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उत्तराखंड में बढ़ता मानव-वन्यजीव संघर्ष, लोगों की बढ़ी परेशानियां, अब वन महकमा करेगा ये खास काम - Human wildlife conflict in dehradun - HUMAN WILDLIFE CONFLICT IN DEHRADUN

Human wildlife conflict in Uttarakhand जंगली जानवरों का खतरा अब जंगलों तक सीमित नहीं है. उत्तराखंड में शिकारी वन्यजीव घर के आंगन में भी हमले करने लगे हैं. हाल ही में टिहरी और पौड़ी में हुई दर्दनाक घटनाओं ने मानव वन्यजीव संघर्ष पर एक बार फिर बहस छेड़ दी है. राष्ट्रीय वन्यजीव सप्ताह की शुरुआत भी इस बार इसी विषय को लेकर हो रही है.

Human wildlife conflict in Uttarakhand
वन्यजीवों और इंसानों के बीच हर दिन हो रहा संघर्ष (photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 2, 2024, 6:58 PM IST

देहरादून: देशभर में राष्ट्रीय वन्यजीव सप्ताह की शुरुआत हो चुकी है. 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक चलने वाले इस सप्ताह की थीम इस बार "मानव वन्यजीव सह अस्तित्व" रखी गई है. उत्तराखंड में मानव वन्यजीव संघर्ष की शुरुआत आर्ट गैलरी और फिर देहरादून चिड़ियाघर से होगी. इसी बीच मानव वन्यजीव संघर्ष पर तमाम जानकर चिंतन करेंगे और जागरूकता अभियान भी चलाए जाएंगे, जिसमें आम लोगों को वन्य जीवों से कैसे खुद को सुरक्षित रखना है और अपने व्यवहार में किस तरह का बदलाव लाना है ये जानकारी दी जाएगी.

मानव वन्यजीव संघर्ष बड़ी समस्या: मानव वन्यजीव संघर्ष देश के कई राज्यों के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है. उत्तराखंड भी उन्हीं राज्यों में शामिल है, जहां हर दिन इंसानों की वन्यजीवों से मुठभेड़ हो रही है. आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि प्रदेश में हर छठे दिन वन्य जीव के कारण एक इंसान अपनी जान गंवा देता है. साल दर साल यह आंकड़े चिंताजनक हो रहे हैं.

उत्तराखंड में बढ़ता मानव-वन्यजीव संघर्ष (video-ETV Bharat)

पिछले 5 साल 9 महीनों में वन्यजीवों के हमले से 395 लोगों की हुई मौत

  • साल 2019 में 58 लोगों ने वन्यजीवों के हमलों से जान गंवाई है
  • साल 2020 में 67 लोगों ने वन्यजीवों के हमलों से जान गंवाई है
  • साल 2021 में 71 लोगों ने वन्यजीवों के हमलों से जान गंवाई है
  • साल 2022 में 82 लोगों ने वन्यजीवों के हमलों से जान गंवाई है
  • साल 2023 में 66 लोगों ने वन्यजीवों के हमलों से जान गंवाई है
  • साल 2024 में 9 महीनों के भीतर 51 लोगों ने वन्यजीवों के हमलों से जान गंवाई है

वन्यजीवों के हमले से घायल हुए लोगों का आंकड़ा

  • साल 2019 में 260 लोग वन्यजीवों के हमले से घायल हुए थे.
  • साल 2020 में 324 लोग वन्यजीवों के हमले से घायल हुए थे.
  • साल 2021 में 361 लोग वन्य जीवों के हमले में घायल हुए थे.
  • साल 2022 में 325 लोग वन्य जीवों के हमले में घायल हुए थे.
  • साल 2023 में 325 लोग वन्य जीवों के हमले में घायल हुए थे.
  • साल 2024 में वन्यजीवों के हमले में 243 लोग घायल हो गए थे.

वाइल्ड लाइफ पीसीसीएफ आरके मिश्रा ने बताया कि जंगली जानवर लोगों के घरों में भी हमले कर रहे हैं. ऐसे में इंसानों को खुद भी सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि लोग अपने जानवरों को जंगलों में छोड़ रहे हैं और उनके पीछे जंगली जानवर इंसानों के घरों तक पहुंच रहे हैं. उन्होंने कहा कि घरों के आसपास खाने की चीज फेंकने से भी वन्य जीव घरों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. इसके अलावा कुछ मामले ऐसे भी आए हैं. जहां घर रिहाइशी बस्ती से काफी दूरी पर बनाए गए हैं और घरों के आसपास झाड़ियां होने से शिकारी जानवरों को छुपने की जगह मिल रही है.

