वाराणसी : दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में दो दिन पहले प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में संचालित होने की वजह से तीन स्टूडेंट की जान चली गई. इसके बाद सवाल उठना लाजिमी है कि क्या बेसमेंट में संचालित होने वाली कमर्शियल एक्टिविटी को लेकर कोई भी शहर का संबंधित विभाग जागरुक है? क्योंकि यह हमेशा से रहा है कि किसी घटना के बाद सिर्फ खानापूर्ति के लिए मीटिंग होती है और आदेश पारित होते हैं, लेकिन होता कुछ नहीं है.
पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का हाल तो बेहद ही खराब है. यहां तो अधिकारियों के पास कोई आंकड़ा ही नहीं है कि बेसमेंट में कितनी और कहां-कहां कमर्शियल एक्टिविटी संचालित हो रही है. संबंधित विभाग वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) से बार-बार पूछे जाने पर अधिकारी का बस एक ही जवाब था, सर्वे कराया जाएगा, जो दोषी होंगे उन्हें नोटिस देकर कार्रवाई की जाएगी, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि उनके पास इस सवाल का जवाब था ही नहीं की बनारस में बेसमेंट के अंदर अनाधिकृत रूप से कितनी जगह पर कमर्शियल एक्टिविटी संचालित हो रही है.
दिल्ली की घटना के बाद ईटीवी भारत ने वाराणसी के अलग-अलग इलाकों में बेसमेंट के अंदर चल रही कमर्शियल एक्टिविटी के बारे में जानकारी लेने की कोशिश की. कुछ जगहों पर तो हमने वीडियो बनाये, लेकिन कुछ जगहों पर तीखी बहस और रोकटोक का सामना करना पड़ा. सबसे बड़ी बात यह है कि वाराणसी विकास प्राधिकरण के 1 से 2 किलोमीटर के दायरे में ही बेसमेंट का इस्तेमाल धड़ल्ले से कमर्शियल एक्टिविटी के लिए किया जा रहा है. एक दो नहीं बल्कि ऐसी दर्जनों जगह हमें मिली जहां पर कहीं अस्पताल का ओपीडी संचालित हो रहा था तो कहीं पैथोलॉजी सेंटर चल रहे थे. कहीं तो पूरा का पूरा बेसमेंट कमर्शियल एक्टिविटी के लिए दर्जनों दुकानें बनाकर धन उगाही का जरिया बना हुआ था और कुछ जगह तो ऐसी थी जहां स्कूल संचालित हो रहे थे. जब हमने यहां अंदर जाने की कोशिश की तो गार्ड ने सीधे मना कर दिया, हालांकि बाहर से फिर भी हमने इन जगहों की सच्चाई आप तक पहुंचाने की कोशिश की है.
वाराणसी को सर्व विद्या की राजधानी कहा जाता है. यहां के कबीर नगर, भोजूबीर, अर्दली बाजार, कचहरी, सिगरा, महमूरगंज समेत कुछ और ऐसे ही इलाके हैं जहां कोचिंग सेंटर संचालित होते हैं. इन इलाकों में कोचिंग को लेकर बिल्कुल भी सजगता नहीं है. अग्निशमन से लेकर अन्य व्यवस्थाओं की भी बात की जाए तो अधिकांश कोचिंग संचालक इस और ध्यान ही नहीं देते. वहीं, बेसमेंट की जब हकीकत जानने की बारी आई तो बेसमेंट के हालात तो इतने खराब थे कि पूछिए मत. आसपास के लोगों ने कैमरे पर बात करने से तो इंकार किया, लेकिन दबी जुबान से यह स्पष्ट कहा कि बारिश के दौरान रोड पर पानी भरने के बाद बेसमेंट भी चपेट में आ जाता है. सबसे बुरी स्थिति तो बनारस वरुणा पार इलाके में दिखाई दे रही है. यहां पर बड़ा होटल बेसमेंट में ही बैंक्वेट हॉल संचालित कर रहा है. इसके अलावा एक बड़ा हॉस्पिटल बेसमेंट में ओपीडी और पैथोलॉजी का संचालन कर रहा था. भोजूबीर एरिया में जब हम पहुंचे तो यहां पर बेसमेंट का इस्तेमाल दवा की दुकान और पैथोलॉजी सेंटर के रूप में होता दिखाई दिया. इतना ही नहीं एक बिल्डिंग के नीचे बना बेसमेंट पार्किंग की जगह डिपार्टमेंटल स्टोर के रूप में संचालित होता दिखाई दिया.
