रांची: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर भारत निर्वाचन आयोग ने भले ही कोई औपचारिक घोषणा अब तक नहीं की है. लेकिन सियासी दलों के द्वारा झारखंड में लोकसभा चुनाव की तैयारी चल रही है. पार्टियों ने मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए रणनीति बनाना शुरू कर दिया है.
ऐसे में राज्य की सत्ताधारी महागठबंधन में सबसे बड़े दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात के लिए समय की मांग करने वाले पत्र में जिन जिन मुद्दों को उठाया है उससे साफ है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में झामुमो-कांग्रेस की ओर से इन मामलों को चुनावी मुद्दा बनाया जाएगा. रणनीति यह है कि राष्ट्रपति से सरना धर्म कोड, ओबीसी आरक्षण और 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति जैसे मुद्दे पर सर्वदलीय नेताओं में शामिल होने के लिए भाजपा और आजसू के नेताओं को भी न्योता दिया जाए ताकि इन दलों का स्टैंड भी जनता के सामने साफ हो जाए.
झामुमो और कांग्रेस के नेताओं को लगता है कि जहां अलग सरना धर्म कोड और 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति पर भाजपा खुद को असहज महसूस करेगी. वहीं जनता में यह मैसेज जाएगा कि कैसे विधानसभा के अंदर इन मुद्दों पर सरकार के स्टैंड का समर्थन करने वाली पार्टी ने राज्यपाल के पास विधानसभा से पारित विधेयक को रोक रखा है.
भाजपा को न्योता दिया जाएगा- सुप्रियोः
झारखंड़ मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव और केंद्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य कहते हैं कि सरना धर्म कोड और 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति इस राज्य के आदिवासियों-मूलवासियों के पहचान से जुड़ा मामला है. इसे नजरअंदाज कैसे किया जा सकता है. वहीं ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण उनके हक और भविष्य से जुड़ा मामला है. इसके लिए राजनीति से ऊपर उठकर सभी दलों के नेता सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल में शामिल हों, झामुमो यही चाहता है. उन्होंने कहा कि जब राष्ट्रपति भवन से मुलाकात का समय मिल जाएगा तब राज्य के सभी दलों के नेताओं को झामुमो इसके लिए आमंत्रित करेगा कि वह सरना धर्म कोड, 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर एकजुट होकर राष्ट्रपति के पास जाकर अपनी बात रखें.
पहचान, सम्मान और अधिकार पर भाजपा को अपना स्टैंड करना होगा साफ- जेएमएमः
क्या लोकसभा चुनाव में ये मुद्दे केंद्र में रहेंगे, इस सवाल के जवाब में जेएमएम केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने जवाब दिया. उन्होंने कहा कि जब सरना धर्म कोड, ओबीसी आरक्षण और स्थानीय नीति जैसे मुद्दे यहां के नागरिकों से जुड़ा है. इन मामलों पर भाजपा को यह साफ करना ही होगा कि वह राज्य के नागरिकों के साथ हैं या किसी उद्योगपति-पूंजीपतियों के साथ हैं.
जब राज्यपाल से न्याय नहीं मिलेगा तो राष्ट्रपति के यहां जाना ही होगा- कांग्रेसः
सरना धर्म कोड, ओबीसी आरक्षण और स्थानीय नीति जैसे मुद्दे पर भाजपा पर दोहरा चरित्र अपनाने का आरोप कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने लगाया है. उन्होंने कहा कि जब विधानसभा में भाजपा महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार का समर्थन करती है और साजिश रचकर राजभवन में उन विधेयकों को रुकवा देती है. ऐसे में राष्ट्रपति के यहां फरियाद लगाने के सिवा रास्ता ही क्या बचा है.
भाजपा को असमंजस में डालना है महागठबंधन का लक्ष्यः
झारखंड में कांग्रेस और झामुमो की राजनीति को नजदीक से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार सतेंद्र सिंह ने कहा कि दरअसल जिन मुद्दों को लेकर झामुमो सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ राष्ट्रपति से मुलाकात करना चाहता है. उसमें सरना धर्म कोड का मुद्दा ऐसा है जिस पर भाजपा निश्चित रूप से दुविधा में पड़ने वाली है. यही झामुमो की रणनीतिक चाल है और उसकी नजर जनजातीय वोटों के धुर्वीकरण के साथ साथ ओबीसी वोट बैंक पर भी है.