रुद्रप्रयाग: मूल निवास 1950 और सशक्त भू कानून समन्वय संघर्ष समिति उत्तराखंड के संयोजक मोहित डिमरी ने गुरुवार 10 अक्टूबर को अगस्त्यमुनि में संघर्ष समिति की अग्रिम रणनीति को लेकर आयोजित बैठक की. बैठक में उन्होंने कहा कि आज उत्तराखंड में मूल निवासियों के सामने पहचान का संकट खड़ा हो गया है. उनकी पहचान के साथ ही संस्कृति, नौकरी, रोजगार, जमीन सहित तमाम आर्थिक संसाधनों पर बाहर से आये हुए लोगों का कब्जा होता जा रहा है. इसके पीछे का मुख्य कारण मूल निवास 1950 की व्यवस्था का खत्म होना और कमजोर भू कानून लागू होना है.
उन्होंने कहा कि संघर्ष समिति के आंदोलन से सरकार बैकफुट पर है. ऐसे समय में उन्हें अपने आंदोलन को और अधिक धार देकर सरकार पर दबाब बनाना होगा. डिमरी ने बताया कि संघर्ष समिति आगामी 9 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस पर मूल निवास एवं सशक्त भू कानून का एक ब्लूप्रिंट सरकार को सौंपने जा रही है.
इसके साथ ही समिति अपने आंदोलन को शहरों के साथ ही गांव गांव में ले जायेगी. बैठक में मौजूद व्यापार संघ अध्यक्ष त्रिभुवन नेगी और पूर्व अध्यक्ष नवीन बिष्ट ने सुझाव दिया कि आंदोलन को रूद्रप्रयाग जनपद में गति देने हेतु अगस्त्यमुनि, तिलवाड़ा, गुप्तकाशी, ऊखीमठ सहित अन्य हिस्सों में भी रैली आयोजित की जाय और कार्यक्रम की तिथि घोषित करने हेतु इन सभी स्थानों पर बैठकें की जायेंगी. इसके लिए वे पूर्ण सहयोग करेंगे.
व्यापार संघ के प्रदेश मंत्री मोहन रौतेला ने इस अभियान को गांव-गांव तक इस ले जाने की आवश्यकता बताई. सेवानिवृत कर्मचारी संगठन के कुशलानन्द भट्ट ने कहा कि उन्हें इस बात को समझना होगा कि बिना संघर्ष के किसी को भी सफलता नहीं मिलेगी. यदि वे आज एकजुट नहीं हुए तो आने वाली पीढ़ी उन्हें कभी माफ नहीं करेगी.
बैठक को कालीचरण रावत और कालिका काण्डपाल ने भी सम्बोधित किया. इस अवसर पर हपीन्द्र सिंह असवाल, महावीर नेगी, कमल रावत, सुनील सेमवाल, जितेन्द्र रावत, कमलेश जमलोकी आदि मौजूद रहे.
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