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"हिमाचल पर नहीं हैं कोई आर्थिक संकट, यदि ऐसा होता तो लागू नहीं होती OPS और महिलाओं के लिए ₹1500 पेंशन" - Himachal economic condition

Himachal economic condition: सीएम सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में एक बार फिर कहा है कि हिमाचल प्रदेश पर कोई आर्थिक संकट नहीं है अगर आर्थिक संकट होता तो कर्मचारियों के लिए ओपीएस और महिलाओं के लिए 1500 रुपये पेंशन को बहाल नहीं किया जा सकता था डिटेल में पढ़ें खबर...

CM ON HIMACHAL ECONOMIC CONDITION
सुखविंदर सिंह सुक्खू, मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 19, 2024, 8:08 PM IST

शिमला: हिमाचल की आर्थिकी को पटरी पर लाने की दिशा में सरकार ने कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं. इसी के तहत प्रदेश में बिजली परियोजनाओं को सरकार अपने अधीन लेने जा रही है जिसके लिए उच्च न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दायर की जाएगी.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गुरुवार को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ये बात कही. उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी कीमत पर हिमाचल प्रदेश के अधिकारों के साथ समझौता नहीं होने देगी.

इन बिजली परियोजनाओं को अपने अधीन लेगी सरकार

सीएम सुक्खू ने कहा कि सरकार 210 मेगावाट लूहरी जल विद्युत परियोजना चरण-1, 66 मेगावाट धौलासिद्ध विद्युत परियोजना व 382 मेगावाट सुन्नी विद्युत परियोजनाओं को अपने अधीन लेने के लिए उच्च न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दायर करेगी.

अगर परियोजना निष्पादित करने वाली कंपनियां सरकार की शर्तों को स्वीकार नहीं करती हैं तो इन परियोजनाओं का राज्य सरकार अधिग्रहण करेगी. उन्होंने कहा कि हालांकि राज्य में हाल के वर्षों में निवेश में कमी आई है, लेकिन राज्य सरकार हिमाचल के अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार व्यवस्था परिवर्तन के माध्यम से आत्मनिर्भर हिमाचल प्रदेश की ओर बढ़ रही है. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा सहित विभिन्न क्षेत्रों में सरकार की ओर से किए जा रहे महत्वपूर्ण सुधारों में आवश्यक कानूनी संशोधन किए जा रहे हैं. इन सुधारों के सकारात्मक परिणाम राज्य सरकार के पहले दो बजट में परिलक्षित हैं, जिससे समाज के सभी वर्गों को लाभ मिल रहा है.

हिमाचल में नहीं है वित्तीय संकट

सीएम सुक्खू ने कहा कि "राज्य सरकार वरिष्ठ अधिवक्ताओं के लिए कल्याणकारी योजना शुरू करने पर विचार कर रही है. पिछली भाजपा सरकार से वर्तमान राज्य सरकार को विरासत में मिली आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए वित्तीय अनुशासन पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. हिमाचल में कोई वित्तीय संकट नहीं है अगर कोई आर्थिक संकट होता, तो राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना और महिलाओं के लिए 1500 रुपये प्रति माह पेंशन बहाल नहीं की जा सकती थी."

सरकार पूरे विवेक के साथ वित्तीय प्रबंधन पर काम कर रही है. सीएम ने कहा "समाज सेवा और राजनीति क्षेत्र में उनकी गहरी रुचि रही है. मैंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की है. आज हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के कई वरिष्ठ अधिवक्ता उनके सहपाठी या विद्यार्थी जीवन के मित्र हैं.

साल 2011 में बार एसोसिएशन के चुनाव में मैंने मतदान किया था. मैनें वकालत करने के बारे में भी सोचा था, लेकिन राजनीति के प्रति जुनून ने मुझे शिमला नगर निगम में पार्षद बनने और बाद में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया."

मुख्यमंत्री ने लोकतंत्र में न्यायपालिका और राज्य सरकार के बीच निरंतर सहयोग की आशा व्यक्त की. इस अवसर सीएम सुक्खू ने शिविर में रक्तदान करने वाले अधिवक्ताओं और विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में विजेता रहे अधिवक्ताओं को सम्मानित किया.

