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निकाय चुनाव 6 महीने बाद कराने पर कांग्रेस ने कसा तंज, कहा- "अलोकप्रियता से घबराई भाजपा सरकार"

छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि हार के डर से 6 महीने आगे बढ़ाया गया.

Chhattisgarh Urban Body Election
छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 5 hours ago

रायपुर : छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर जोरदार हमला बोला है. कांग्रेस का कहना है कि 1 साल के अंदर ही भाजपा सरकार अप्रिय हो चुकी है. यही वजह है कि बीजेपी को निकाय चुनाव में हार का डर सता रहा है. इसी वजह से चुनाव प्रक्रिया को 6 महीने आगे बढ़ाया गया है और इससे संबंधित अधिसूचना जारी की गई है.

"अलोकप्रियता से घबराई भाजपा सरकार" : कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि यह अध्यादेश इस बात का संकेत है कि सरकार सही समय पर स्थानीय निकाय चुनाव नहीं करना चाहती है. सरकार चुने हुए जनप्रतिनिधियों के स्थान पर अपने लोग बैठना चाहते हैं. सरकार में साहस नहीं है कि वह सीधे चुनाव का मुकाबला कर सके. क्योकि कानून 6 महीने का ही समय बढ़ाया जा सकता है, इसलिए मजबूरन इन्होंने 6 महीने का ही समय बढ़ाया है.

सुशील आनंद शुक्ला का बयान (ETV Bharat Chhattisgarh)

अलोकप्रियता से घबराए हुए भाजपा सरकार चुनाव में जाने से डर रहे हैं. इसलिए सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर नगरी निकाय चुनाव, नगर पालिका चुनाव, नगर निगम चुनाव की अवधि के कार्यकाल को 6 महीने बढ़ाने का अध्यादेश जारी किया है. सरकार को पता है कि वह चुनाव में जाएगी तो बुरी तरह से पराजित होगी, इसलिए 6 महीने का समय बढ़ाया गया. : सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस मीडिया विभाग

प्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे महापौर चुनाव : छत्तीसगढ़ सरकार ने नगर पालिका अधिनियम में बदलाव की अधिसूचना जारी कर दी है. अब छत्तीसगढ़ में महापौर चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे. यह फैसला राज्य सरकार की पिछली कैबिनेट बैठक में लिया गया था. अब इस संबंध में आधिकारिक अधिसूचना जारी की जा चुकी है.

निकाय चुनाव के तरीके में बड़ा बदलाव : साल 2018 से पहले बीजेपी सरकार में जनता पार्षदों के साथ सीधे महापौर का चुनाव करती थी. लेकिन 2018 में कांग्रेस सरकार आने के बाद इस नियम को बदलते हुए पार्षदों को महापौर चुनने का अधिकार दे दिया गया. अब सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा सरकार ने फिर नगर पालिका अधिनियम में संशोधन किया है. इस नियम के तहत अब जनता सीधे महापौर का चुनाव करेगी. इस बदलाव से नगरीय निकाय चुनाव के तरीके में बड़ा बदलाव होने की संभावना है.

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"अलोकप्रियता से घबराई भाजपा सरकार" : कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि यह अध्यादेश इस बात का संकेत है कि सरकार सही समय पर स्थानीय निकाय चुनाव नहीं करना चाहती है. सरकार चुने हुए जनप्रतिनिधियों के स्थान पर अपने लोग बैठना चाहते हैं. सरकार में साहस नहीं है कि वह सीधे चुनाव का मुकाबला कर सके. क्योकि कानून 6 महीने का ही समय बढ़ाया जा सकता है, इसलिए मजबूरन इन्होंने 6 महीने का ही समय बढ़ाया है.

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अलोकप्रियता से घबराए हुए भाजपा सरकार चुनाव में जाने से डर रहे हैं. इसलिए सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर नगरी निकाय चुनाव, नगर पालिका चुनाव, नगर निगम चुनाव की अवधि के कार्यकाल को 6 महीने बढ़ाने का अध्यादेश जारी किया है. सरकार को पता है कि वह चुनाव में जाएगी तो बुरी तरह से पराजित होगी, इसलिए 6 महीने का समय बढ़ाया गया. : सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस मीडिया विभाग

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निकाय चुनाव के तरीके में बड़ा बदलाव : साल 2018 से पहले बीजेपी सरकार में जनता पार्षदों के साथ सीधे महापौर का चुनाव करती थी. लेकिन 2018 में कांग्रेस सरकार आने के बाद इस नियम को बदलते हुए पार्षदों को महापौर चुनने का अधिकार दे दिया गया. अब सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा सरकार ने फिर नगर पालिका अधिनियम में संशोधन किया है. इस नियम के तहत अब जनता सीधे महापौर का चुनाव करेगी. इस बदलाव से नगरीय निकाय चुनाव के तरीके में बड़ा बदलाव होने की संभावना है.

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