शिमला: हिमाचल प्रदेश की राजनीति के दो ठाकुर अपने-अपने गृह जिले में फंस कर रह गए हैं. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू हमीरपुर और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर मंडी जिले में उलझे हुए हैं. नेता प्रतिपक्ष के कांधे पर बॉलीवुड क्वीन कंगना को लोकसभा भेजने की जिम्मेदारी है, तो सीएम सुक्खू के लिए विधानसभा उपचुनाव में सुजानपुर व बड़सर सीट नाक का सवाल बनी हुई है. हालांकि दोनों नेताओं ने प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी प्रचार किया है, लेकिन अधिकांश समय ये अपने ही जिले में पसीना बहाते हुए नजर आ रहे हैं.
विक्रमादित्य के मैदान में आने से बढ़ी भाजपा की टेंशन
मंडी सीट की बात की जाए तो विक्रमादित्य सिंह को मैदान में उतार कर कांग्रेस ने भाजपा की नींद हराम कर दी है. कारण ये है कि मंडी सीट से विक्रमादित्य सिंह के पिता वीरभद्र सिंह व माता प्रतिभा सिंह सांसद रही हैं. प्रतिभा सिंह ने यहां से नवंबर 2021 में उपचुनाव जीता था. ऐसे में वीरभद्र सिंह परिवार का यहां यानी मंडी लोकसभा सीट पर अच्छा-खासा वोट बैंक है. फिर विक्रमादित्य सिंह खुद भी कैबिनेट मंत्री हैं. प्रचार में वे खुद को हिमाचल का बेटा बता रहे हैं. साथ ही राम मंदिर के मसले पर भी मुखर हैं और दावा कर रहे हैं कि उनका परिवार भाजपा से कहीं अधिक राम भक्त है.
उधर, कंगना रनौत पीएम नरेंद्र मोदी के नाम व काम के सहारे है. साथ ही वे भाजपा कार्यकर्ताओं के मजबूत आधार का आसरा भी ताक रही हैं. कंगना को भरोसा है कि मंडी जिले की नौ सीटों में उसे बढ़त मिलेगी. इस कारण उनकी आशा जयराम ठाकुर से बंधी हुई है. ऐसे में जयराम ठाकुर को भी अपने गृह जिला में सघन प्रचार करना पड़ रहा है. जयराम ठाकुर ने कंगना के पक्ष में मंडी, कुल्लू व लाहौल-स्पीति आदि में प्रचार किया है. जयराम ठाकुर पर कंगना की जीत सुनिश्चित करने का इतना मानसिक व मनोवैज्ञानिक दबाव है कि वे मंडी से बाहर निकलने में अधिक कामयाब नहीं हो पा रहे हैं.
सीएम की प्रतिष्ठा का सवाल बना हमीरपुर
इधर, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का भी हाल कमोबेश नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर जैसा ही है. सीएम सुक्खू भी हमीरपुर जिले से निकल नहीं पा रहे हैं. वे बड़सर में सुभाष ढटवालिया के लिए पसीना बहा रहे हैं, तो सुजानपुर में भी राजेंद्र राणा के खिलाफ जोरदार प्रचार में जुटे हैं. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू राहुल गांधी व प्रियंका वाड्रा के साथ रैलियों में तो मौजूद थे, लेकिन उनके समय का अधिकांश हिस्सा हमीरपुर में भी बीत रहा है. विधानसभा उपचुनाव के साथ ही हमीरपुर संसदीय सीट के लिए चुनाव प्रचार में वे ऊना तक जा रहे हैं.
