देहरादून: स्वच्छ भारत मिशन के 10 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में भारत सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत देश भर के शहरों द्वारा किए गए बेहतरीन प्रयासों को संजोते हुए "Tales from 75 Cities, Journey for Swachhta" नाम से देश के 75 शहरों की स्वच्छता स्टोरी को साझा किया गया है, जिसमें से 10 स्टोरी उत्तराखंड की हैं, जो उत्तराखंड और शहरी विकास विभाग के लिए बड़ी उपलब्धि है.
वहीं, इस उपलब्धि पर शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने विभाग को बधाई दी है. साथ ही आशा व्यक्त की है कि अन्य नगर निकाय भी इनका अनुसरण करते हुए अपने नगर निकायों में भी अभिनव प्रयास करेंगे और अपने नगर निकायों और प्रदेश को स्वच्छता के उच्च मानकों तक लेकर जाएंगे.
बागेश्वर नगर पालिका: बागेश्वर में सखी एरिया लेवल फेडरेशन का महिला स्वयं सहायता समूह क्षेत्र में स्वच्छता पर ध्यान केंद्रित करने वाला पहला महिला समूह है, जिसमें 45 महिलाएं कचरा संग्रहण का कार्य करती हैं और 2 सुपरवाइजर कार्यरत हैं. वे वर्ष 2017 से उन स्थानों पर सेवा देने के लिए समर्पित हैं, जहां भौगोलिक परिस्थितियों के कारण अपशिष्ट वाहन पहुंचने में असमर्थ है. उनका प्रभाव महत्वपूर्ण रहा है, जिससे 11 वार्डों में स्वच्छता में सुधार हुआ, नागरिक जागरूकता बढ़ी, राजस्व बढ़ा और महिलाओं के लिए स्थायी आजीविका के अवसर मिले.
हल्द्वानी नगर निगम: नगर निगम हल्द्वानी द्वारा बैणी सेना की पहल (कुमाऊंनी बोली में "बहन") की गई है. उत्तराखंड में महिलाओं के नेतृत्व वाले अपशिष्ट प्रबंधन के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी बेहद सफल मॉडल साबित हुई है.
रुद्रपुर नगर निगम: वेस्ट टू वंडर्स के तहत नगर निगम रुद्रपुर द्वारा जिला प्रशासन और अन्य पार्टनर के सहयोग से 30 साल पुराने पहाड़गंज का कायाकल्प कर ट्रेंचिंग ग्राउंड को एक सुंदर स्थान में परिवर्तित किया गया है, जहां पर वृक्षारोपण जारी है. इस अभिनव प्रयास से शहर में पर्यावरण प्रदूषण में कमी आई है. साथ ही वहां के लोगों को ट्रैफिक से भी निजात मिली है.
जोशीमठ नगर पालिका: वेस्ट टू वेल्थ के तहत नगर पालिका परिषद ज्योर्तीमठ (जोशीमठ) में स्थापित मटेरियल रिकवरी सेंटर (एम.आर.एफ.) में प्लास्टिक अपशिष्टों की 35 श्रेणियों में छटनी की जा रही है और इससे नगर पालिका द्वारा अब तक एक करोड़ से अधिक की धनराशि अर्जित की गई है. इससे नगर पालिका परिषद को आय के साधन के साथ-साथ पर्यावरण के संरक्षण में भी सहायक हो रहा है.
केदारनाथ नगर पंचायत: वेस्ट टू वंडर्स नगर पंचायत केदारनाथ में निजी सहभागिता के माध्यम से डिजिटल रिफंड सिस्टम के जरिए प्लास्टिक कचरे के निस्तारण से एक ओर भूमि को संरक्षित किया जा रहा है. वहीं, दूसरी ओर प्लास्टिक कचरे से होने वाली पर्यावरण के नुकसान से बचाव के साथ-साथ आम जनमानस में जागरूकता बढ़ी है. आजीविकास के साधन को भी बढ़ावा मिल रहा है.
हरिद्वार नगर निगम: उत्तराखंड के पहले स्मार्ट सार्वजनिक शौचालय की पहल हरिद्वार प्रशासन एवं नगर निगम हरिद्वार द्वारा की गई, जो सार्वजनिक स्वच्छता में एक महत्वपूर्ण कदम है. सार्वजनिक स्वच्छता के एक नए युग की शुरुआत हुई. स्मार्ट शौचालय सार्वजनिक निजी भागीदारी का एक उत्पाद है और हरिद्वार नगर निगम और समुदाय के बीच सहयोग का प्रतीक है. स्मार्ट शौचालय न केवल बुनियादी स्वच्छता आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, बल्कि उपयोगकर्ता के आराम और कल्याण पर भी जोर देते हैं.
कीर्ति नगर नगर पंचायत: नगर पंचायत कीर्तिनगर में स्थापित ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण और निपटान सुविधा केंद्र जनवरी 2023 से संचालित है. यह उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में सैनिटरी लैंडफिल के साथ पहली ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुविधा है.
गंगोत्री नगर पंचायत: कचरे से कंचन के तहत नगर पंचायत गंगोत्री द्वारा यात्रा के दौरान उत्पन्न होने वाली गीले अपशिष्टों का प्रबंधन कर कंपोस्ट तैयार किया जा रहा है. इससे एक ओर स्वच्छता सुनिश्चित हुई है और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिला है.
नौगांव नगर पंचायत: वेस्ट टू वेल्थ के तहत नगर पंचायत नौगांव जनपद उत्तरकाशी में मैटीरियल रिकवरी सेंटर के माध्यम से अपशिष्ट प्रबंधन का कार्य जारी हैं.
देहरादून नगर निगम: ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए आत्मनिर्भर वार्ड नगर निगम देहरादून अंतर्गत नाथुआवाला वार्ड में 2019 में स्थापित, देहरादून का सैनिटेशन पार्क टिकाऊ अपशिष्ट प्रबंधन का उदाहरण है. यह निजी सहभागिता द्वारा संचालित है और ये सुविधा डोर-टू-डोर कलेक्शन मॉडल पर काम करती है.
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