जयपुर. लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम आ चुके हैं. प्रदेश में नई सरकार बनने के 5 महीने के भीतर इन लोकसभा चुनाव में भाजपा कोई ज्यादा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई. संगठन के साथ इस परफॉर्मेंस की जिम्मेदारी प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की भी रही है, लेकिन सीएम भजन लाल अगले 6 महीने फिर से दूसरी अग्निपरीक्षा से गुजरेंगे. लोकसभा में जो विधायक सांसद का चुनाव जीत चुके है, उन खाली हुई सीटों पर निर्वाचन आयोग की गाइड लाइन के अनुसार 6 महीने में उपचुनाव होंगे.
सीएम की दूसरी अग्निपरीक्षा: प्रदेश में बीजेपी की सरकार होने के बावजूद लोकसभा में उसे बड़ा नुकसान हुआ है. भाजपा का मिशन 25 का लक्ष्य फेल हो गया. राजनीति के पंडित कहते हैं कि जब पार्टी विपक्ष में होती है तो संगठन के मुखिया के नाते प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी हर जीत की होती है. वहीं, जब पार्टी सत्ता में होती है तो हार जीत की जिम्मेदारी सरकार के मुखिया यानी मुख्यमंत्री की होती है. इस बार राजस्थान में बीजेपी की सरकार थी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा प्रदेश के मुखिया थे. ऐसे में चुनाव परिणाम की हार जीत का श्रेय भी मुख्यमंत्री के खाते में जाएगा. पहली परीक्षा में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ज्यादा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए, लेकिन अब उनके सामने अगले 6 महीने बाद दूसरी और बड़ी अग्नि परीक्षा उपचुनाव के रूप में सामने आने वाली है. जिन सीटों पर उपचुनाव होंगे, उन सभी सीटों पर भाजपा का कमल खिले, यह जिम्मेदारी उनके कंधों पर ही होगी. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के लिए बड़ी चुनौती इसलिए भी होगी, क्योंकि जिन सीटों पर उपचुनाव होंगे उनमें से किसी भी सीट पर बीजेपी का विधायक नहीं है. इनमें से तीन सीटों पर कांग्रेस और दो सीटों पर आरएलपी और बाप पार्टी की विधायक हैं.
पढ़ें: अरुणाचल में भाजपा की जीत पर सीएम भजनलाल और सीपी जोशी ने कही ये बड़ी बात
5 विधायकों ने जीता लोकसभा चुनाव: लोकसभा चुनाव 2024 में राजस्थान में पांच ऐसी सीटें है, जिन पर विधायकों ने सांसद का चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की. इनमें दौसा से विधायक मुरारीलाल मीणा दौसा से ही सांसद का चुनाव जीते. झुंझुनू से विधायक बृजेन्द्र ओला झुंझुनूं से , खींवसर से विधायक हनुमान बेनीवाल नागौर से सांसद का चुनाव जीते, देवली उनियारा से विधायक हरीश चौधरी टोंक - सवाईमाधोपुर से सांसद का चुनाव जीते, चौरासी से विधायक राजकुमार रोत बांसवाड़ा- डूंगरपुर से सांसद का चुनाव जीते. दौसा, झुंझुनूं, खींवसर, देवली - उनियारा और चौरासी विधानसभा सीटों पर अगले 6 महीने में उपचुनाव होंगे.
25 से सिर्फ 14 पर खिला कमल: इस बार लोकसभा चुनाव में राजस्थान में बीजेपी को बड़ा नुकसान हुआ है. मिशन 25 को लेकर चल रही बीजेपी 14 पर ही सिमट कर रह गई. रुझान से लेकर परिणामों के बाद तक प्रदेश बीजेपी मुख्यालय में मायूसी देखी गई, जबकि पिछले दो चुनाव से सन्नाटे में तब्दील रहने वाले प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पर जश्न का माहौल दिखा. कांग्रेस गठबंधन के साथ मरुधरा की 11 लोकसभा सीटों जीत दर्ज करने में कामयाब रही.
यह भी पढ़ें: राजस्थान लोकसभा चुनाव 2024: राजस्थान में कांटे की टक्कर
जीत पर लगा ब्रेक: पिछले 2 लोकसभा चुनावों में बीजेपी को सभी 25 सीटों पर मिल रही जीत पर ब्रेक लग गया. भाजपा जोधपुर, भीलवाड़ा, चित्तौड़, उदयपुर, कोटा - बूंदी, बारां - झालावाड़, अलवर, जयपुर शहर, जयपुर ग्रामीण, पाली, राजसमंद, अजमेर, जालौर - सिरोही, बीकानेर लोकसभा सीटों पर भाजपा को जीत मिली. इसी प्रकार धौलपुर - करौली,दौसा, भरतपुर, टोंक - सवाई माधोपुर, झुंझुनू, चूरू, सीकर, नागौर, डूंगरपुर - बांसवाड़ा, बाड़मेर - जैसलमेर, गंगानगर - हनुमागढ़ लोकसभा सीट पर कांग्रेस गठबंधन के साथ जीतने में कामयाब रही.
चुनाव परिणामों पर मंथन: राजस्थान में पिछले दो लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में बीजेपी ने सभी 25 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी. खास बात यह थी कि 2014 में जब लोकसभा के चुनाव हुए. उस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री का पद संभाल रही थी, जब 2019 में लोकसभा के चुनाव हुए. उस समय प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे, लेकिन बावजूद इसके भाजपा दोनों ही चुनाव में सभी 25 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही. इस बार भी प्रदेश में भाजपा की सरकार थी और भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री है. बावजूद इसके, प्रदेश में भाजपा 25 सीटों पर जीत की हैट्रिक नहीं लगा पाई. अब सरकार और संगठन के स्तर पर इस बात का मंथन शुरू हो गया है कि आखिर कहां पर चूक रही, जिसकी वजह से मिशन 25 का लक्ष्य फेल हो गया. सत्ता और संगठन को अपनी रिपोर्ट केंद्र नेतृत्व को भेजनी है, ऐसे में उच्च स्तर पर मंथन और मनन के साथ रिपोर्ट तैयार की जा रही है.
जो नहीं हुआ, उसके बारे में विचार होगा: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि कई बार ऐसा होता है, जब अपेक्षा के अनुसार परिणाम नहीं आते हैं. हर बार एक जैसे हालात नहीं होते. कभी-कभी हालात में बदलाव हो जाते हैं. यह सही है कि जो परिणाम आए हैं, उन पर अब मंथन भी हो रहा है और विचार भी हो रहा है. पार्टी सभी बिंदुओं पर चर्चा कर रही है. हमेशा जो चाहते हैं वह नहीं होता, जो नहीं हुआ है उसके बारे में भी विचार किया जा रहा है.