देहरादून: उत्तराखंड के 892 बच्चों का पुलिस ने सत्यापन किया है. यह वह बच्चे हैं, जो सड़कों पर या तो भिक्षावृत्ति का काम कर रहे हैं या फिर कूड़ा बीनने और गुब्बारे बेचने जैसे कामों को कर रहे थे. पुलिस विभाग ने विशेष अभियान शुरू किया था. जिसमें रेलवे विभाग की तरफ से भी एक टीम गठित की गई थी. उधर पुलिस विभाग भी तमाम जिलों में इस अभियान के तहत ऐसे बच्चों का सत्यापन कर रही थी, जो भिक्षावृत्ति या कूड़ा बीनने का काम कर रहे थे. जिसमें से 378 बच्चों का विभिन्न स्कूलों में दाखिला कराया गया. जबकि अन्य बच्चों के एडमिशन की प्रक्रिया जारी है.
यह अभियान 1 मार्च से 31 मार्च तक सभी जिलों में चलाया गया और इस ऑपरेशन मुक्ति अभियान नाम दिया गया था. राज्य से 892 बच्चों का सत्यापन करते हुए इनमें से 378 बच्चों का विभिन्न स्कूलों में दाखिला कराया गया. हालांकि बाकी छात्रों का भी पुलिस विभाग द्वारा एडमिशन करवाया जा रहा है. पुलिस विभाग ने इस दौरान बाल श्रम के मामलों में भी दो मुकदमे पंजीकृत किये हैं और भिक्षावृत्ति के मामले में आठ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. हालांकि साल 2017 से अब तक पुलिस 8562 बच्चों का सत्यापन कर चुकी है और इनमें से 3981 बच्चों को स्कूलों में भी दाखिला दिलाया गया है.
पुलिस विभाग वैसे तो समय-समय पर ऑपरेशन मुक्ति अभियान चलता रहा है, लेकिन एक महीने के अभियान के दौरान एक बार फिर 892 बच्चों का इन कामों में लिप्त होना सभी को चौंका रहा है. खास बात यह है कि पुलिस ने अपनी जांच के दौरान यह भी पाया है कि भिक्षावृत्ति, कूड़ा बीनने और गुब्बारे बेचने जैसे कामों में कोई ह्यूमन ट्रैफिकिंग से जुड़ा गैंग काम नहीं कर रहा था.
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