जगदलपुर: बस्तर में कोर्ट के आदेश के बाद डीएफओ कार्यालय को सील किया गया है. बस्तर जिला सत्र न्यायालय के आदेश के बाद बस्तर वन मंडल अधिकारी के दफ्तर पर ताला लगाने की कार्रवाई हुई. देर शाम तक जिला सत्र न्यायालय के कर्मचारी और पक्षकार के वकील की मौजूदगी में वन विभाग के दफ्तर में कुर्की जारी रही. कार्यालय में वन मंडल अधिकारी की मौजूदगी के बीच आखिरकार देर शाम तक प्रार्थी के नाम पर चेक जारी नहीं किए जाने की वजह से कार्यालय को लॉक कर दिया गया.
सड़क हादसे से जुड़े केस में हुई कार्रवाई: सड़क हादसे से जुड़े केस में ये कार्रवाई हुई है. वकील नितिन जैन ने बताया कि वन विभाग की गाड़ी से नेशनल हाईवे 30 पर साल 2021 में एक युवक की मौत हो गई थी. जिस युवक की मौत हुई. वह सोनारपाल का रहने वाला था. उसका नाम कमल कश्यप था. इस घटना के बाद कमल की पत्नी सरोज ने केस जिला सत्र कोर्ट में केस फाइल किया था. जिसमें छत्तीसगढ़ शासन और वन विभाग के से मुआवजे की मांग की गई थी.
कब कब केस में हुई सुनवाई: इस केस में सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद तृतीय अपर दावा अधिकरण जगदलपुर न्यायाधीश ने प्रार्थी के पक्ष में एक करोड़ 82 लाख 16 हजार तीन सौ पैंतालीस रुपए के करीब रकम मुआवजे के तौर पर देने का आदेश जारी किया. फरवरी 2021 में जारी आदेश के बाद भी भुगतान नहीं मिलने पर पीड़ित पक्ष के वकील ने रकम वसूली के लिए आवेदन फाइल किया. जिसके बाद 6 मई 2023 को पीड़ित पक्ष के पक्ष में रकम वसूली के लिए कुर्की की कार्रवाई शुरू हुई. कुर्की की कार्रवाई करने टीम जगदलपुर वन विभाग के दफ्तर पहुंची.
"डीएफओ कार्यालय के अलावा इस राशि की वसूली कलेक्ट्रेट कार्यालय से भी की जानी है. संभावित है कि कलेक्ट्रेट कार्यालय में भी कुर्की की कार्रवाई की जाएगी.": नितिन जैन, पीड़ित पक्ष के वकील
बस्तर डीएफओ ने केस पर क्या कहा: बस्तर डीएफओ उत्तम गुप्ता ने बताया कि माननीय न्यायालय के आदेश के परिपालन को लेकर वन विभाग ने हाईकोर्ट में अपील के लिए विभाग से समय की मांग की है. यह अनुमति अप्रैल महीने में प्राप्त हुई है. अपील का आवेदन हाई कोर्ट में पुट अप कर दिया है. कोर्ट ने संबंधित को नोटिस भी जारी कर दिया है. आचार संहिता के कारण शासन की तरफ से राशि जारी नहीं की जा रही है. इस संबंध में कोर्ट से समय मांगा गया था. न्यायालय ने 9 मई तक समय दिया था. इसके बावजूद सील की कार्रवाई की गई है. इस संबंध में वकीलों से बातचीत करके फैसला लिया जाएगा. इसके अलावा हाई कोर्ट में अपील की कार्रवाई जारी है. लेकिन आचार संहिता के कारण भुगतान का कार्य नहीं हो पा रहा है. इस कारण वन विभाग ने जून तक का समय न्यायालय से मांगा है.