जयपुर. सोशल मीडिया पर बच्चों का अश्लील वीडियो, फोटो या आपत्तिजनक कंटेंट शेयर या फॉरवर्ड करना किसी को बड़ी मुसीबत में डाल सकता है. इस तरह के मामले बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध कि श्रेणी में आते हैं और आईटी एक्ट व आईपीसी की अन्य धाराओं में मुकदमा भी दर्ज होता है, जो गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आता है.
दरअसल, राजस्थान में बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 में बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध के कुल 24 मामले सामने आए थे. जबकि साल 2021 में ऐसे मामलों की संख्या बढ़कर 33 हो गई. इसके बाद 2022 में बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध के कुल 182 मामले सामने आए हैं.
17 गुना बढ़े चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मामले : राजस्थान में साल 2020 में चाइल्ड साइबर पोर्नोग्राफी के 6, साइबर बुलिंग या स्टॉकिंग का एक और अन्य साइबर अपराध के 17 मामले दर्ज हुए हैं. जबकि साल 2021 में साइबर पोर्नोग्राफी के 9, साइबर बुलिंग-स्टॉकिंग के 3 और अन्य साइबर अपराध के 21 मुकदमे दर्ज हुए हैं. जबकि साल 2022 में इन तीनों ही श्रेणियों के अपराध में भारी बढ़ोतरी दर्ज हुई है. इस साल साइबर पोर्नोग्राफी के 106, साइबर बुलिंग-स्टॉकिंग के 19 और अन्य साइबर अपराध के 55 मुकदमे दर्ज हुए हैं.
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इन धाराओं में दर्ज होता है मुकदमा : बच्चों के आपत्तिजनक वीडियो या फोटो फॉरवर्ड या शेयर करने पर आईटी एक्ट की धारा 67-बी के साथ ही पॉक्सो और आईपीसी की धाराओं में मुकदमा दर्ज होता है. जबकि साइबर बुलिंग या स्टॉकिंग में आईपीसी की धारा 354-डी और आईटी एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज होता है. इसी तरह बच्चों की साइबर ब्लैकमेलिंग की घटनाओं पर आईपीसी की धारा 506, 503 और 384 व आईटी एक्ट की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाता है.
फॉरवर्ड-शेयर ही नहीं, स्टोर करना भी अपराध : साइबर विशेषज्ञ मुकेश चौधरी बताते हैं, चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित कोई भी कंटेंट चाहे वीडियो हो या फोटो. उसे सोशल मीडिया मीडिया पर कोई व्यक्ति फॉरवर्ड या शेयर करता है या अपने ही गूगल ड्राइव पर अपलोड करता है तो उसके डिजिटल उपकरण का आईपी एड्रेस और डिटेल एनसीआरबी को मिलती है. एनसीआरबी यह जानकारी हर राज्य की संबंधित एजेंसी को भेजती है और वहां से यह जानकारी संबंधित थाने तक पहुंचती है. आपत्तिजनक कंटेंट भेजने वाले और प्राप्त करने वाले की डिटेल भी थाने में आता है. जिस पर पुलिस को मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई करनी होती है.
5 साल तक की सजा का प्रावधान : साइबर एक्सपर्ट मुकेश चौधरी का कहना है कि पुलिस इसमें खुद एक्शन लेती है और जिन धाराओं में मुकदमा दर्ज होता है. वो गैर जमानती होती हैं. आईटी एक्ट 67-बी के तहत पांच साल तक की सजा का प्रावधान है. इसलिए जमानत तक नहीं हो पाती है. आपराधिक रिकॉर्ड बनने के कारण कॅरियर भी दांव पर लग सकता है. इस तरह का कंटेंट शेयर करने से बचना चाहिए.
मोबाइल पर आए ऐसा कंटेंट तो पुलिस को दें सूचना : उनका कहना है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ा कंटेंट फॉरवर्ड या शेयर करने वाले के साथ ही प्राप्त करने वाले का आईपी एड्रेस और जानकरी भी एजेंसीज के पास रहती है. इसलिए ऐसे कंटेंट को शेयर करने से बचने के साथ ही ऐसा कंटेंट आने पर संबंधित थाने में इसकी सूचना लिखित में देनी चाहिए और प्राप्ति हासिल करनी चाहिए, ताकि भविष्य में जरूरत पड़ने पर आपका बचाव हो सके. इसके साथ ही पुलिस के बताए गए तरीके से ऐसे वीडियो या अन्य कंटेंट को डिलीट या नष्ट करना चाहिए, ताकि आगे किसी भी परेशानी से बचा जा सके.