शिमला: हिमाचल प्रदेश से संबंधित ऊर्जा एवं आवास के विभिन्न मामलों पर विचार-विमर्श के लिए गुरुवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और केंद्रीय ऊर्जा मंत्री व आवास एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक हुई. इसमें मुख्यमंत्री ने प्रदेश सरकार की ऊर्जा नीति के अनुरूप रॉयल्टी का मामला उठाया. उन्होंने नीति की रूपरेखा की जानकारी दी. इसके तहत विद्युत परियोजनाओं में पहले 12 साल के लिए 12 फीसदी इसके बाद 18 सालों के लिए 18 फीसदी और आगामी 10 सालों के लिए 30 फीसदी रॉयल्टी की अनिवार्यता की गई है. उन्होंने कहा कि निजी कंपनियां पहले से इस नीति का अनुसरण कर रही हैं और केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को भी इसकी अनुपालना करनी चाहिए.
सीएम सुक्खू ने कहा कि अगर सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड प्रदेश की ऊर्जा नीति की अनुपालना नहीं करती है तब इस स्थिति में हिमाचल प्रदेश सरकार 210 मेगावाट लुहरी चरण-1, 382 मेगावाट सुन्नी परियोजना और 66 मेगावाट धौलासिद्ध जल विद्युत परियोजना को अपने अधीन लेने के लिए तैयार है.
खट्टर जी के साथ हिमाचल के हितों को ध्यान में रखते हुए विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।
— Sukhvinder Singh Sukhu (@SukhuSukhvinder) November 7, 2024
हमें हिमाचल के पावर प्रोजेक्ट्स वापस मिलने चाहिए, जिनमें 12, 18, 30 और 40 वर्ष वाले प्रोजेक्ट्स शामिल हैं।
शानन प्रोजेक्ट हमारा अधिकार है और यह कानूनन हमें मिलना चाहिए। पंजाब हमारा बड़ा… pic.twitter.com/HaBEoVhE7I
सीएम ने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार इन परियोजनाओं पर हुए खर्च प्रतिपूर्ति एसजेवीएनएल को देने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि एसजेवीएनएल ने कार्यान्वयन समझौता हस्ताक्षरित किए बिना इन परियोजनाओं का निर्माण शुरू कर दिया है. प्रदेश के लोगों को राज्य के जल संसाधनों पर उचित हिस्सेदारी मिलनी चाहिए.
15 जनवरी तक प्रतिक्रिया देने के निर्देश
वहीं, केन्द्रीय मंत्री ने निगम के अधिकारियों को 15 जनवरी तक अन्तिम प्रतिक्रिया देने के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने मंडी जिले की 110 मेगावाट शानन परियोजना का पंजाब से अधिग्रहण सुनिश्चित करने में केन्द्र सरकार की सहायता के लिए आग्रह किया. उन्होंने कहा "इस परियोजना की लीज अवधि समाप्त हो गई है. केन्द्र सरकार से हिमाचल प्रदेश को इस परियोजना का हस्तांतरण सुनिश्चित करने के लिए हस्तक्षेप करने का आग्रह किया. शानन परियोजना का क्षेत्र कभी भी पंजाब का हिस्सा नहीं रहा है, इसलिए यह परियोजना पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 के अधीन नहीं आती है और पंजाब इस प्रोजेक्ट को लेकर गलत क्लेम कर रहा है लेकिन पंजाब हमारा भाई है". इस मामले पर केन्द्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि वे इस अधिनियम की समीक्षा कर इसके अनुसार कार्रवाई करना सुनिश्चित करेंगे.
मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार को भाखड़ा बांध प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) को नवम्बर, 1996 से अक्टूबर, 2011 तक की अवधि के लिए प्रदेश को बकाया 13 हजार 66 मिलियन यूनिट बिजली एरियर जारी करने के निर्देश देने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के हिमाचल प्रदेश के हक में आए फैसले के बावजूद प्रदेश को अभी तक संबंधित राज्यों के द्वारा उचित हिस्सा नहीं दिया है.
केन्द्रीय मंत्री ने इस मामले के संदर्भ में आम सहमति बनाने के लिए सभी हितधारक राज्यों के साथ एक संयुक्त बैठक बुलाने का आश्वासन दिया. केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री ने हिमाचल प्रदेश में संशोधित वितरण क्षेत्र योजना के क्रियान्वयन में तेजी लाने के निर्देश दिए और राज्य के लिए स्मार्ट मीटरिंग और बिजली क्षति को कम करने पर बल दिया.
मुख्यमंत्री ने कठिन भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए केंद्र से उदार वित्तीय सहायता का आग्रह किया. केन्द्रीय मंत्री ने प्रदेश को केन्द्र सरकार से हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया. मुख्यमंत्री ने प्रदेश के दौरे के लिए केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री का आभार व्यक्त किया.
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