क्या कहता है नियम |
- बेसमेंट का इस्तेमाल डार्क रूम, कोल्ड स्टोरेज और पार्किंग के लिए ही किया जा सकता है. |
- बेसमेंट के चारों तरफ 2 मीटर का सेटबैक छोड़ना अनिवार्य होता है. |
- बेसमेंट में यदि कमर्शियल एक्टिविटी का संचालन करना है तो पहले ही संबंधित नक्शे में उसका जिक्र करना अनिवार्य होता है. |
- नक्शा पास होने की दशा में ही निर्धारित मानक के अनुसार कोल्ड स्टोरेज या अन्य किसी तरह की चीजों का प्रयोग किया जा सकता है. |
- बेसमेंट में स्कूल, कोचिंग, पैथोलॉजी हॉस्पिटल की ओपीडी या स्टोर रूम के रूप में इस्तेमाल किया जाना बिल्कुल गलत है. |
- बेसमेंट के गलत इस्तेमाल की शिकायत या जांच में गड़बड़ी पाए जाने पर पूरी बिल्डिंग को सील करके उस पर कार्रवाई की जा सकती है. |
वाराणसी विकास प्राधिकरण के सचिव डॉ वेद प्रकाश मिश्रा का कहना था कि दिल्ली की घटना के बाद हमने सभी जोनल अधिकारियों के साथ बैठक की है और उन्हें यह निर्देशित किया है कि उनके जोन में जहां-जहां ऐसी स्थिति है, जहां बेसमेंट का इस्तेमाल कमर्शियल एक्टिविटी के लिए किया जा रहा है, उन्हें चिन्हित कीजिए और उन्हें तत्काल इस एक्टिविटी को बंद करने का नोटिस दीजिए. सभी अधिकारियों से यह स्पष्ट कहा गया है कि किसी भी कमर्शियल एक्टिविटी के लिए एक सप्ताह से ज्यादा की छूट नहीं मिलनी चाहिए. एक सप्ताह का नोटिस देकर यदि यह नहीं मानते हैं तो उन जगहों को सील करवा दीजिए, हालांकि जब उनसे यह पूछा गया कि कितने लोगों को नोटिस दिया जाना है या कितने लोगों को पहले नोटिस दिया गया है तो इसका जवाब उनके पास नहीं था.
उनका कहना है कि इसके लिए कोई रजिस्टर अलग से नहीं बनता है. यह सर्वे की बात है. सर्वे के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा की कितनी ऐसी कमर्शियल एक्टिविटी संचालित हो रही है, जो बेसमेंट में हो रही हैं. उसके बाद ही पता चल पाएगा की वास्तविक स्थिति क्या है, उनका यह जवाब सुनकर अपने आप में आश्चर्य हुआ कि इतने बड़े शहर और पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र होने के बाद भी बनारस की अधिकांश बड़ी बिल्डिंगों के बेसमेंट में जिसका इस्तेमाल पार्किंग के लिए होना चाहिए, वहां कमर्शियल एक्टिविटी लंबे समय से संचालित हो रही है और संबंधित विभाग और संबंधित जिम्मेदार अधिकारी अभी तक सर्वे करवाकर रिपोर्ट आने का इंतजार ही कर रहे हैं. यानी बनारस में भी यदि कोई ऐसी घटना होती है उसके बाद सांप गुजरने के पश्चात लाठी पीटने वाली बात ही होती दिखाई देगी.
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