ये भी पढ़ें: "चुनावों में जो कांग्रेस नेता झूठी कसमें खाकर देते थे गारंटियां, वही लोग अब हिमाचल आकर चुपचाप चले जाते हैं"

ये भी पढ़ें: हिमाचल में बीते दो सालों में लगे इतने इलेक्ट्रिसिटी मीटर, बिजली बोर्ड में आए थे 2.63 लाख से अधिक आवेदन

शिमला: हिमाचल की आर्थिकी को पटरी पर लाने की दिशा में सरकार ने कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं. इसी के तहत प्रदेश में बिजली परियोजनाओं को सरकार अपने अधीन लेने जा रही है जिसके लिए उच्च न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दायर की जाएगी.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने गुरुवार को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ये बात कही. उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी कीमत पर हिमाचल प्रदेश के अधिकारों के साथ समझौता नहीं होने देगी.

इन बिजली परियोजनाओं को अपने अधीन लेगी सरकार

सीएम सुक्खू ने कहा कि सरकार 210 मेगावाट लूहरी जल विद्युत परियोजना चरण-1, 66 मेगावाट धौलासिद्ध विद्युत परियोजना व 382 मेगावाट सुन्नी विद्युत परियोजनाओं को अपने अधीन लेने के लिए उच्च न्यायालय में पुनरीक्षण याचिका दायर करेगी.

अगर परियोजना निष्पादित करने वाली कंपनियां सरकार की शर्तों को स्वीकार नहीं करती हैं तो इन परियोजनाओं का राज्य सरकार अधिग्रहण करेगी. उन्होंने कहा कि हालांकि राज्य में हाल के वर्षों में निवेश में कमी आई है, लेकिन राज्य सरकार हिमाचल के अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार व्यवस्था परिवर्तन के माध्यम से आत्मनिर्भर हिमाचल प्रदेश की ओर बढ़ रही है. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा सहित विभिन्न क्षेत्रों में सरकार की ओर से किए जा रहे महत्वपूर्ण सुधारों में आवश्यक कानूनी संशोधन किए जा रहे हैं. इन सुधारों के सकारात्मक परिणाम राज्य सरकार के पहले दो बजट में परिलक्षित हैं, जिससे समाज के सभी वर्गों को लाभ मिल रहा है.

हिमाचल में नहीं है वित्तीय संकट

सीएम सुक्खू ने कहा कि "राज्य सरकार वरिष्ठ अधिवक्ताओं के लिए कल्याणकारी योजना शुरू करने पर विचार कर रही है. पिछली भाजपा सरकार से वर्तमान राज्य सरकार को विरासत में मिली आर्थिक चुनौतियों से निपटने के लिए वित्तीय अनुशासन पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. हिमाचल में कोई वित्तीय संकट नहीं है अगर कोई आर्थिक संकट होता, तो राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना और महिलाओं के लिए 1500 रुपये प्रति माह पेंशन बहाल नहीं की जा सकती थी."

सरकार पूरे विवेक के साथ वित्तीय प्रबंधन पर काम कर रही है. सीएम ने कहा "समाज सेवा और राजनीति क्षेत्र में उनकी गहरी रुचि रही है. मैंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की है. आज हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के कई वरिष्ठ अधिवक्ता उनके सहपाठी या विद्यार्थी जीवन के मित्र हैं.

साल 2011 में बार एसोसिएशन के चुनाव में मैंने मतदान किया था. मैनें वकालत करने के बारे में भी सोचा था, लेकिन राजनीति के प्रति जुनून ने मुझे शिमला नगर निगम में पार्षद बनने और बाद में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया."

मुख्यमंत्री ने लोकतंत्र में न्यायपालिका और राज्य सरकार के बीच निरंतर सहयोग की आशा व्यक्त की. इस अवसर सीएम सुक्खू ने शिविर में रक्तदान करने वाले अधिवक्ताओं और विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में विजेता रहे अधिवक्ताओं को सम्मानित किया.

ये भी पढ़ें: "चुनावों में जो कांग्रेस नेता झूठी कसमें खाकर देते थे गारंटियां, वही लोग अब हिमाचल आकर चुपचाप चले जाते हैं"

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