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धमतरी में अवैध रेत खनन की शिकायत, रेत खदान ग्राम पंचायतों के अधीन करने की मांग

Illegal Sand Mining In Dhamtari छत्तीसगढ़ में अवैध रेत खनन और परिवहन का काम जोरों पर है.जिसके खिलाफ समय-समय पर आवाज उठती है.इसी कड़ी में धमतरी जिले के आस्था मंच, जिला ट्रैक्टर परिवहन संघ, प्रदेश हाईवा परिवहन संघ, सामाजिक कार्यकर्ता और आरटीआई कार्यकर्ताओं ने अवैध रेत परिवहन के खिलाफ शिकायत की है.सभी लोगों ने मिलकर कलेक्टोरेट जाकर ज्ञापन सौंपा है.जिसके बाद प्रशासन ने उचित कार्रवाई का भरोसा दिया है.

Illegal Sand Mining In Dhamtari
धमतरी में अवैध रेत खनन की शिकायत
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 30, 2024, 2:19 PM IST

धमतरी में अवैध रेत खनन की शिकायत

धमतरी : धमतरी जिले में मात्र 3 खदान बारना, सोनेवारा और परेवाडीह ही वैध रूप से संचालित है. लेकिन इसकी आड़ में धमतरी जिले के तेन्दूकोन्हा, दर्री, परसुली, जंवरगांव, लडेर, दोनर, कपालफोड़ी, करेली बड़ी, नारी में भी रेत खनन हो रहा है.जिससे शासन को करोड़ों की राजस्व हानि हो रही है. ये सभी खदानें अवैध रूप से रेत माफियाओं और माइनिंग अधिकारी के संरक्षण में संचालित है. जिससे ग्राम पंचायत के राजस्व को भारी नुकसान हो रहा है. माइनिंग विभाग के अधिकारी अपने पद का दायित्व नहीं निभा रहे हैं, सिर्फ रेत माफियाओं को संरक्षण देकर अपने वारे न्यारे कर रहे हैं.

शिकायत के बाद भी नहीं की जाती कार्रवाई : अवैध रेत खनन के कारण ग्राम पंचायतों के पदाधिकारी और ग्राम पंचायत के सभी नागरिकों को आए दिन विवाद का सामना करना पड़ता है. माइनिंग अधिकारी को पंचायत के पदाधिकारी बार-बार लिखित में शिकायत करते हैं. इसके बाद भी रेत माफिया के विरूद्ध किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाई नहीं की जा रही है. सिर्फ खानापूर्ति के दिखावे के लिये ट्रैक्टर और हाईवा पर कार्यवाही की जाती है.

2018 के बाद नहीं मिला पंचायतों को पैसा : 2003 से 2013 तक रेत रायल्टी का घनमीटर 20 रूपए प्रति घनमीटर था. जिससे ग्राम पंचायत को राजस्व की प्राप्ति सीधे होती थी. जिससे पंचायत के खाते में 10 से 15 लाख रूपये राजस्व की प्राप्ति होती थी. इसके बाद 2015 से 2018 तक प्रति घनमीटर 50 रूपए दाम था. जिससे ग्राम पंचायतों को प्रतिवर्ष 20 से 25 लाख रूपये राजस्व प्राप्त होता था. लेकिन साल 2018 के बाद सरकार बदली.इसमें रेत खदानों को ऑक्शन के जरिए बांटा गया. इसके बाद आज दिनांक तक संचालित रेत खदान क्षेत्र के पंचायतों को रेत रॉयल्टी का पैसा नहीं मिला है.

पंचायत कर रहे रेत खदानों की मांग : इस सभी परिस्थितियों को देखते हुए रेत खदान को सीधा पंचायत के अधीन सौंपने की मांग की जा रही है. जिससे अवैध उत्खनन पर प्रतिबंध लगेगा. नहीं तो रेत माफिया और माइनिंग अधिकारी के संरक्षण में धमतरी जिले की महानदी से निकलने वाला रेत के राजस्व की कमाई चंद लोगों की तिजोरियों में कैद होगी. वहीं इस मामले पर प्रशासन की ओर से संयुक्त कलेक्टर का कहना है कि जिले में अवैध रेत खदान संचालन की शिकायत प्राप्त हुई है. कार्यवाई के लिए माइनिंग अधिकारी को पत्र प्रेषित किया गया है.

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धमतरी : धमतरी जिले में मात्र 3 खदान बारना, सोनेवारा और परेवाडीह ही वैध रूप से संचालित है. लेकिन इसकी आड़ में धमतरी जिले के तेन्दूकोन्हा, दर्री, परसुली, जंवरगांव, लडेर, दोनर, कपालफोड़ी, करेली बड़ी, नारी में भी रेत खनन हो रहा है.जिससे शासन को करोड़ों की राजस्व हानि हो रही है. ये सभी खदानें अवैध रूप से रेत माफियाओं और माइनिंग अधिकारी के संरक्षण में संचालित है. जिससे ग्राम पंचायत के राजस्व को भारी नुकसान हो रहा है. माइनिंग विभाग के अधिकारी अपने पद का दायित्व नहीं निभा रहे हैं, सिर्फ रेत माफियाओं को संरक्षण देकर अपने वारे न्यारे कर रहे हैं.

शिकायत के बाद भी नहीं की जाती कार्रवाई : अवैध रेत खनन के कारण ग्राम पंचायतों के पदाधिकारी और ग्राम पंचायत के सभी नागरिकों को आए दिन विवाद का सामना करना पड़ता है. माइनिंग अधिकारी को पंचायत के पदाधिकारी बार-बार लिखित में शिकायत करते हैं. इसके बाद भी रेत माफिया के विरूद्ध किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाई नहीं की जा रही है. सिर्फ खानापूर्ति के दिखावे के लिये ट्रैक्टर और हाईवा पर कार्यवाही की जाती है.

2018 के बाद नहीं मिला पंचायतों को पैसा : 2003 से 2013 तक रेत रायल्टी का घनमीटर 20 रूपए प्रति घनमीटर था. जिससे ग्राम पंचायत को राजस्व की प्राप्ति सीधे होती थी. जिससे पंचायत के खाते में 10 से 15 लाख रूपये राजस्व की प्राप्ति होती थी. इसके बाद 2015 से 2018 तक प्रति घनमीटर 50 रूपए दाम था. जिससे ग्राम पंचायतों को प्रतिवर्ष 20 से 25 लाख रूपये राजस्व प्राप्त होता था. लेकिन साल 2018 के बाद सरकार बदली.इसमें रेत खदानों को ऑक्शन के जरिए बांटा गया. इसके बाद आज दिनांक तक संचालित रेत खदान क्षेत्र के पंचायतों को रेत रॉयल्टी का पैसा नहीं मिला है.

पंचायत कर रहे रेत खदानों की मांग : इस सभी परिस्थितियों को देखते हुए रेत खदान को सीधा पंचायत के अधीन सौंपने की मांग की जा रही है. जिससे अवैध उत्खनन पर प्रतिबंध लगेगा. नहीं तो रेत माफिया और माइनिंग अधिकारी के संरक्षण में धमतरी जिले की महानदी से निकलने वाला रेत के राजस्व की कमाई चंद लोगों की तिजोरियों में कैद होगी. वहीं इस मामले पर प्रशासन की ओर से संयुक्त कलेक्टर का कहना है कि जिले में अवैध रेत खदान संचालन की शिकायत प्राप्त हुई है. कार्यवाई के लिए माइनिंग अधिकारी को पत्र प्रेषित किया गया है.

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