देहरादून: जाने माने पर्यावरणविद स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा की पत्नी विमला बहुगुणा आज पंचतत्व में विलीन हो गई. कल देहरादून के शास्त्री नगर स्थित आवास पर उनका निधन हो गया था. जिस वक्त उन्होंने अपने प्राण त्यागे उस वक्त उनके साथ उनके बेटे राजीव नयन बहुगुणा साथ थे.
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने दी श्रद्धांजलि: बिमला बहुगुणा के निधन पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी शास्त्री नगर स्थित उनके आवास पर पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि दी. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पर्यावरण के लिए जो काम सुंदरलाल बहुगुणा और उनके साथ मिलकर उनकी पत्नी बिमला बहुगुणा ने किया है, उसको कभी नहीं भुलाया जा सकता.
पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान देने वाले स्व. सुंदर लाल बहुगुणा जी की पत्नी समाजसेवी बिमला बहुगुणा जी के आवास पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी और शोकाकुल परिजनों से भेंट कर अपनी संवेदनाएँ प्रकट की।
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) February 15, 2025
बिमला जी का संपूर्ण जीवन समाज सेवा एवं पर्यावरण संरक्षण के… pic.twitter.com/RSH2KvemIy
पर्यावरण बचाओ आंदोलन में हमेशा उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहने वाली उनकी पत्नी आज भले ही इस दुनिया में ना हो लेकिन जितना स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा को याद किया जाता है उतना ही याद उनकी धर्मपत्नी को भी किया जाएगा. मुख्यमंत्री ने उनके आवास पर पहुंचकर परिवार को सांत्वना दी और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना भी की.
#WATCH | Dehradun: Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami pays condolences on the demise of Bimla Bahuguna, the wife of late Indian Environmentalist Sunder Lal Bahuguna pic.twitter.com/nNmoUohTDu
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) February 15, 2025
इसके बाद उनका पार्थिव शरीर ऋषिकेश के पूर्णानंद घाट पर ले जाया गया जहां पर परिवार की मौजूदगी में उनका अंतिम संस्कार किया गया. उनको याद करते हुए टिहरी के विधायक किशोर उपाध्याय ने कहा कि स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा और उनकी पत्नी ने न केवल देश में बल्कि विदेशों तक प्रकृति के प्रेम की अलख को पहुंचाया है.
7 साल के बेटे के साथ जेल गईं थी बिमला बहुगुणा
उन्होंने कहा 'वह साल शायद 2009 का था जब जम्मू कश्मीर और अरुणाचल तक वह पर्यावरण बचाओ आंदोलन में मौजूद रहीं और उस वक्त किशोर उपाध्याय खुद उनके साथ मौजूद रहे. उनके पास पर्यावरण को लेकर इतना ज्ञान था जिसकी कोई सीमा नहीं है, हम टिहरी बांध विस्थापितों के लिए लड़ी गई लड़ाई को कैसे भूल सकते हैं. जिसमें दोनों ही लोगों का बड़ा योगदान था. इतना ही नहीं जब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का हिस्सा था तब पहाड़ में शराब के प्रति आंदोलन के दौरान साल 1971 में जब वह जेल गई तो उनके साथ उनका 7 साल का बेटा भी मौजूद था. आंदोलन और संघर्ष के साथ उन्होंने अपना जीवन जिया और आज वह अमर हो गई'.
ये भी पढ़ें-सामाजिक सरोकारों से जुड़ी बिमला बहुगुणा का निधन, चिपको आंदोलन के नेता सुंदरलाल बहुगुणा की थीं पत्नी