Human wildlife conflict in Uttarakhand
वन्यजीवों के हमले से 395 लोगों की हुई मौत (photo- ETV Bharat)
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि वन विभाग की तरफ से लगातार कई अभियान चलाए जा रहे हैं. वन्यजीवों की संख्या को जानने के लिए अध्ययन भी कराया जा रहा है और लोगों को जागरूक करने की भी कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने वन्यजीवों का शिकार होने वाले लोगों के लिए मुआवजा राशि बढ़ाने का भी काम किया है, लेकिन इस सबके बीच सबसे ज्यादा जरूरी लोगों का खुद जागरूक होना है, ताकि ऐसी घटनाओं को कम किया जा सके.
Human wildlife conflict in Uttarakhand
वन्यजीवों के हमले से घायल हुए लोगों का आंकड़ा (photo- ETV Bharat)

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देहरादून: देशभर में राष्ट्रीय वन्यजीव सप्ताह की शुरुआत हो चुकी है. 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक चलने वाले इस सप्ताह की थीम इस बार "मानव वन्यजीव सह अस्तित्व" रखी गई है. उत्तराखंड में मानव वन्यजीव संघर्ष की शुरुआत आर्ट गैलरी और फिर देहरादून चिड़ियाघर से होगी. इसी बीच मानव वन्यजीव संघर्ष पर तमाम जानकर चिंतन करेंगे और जागरूकता अभियान भी चलाए जाएंगे, जिसमें आम लोगों को वन्य जीवों से कैसे खुद को सुरक्षित रखना है और अपने व्यवहार में किस तरह का बदलाव लाना है ये जानकारी दी जाएगी.

मानव वन्यजीव संघर्ष बड़ी समस्या: मानव वन्यजीव संघर्ष देश के कई राज्यों के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है. उत्तराखंड भी उन्हीं राज्यों में शामिल है, जहां हर दिन इंसानों की वन्यजीवों से मुठभेड़ हो रही है. आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि प्रदेश में हर छठे दिन वन्य जीव के कारण एक इंसान अपनी जान गंवा देता है. साल दर साल यह आंकड़े चिंताजनक हो रहे हैं.

उत्तराखंड में बढ़ता मानव-वन्यजीव संघर्ष (video-ETV Bharat)

पिछले 5 साल 9 महीनों में वन्यजीवों के हमले से 395 लोगों की हुई मौत

  • साल 2019 में 58 लोगों ने वन्यजीवों के हमलों से जान गंवाई है
  • साल 2020 में 67 लोगों ने वन्यजीवों के हमलों से जान गंवाई है
  • साल 2021 में 71 लोगों ने वन्यजीवों के हमलों से जान गंवाई है
  • साल 2022 में 82 लोगों ने वन्यजीवों के हमलों से जान गंवाई है
  • साल 2023 में 66 लोगों ने वन्यजीवों के हमलों से जान गंवाई है
  • साल 2024 में 9 महीनों के भीतर 51 लोगों ने वन्यजीवों के हमलों से जान गंवाई है

वन्यजीवों के हमले से घायल हुए लोगों का आंकड़ा

  • साल 2019 में 260 लोग वन्यजीवों के हमले से घायल हुए थे.
  • साल 2020 में 324 लोग वन्यजीवों के हमले से घायल हुए थे.
  • साल 2021 में 361 लोग वन्य जीवों के हमले में घायल हुए थे.
  • साल 2022 में 325 लोग वन्य जीवों के हमले में घायल हुए थे.
  • साल 2023 में 325 लोग वन्य जीवों के हमले में घायल हुए थे.
  • साल 2024 में वन्यजीवों के हमले में 243 लोग घायल हो गए थे.

वाइल्ड लाइफ पीसीसीएफ आरके मिश्रा ने बताया कि जंगली जानवर लोगों के घरों में भी हमले कर रहे हैं. ऐसे में इंसानों को खुद भी सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि लोग अपने जानवरों को जंगलों में छोड़ रहे हैं और उनके पीछे जंगली जानवर इंसानों के घरों तक पहुंच रहे हैं. उन्होंने कहा कि घरों के आसपास खाने की चीज फेंकने से भी वन्य जीव घरों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. इसके अलावा कुछ मामले ऐसे भी आए हैं. जहां घर रिहाइशी बस्ती से काफी दूरी पर बनाए गए हैं और घरों के आसपास झाड़ियां होने से शिकारी जानवरों को छुपने की जगह मिल रही है.

Human wildlife conflict in Uttarakhand
वन्यजीवों के हमले से 395 लोगों की हुई मौत (photo- ETV Bharat)
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि वन विभाग की तरफ से लगातार कई अभियान चलाए जा रहे हैं. वन्यजीवों की संख्या को जानने के लिए अध्ययन भी कराया जा रहा है और लोगों को जागरूक करने की भी कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार ने वन्यजीवों का शिकार होने वाले लोगों के लिए मुआवजा राशि बढ़ाने का भी काम किया है, लेकिन इस सबके बीच सबसे ज्यादा जरूरी लोगों का खुद जागरूक होना है, ताकि ऐसी घटनाओं को कम किया जा सके.
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वन्यजीवों के हमले से घायल हुए लोगों का आंकड़ा (photo- ETV Bharat)

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