देहरादून/हल्द्वानी: इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सियासत तेज हो गई है. इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी नहीं देने पर कांग्रेस हमलावर मोड में है. कांग्रेस ने बीजेपी के दबाव में जानकारी साझा न करने का आरोप एसबीआई पर लगाया है. कांग्रेस इस मामले को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन कर रही है. उत्तराखंड के अलग अलग जिलों में भी इलेक्टोरल बॉन्ड मामले को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एसबीआई ब्रांच का घेराव किया.
देहरादून में कांग्रेस ने एसबीआई की मेन ब्रांच का घेराव किया. इस दौरान कांग्रेस जनों ने एसबीआई के में गेट पर धरना देते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. कांग्रेस महानगर अध्यक्ष जसविंदर गोगी ने कहा केंद्र सरकार के दबाव में स्टेट बैंक आफ इंडिया ने इस जानकारी को देने के लिए 30 जून तक का समय मांगा है.उन्होंने कहा यह निश्चित रूप से भाजपा और कॉरपोरेट के बीच अनुचित गठजोड़ को दर्शाता है. उन्होंने कहा जब सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि 6 मार्च तक एसबीआई यह बताए किस पार्टी ने कितना चंदा किस राजनीतिक दल को दिया है, तो फिर बैंक इस जानकारी को सार्वजनिक करने में इतनी आनाकानी क्यों कर रहा है. कांग्रेस का कहना है कि एसबीआई की ओर से 30 जून तक जानकारी दिए जाने का फैसला गैर लोकतांत्रिक है.
हल्द्वानी में भी इस मामले को लेकर कांग्रेस ने प्रदर्शन किया. हल्द्वानी में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भारतीय स्टेट बैंक द्वारा न्यायालय के आदेश पर चुनावी बांड के तहत मिले चंदे व दान दाताओं के ब्यौरे नहीं दिए जाने पर आक्रोश व्यक्त किया. कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एसबीआई की कुसुमखेड़ा स्थित शाखा के आगे बैठ कर प्रदर्शन किया. कार्यकर्ताओं ने कहा सरकार की इस कदर मनमानी चल रही है कि वह सु्प्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना पर उतर आई है. कार्यकर्ताओं ने कहा चुनावी बॉन्ड योजना की सबसे बड़ी लाभार्थी भाजपा को डर है कि उसके चंदा देने वाले मित्रों की जानकारी सार्वजनिक होते ही उसकी बेईमानी और मिलीभगत का भंडाफोड़ हो जाएगा. जिसकी वजह से मामले को दबाया जा रहा है. लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार अपने संदिग्ध लेन-देन को छिपाने के लिए देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक को ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रही है.
बता दें हाल ही में इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को 6 मार्च तक चुनावी चंदा देने वालों और उसे प्राप्त प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों के बारे में जानकारी सार्वजनिक किए जाने को कहा था. जिसको लेकर एसबीआई ने 30 जून का समय मांगा है.