बड़सर में सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एक पखवाड़े में चार दौरे किए हैं और एक दर्जन से अधिक सभाओं को संबोधित किया है. वे धर्मशाला में भी प्रचार में खूब सक्रिय रहे. प्रचार के दौरान सीएम सुक्खू के निशाने पर छह विधायक रहते हैं. वे कांग्रेस से बगावत कर भाजपा में शामिल हुए विधायकों पर इतने तीखे हमले बोल रहे हैं कि जनता भी हैरत में है. सीएम सुक्खू हर जनसभा में उन्हें नए-नए नाम दे रहे हैं और छह नेताओं को बिके हुए बता रहे हैं. इससे साफ है कि सीएम सुक्खू के सामने विधानसभा उपचुनाव व हमीरपुर संसदीय सीट पर कांग्रेस को विजयी बनाने का अतिरिक्त भार आ गया है.
सीएम सुक्खू की पहली प्राथमिकता राज्य की सरकार को बचाना है. यही कारण है कि सीएम हर सभा में छह विधायकों को निशाने पर लेते हैं. सीएम को डर है कि कहीं उपचुनाव में उनके जिले की सीटों पर ही कांग्रेस को हार का सामना न करना पड़े. इसके साथ ही उनके सामने अपने निर्वाचन क्षेत्र नादौन से सतपाल रायजादा को अच्छी खासी लीड दिलाने की जिम्मेदारी भी है. यदि नादौन से अनुराग ठाकुर लीड ले जाते हैं तो ये सीएम सुक्खू के लिए भारी झटका होगा. ऐसे में सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का अधिकांश समय हमीरपुर सहित विधानसभा उपचुनाव वाली सीटों पर ही प्रचार में बीत रहा है.
जयराम को मंडी तो विक्रमादित्य को रामपुर व कुल्लू में आस
मंडी सीट न केवल पीएम नरेंद्र मोदी व भाजपा प्रत्याशी कंगना रनौत बल्कि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न है. मंडी जिले की नौ विधानसभा सीटों पर भाजपा की नजर है. खासकर जयराम ठाकुर की सीट सिराज से खासी लीड मिलने की उम्मीद है. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर यहां से कम के कम 30 हजार वोटों की लीड का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं. मंडी संसदीय सीट पर 13.77 लाख से अधिक मतदाता हैं. जयराम ठाकुर को मंडी जिले की नौ विधानसभा सीटों पर आस है. वहीं, विक्रमादित्य सिंह रामपुर सीट पर अधिक मतों को हासिल करने की उम्मीद लगाए हुए हैं. साथ ही किन्नौर, आनी, कुल्लू में भी उन्हें उम्मीद है. जयराम ठाकुर चाहते हैं कि मंडी जिले की नौ सीटों से इतनी लीड मिल जाए कि कांग्रेस के परंपरागत क्षेत्रों की लीड से आगे निकल जाएं. यही कारण है कि जयराम ठाकुर अधिकांश समय मंडी जिले में ही डटे हुए हैं.
हिमाचल की राजनीति को चार दशक से भी अधिक समय से परख रहे वरिष्ठ मीडिया कर्मी व लेखक कृष्ण भानू कहते हैं कि इस बार लोकसभा में मुकाबला बराबर का दिख रहा है. मंडी व शिमला सीट पर कांग्रेस मजबूत प्रतीत हो रही है. पिछली बार मोदी लहर में चारों सीटों पर भाजपा को विजय मिली थी. इस बार स्कोर दो-दो हो सकता है. कृष्ण भानू के आकलन पर नजर डालें तो जयराम ठाकुर का मंडी में ही डटे रहना इस बात का संकेत है कि भाजपा यह मानकर चल रही है कि उसे अतिरिक्त मेहनत की जरूरत है. वरिष्ठ मीडिया कर्मी नूतन प्रकाश का मानना है कि मंडी सीट पर वीरभद्र परिवार का परंपरागत वोट बैंक है. कंगना के साथ जुड़े विवाद और विक्रमादित्य सिंह के साथ कांग्रेस की युवा शक्ति की सक्रियता ने मुकाबले को कड़ा बना दिया है. फिलहाल देखना है कि मंडी सीट पर जयराम ठाकुर व हमीरपुर सीट सहित विधानसभा उपचुनाव में सुखविंदर सिंह सुक्खू के सियासी भविष्य का ऊंट किस करवट बैठता है.