगा चार मंजिला गुरुद्वारा (ETV BHARAT KOTA)

2 साल तक चलेगी सेवा संगत : तरुमीत सिंह बेदी ने बताया कि पहले दरबार साहिब का भवन 30 गुना 30 फीट का था. गुरुद्वारा का परिसर बड़ा होने से श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ गई है. ऐसे में संगत भी लगातार बढ़ रही है, जिसके चलते दरबार साहिब का विस्तार किया जाना तय किया था. पुराने दरबार साहिब की बिल्डिंग को कार सेवा के जरिए ही धराशाई किया गया है. इसके अलावा अब 92 गुना 92 फीट का दरबार साहिब निर्माण किया जा रहा है. यह बिल्डिंग भी ग्राउंड प्लस फोर फ्लोर यानी करीब 90 फीट ऊंची होगी. इसके लिए पूरी तरह से कार सेवा के जरिए ही निर्माण हो रहा है. इसके गुंबद पर सोने का शिखर चढ़ाया जाएगा. यह निर्माण करीब दो महीने पहले शुरू हुआ है. इसमें भी डेढ़ साल से ज्यादा समय लगेगा.

इसे भी पढ़ें - चित्तौड़ दुर्ग की विरासत को सहेज रही युवा पीढ़ी, स्वच्छ रखने के लिए चला रहे अभियान

श्रमदान से होगा गुरुद्वारे का निर्माण : निर्माण के लिए पुराने भवन को धराशाई करने के बाद नए निर्माण के लिए बेस तैयार करने को 11 फीट गहरे गड्ढे की खुदाई की गई. यहां से मिट्टी निकलना और उसके बाद पिलर को खड़ा करने के लिए कंक्रीट भरने और फिर दोबारा मिट्टी को भरने के अलावा पिलरों को खड़ा कर छत ढालने का काम सेवा संगत के जरिए पूरा हुआ. वहीं, समाज ने तय किया है कि सेवा के जरिए ही इसका काम पूरा किया जाएगा.

DARBAR SAHIB CONSTRUCTION
सेवादान में बच्चों से लेकर बूढ़े तक शामिल (ETV BHARAT KOTA)

दूसरी तरफ छोटे बच्चे भी इस समय काम में जुटे हुए हैं. इनमें कोई पानी पिला रहा है तो कोई चाय पिला रहा है. इसके अलावा सेवा संगत में अलग-अलग समय में अलग-अलग व्यक्ति पहुंच रहे हैं. करीब ढाई से तीन हजार लोग छत ढालने की सेवा के लिए पहुंचे थे. इन सबके लिए लंगर और अन्य खाने पीने की व्यवस्थाएं भी की गई, जिनका वितरण बच्चों और महिलाओं द्वारा किया गया. यहां तक कि लोगों के बर्तन मांजने से लेकर हर तरह की सेवा में महिलाएं जुटी रहती हैं. जिस व्यक्ति को जो काम उपयुक्त लग रहा है, वो उसी में जुटा है. कई महिलाएं अपने सिर पर बजरी, सीमेंट और गिट्टी की तगारी उठाकर ले जाते नजर आई. साथ ही कपड़े खराब होने की चिंता भी यहां किसी को नहीं है.

DARBAR SAHIB CONSTRUCTION
श्रमदान के लिए सैकड़ों किलोमीटर दूर से आ रहे लोग (ETV BHARAT KOTA)

श्रमदान के लिए सपरिवार पहुच रहे लोग : कमलजीत कौर ने बताया कि उन्हें जब भी समय मिलता है, वो सेवा के लिए पहुंच जाती हैं. खैर, अब उनका ये रूटीन बन गया है. वो रोज यहां आती है. सेवा करने पहुंचे कुलविंदर सिंह ने कहा कि वो अपनी पत्नी के साथ कोटा में ही रहते हैं, जबकि बच्चे कनाडा में रहते हैं. ऐसे में सुबह ही वो दोनों पति-पत्नी घर के काम से निपट कर यहां चले जाते हैं और शाम तक सेवा कार्य में लगे रहते हैं. बूंदी के हिंडोली स्थित चेता गांव से करीब 50 किलोमीटर दूर कोटा में सेवा देने पहुंचे हिम्मत सिंह ने कहा कि वो पूरे परिवार के साथ यहां आए हैं और श्रमदान में जुटे हैं.

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